गजब ज्ञानी हैं ! थाना श्यामदेउरवा की पुलिस

सूबे के मुखिया पुलिसिया कार्यप्रणाली को सुधारने के लिए चाहे जितना हाथ पैर मार ले लेकिन उनकी पुलिस पर इसका कोई असर नहीं होने वाला । कुछ वर्दीधारी आज भी अपने निजी लाभ तथा स्वार्थ के लिए अपने वरिष्ठ अधिकारियों तथा शासनादेश को ठेंगा दिखाकर अपने आप को सर्वोपरि साबित करने में लगे हुए हैं

सूबे के मुखिया पुलिसिया कार्यप्रणाली को सुधारने के लिए चाहे जितना हाथ पैर मार ले लेकिन उनकी पुलिस पर इसका कोई असर नहीं होने वाला । कुछ वर्दीधारी आज भी अपने निजी लाभ तथा स्वार्थ के लिए अपने वरिष्ठ अधिकारियों तथा शासनादेश को ठेंगा दिखाकर अपने आप को सर्वोपरि साबित करने में लगे हुए हैं । जिसका ताजा मामला महाराजगंज जनपद के थाना श्यामदेउरवा में देखने को मिला है । जहां दो पक्षों के बीच जमीन के विवाद में पुलिस एक पक्ष के साथ अपने निजी स्वार्थ को लेकर जी तोड़ कोशिश करती नज़र आई और चर्चा में रही ।  मामले के एक पक्षकार मारकंडे पांडे पुत्र गोरखनाथ पांडे महाराजगंज जनपद न्यायालय में बतौर पेशकार कार्यरत है ।

 दूसरा पक्ष मधुरेंद्र कृष्ण पुत्र केदारनाथ कृष्ण शिक्षण संस्थान में प्रवक्ता के पद पर कार्यरत हैं । विवादित जमीन पर निर्माण को लेकर दोनों पक्षों में जारी हुई तनातनी में मधुरेंद्र कृष्ण कमजोर पड़ गए । आरोप है कि कुछ दिन पूर्व  विवादित जमीन पर निर्माण कराने के लिए लगभग 50 लोग लाठी-डंडे से लैस होकर वहां पहुंचे जो मार्कंडेय पांडे की तरफ से आए थे । इन 50 लोगों का नेतृत्व करने वाला काशीनाथ सिंह कंधे पर भगवा गमछा डाले हुए वहां पर मौजूद था जो अपने आप को हिंदू युवा वाहिनी का पदाधिकारी बता रहा था । इसके अलावा वीरेंद्र सिंह  नाम का शख्स भी वहां पर मौजूद था जो मधुरेंद्र के अनुसार घुघली इंटर कॉलेज महाराजगंज का सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य है । विवादित जमीन पर तनातनी के इस स्थिति को भापकर अकेला पड़े मधुरेंद्र ने पुलिस को बुलाया । 

मौके पर चौकी परतावल व थाना श्यामदेउरवा महाराजगंज की पुलिस पहुंची । मगर उनलोगों को जबरन निर्माण करने से रोकने की बजाय मुकामी पुलिस भगवा गमछा डाले काशीनाथ सिंह और वीरेंद्र सिंह की आवभगत करती हुई दिखाई दी । मधुरेंद्र को पुलिस का यह रूप देखकर गहरा धक्का लगा । जबकि मधुरेंद्र तथा थाना श्यामदेउरवा को  एसडीएम सदर महाराजगंज का सख्त आदेश मिल चुका था । जिसमें थाना श्यामदेउरवा को आदेशित किया गया था कि प्रथम पक्ष मारकंडे पांडे पुत्र गोरखनाथ पांडेय यदि बलपूर्वक निर्माण कार्य करा रहे हैं तो उन्हें रोका जाए  । इस आदेश के बावजूद  थाना श्यामदेउरवा और चौकी परतावल महाराजगंज की पुलिस जबरन हो रहे निर्माण को रोकने की बजाय इन सभी लोगों की आवभगत में लगी रही । बताते चले कि प्रथम पक्ष मारकंडे पांडे चूंकि महाराजगंज न्यायालय में बतौर पेशकार कार्यरत है इसलिए जाहिर है कि कानूनी खेल में इन्हें महारत हासिल होगी । इसी महारत के बूते इन्होंने दिनांक 17 मार्च 2020 को न्यायालय में एक वाद दाखिल कर एक आदेश अपने पक्ष में पारित करवा लिया जिसकी कानो कान खबर द्वितिय पक्ष मधुरेंद्र कृष्ण को भी नहीं हुई । लेकिन अपने आप को महारथी समझने वाले मार्कंडेय पांडे यहां एक बड़ी गलती कर बैठे । न्यायालय द्वारा जो आदेश मार्कण्डेय पांडेय पुत्र गोरखनाथ पांडेय के पक्ष में किया गया था उस आदेश की प्रमाणित प्रति मार्कण्डेय तथा गोरखनाथ द्वारा पुलिस को उपलब्ध नहीं कराई गयी ।गलत तरीके से फाइल में संलग्न आदेश की फोटो खींचकर उसे वायरल कर दिया गया जो कि एक अपने आप में अपराध है । और पुलिस तो जैसे यह तय करके बैठी थी कि गलत चाहे सही उसे मार्कंडेय पांडे का ही साथ देना है तो बिना प्रमाणित आदेश प्राप्त किए ही उस वायरल आदेश को लक्ष्मण रेखा मान कर मारकंडे पांडे के पक्ष में पुलिस खड़ी हो गई । और विवादित जमीन पर निर्माण शुरू करा दिया गया । 

जबकि सिविल वाद  39 (3 ) के मामले में नियमतःमारकंडे पांडे को न्यायालय के आदेश की प्रमाणित प्रति रजिस्टर्ड पोस्ट के माध्यम से पुलिस तथा दूसरे पक्ष को उपलब्ध करानी चाहिए थी  । लेकिन ऐसा नहीं किया गया । और थाना श्यामदेउरवा पुलिस ने गलत तरीके से प्राप्त इस प्रार्थना पत्र को ही हमारे संवाददाता को प्रेषित कर अपने कार्यो की इतिश्री कर ली । मार्कंडेय पांडे तथा थाना श्यामदेउरवा थाने की पुलिस की मिलीभगत से विवादित जमीन पर निर्माण शुरू कराया जा चुका है । जबकि मधुरेन्द्र कृष्ण द्वारा मार्कण्डेय पांडेय द्वारा अपने पद का दुरुपयोग कर आपराधिक कार्य करने संबंधित प्रार्थना पत्र उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश को प्रेषित की जा चुकी है । थाना श्यामदेउरवा की पुलिस ने केवल लालच में एकपक्षीय कार्य किया बल्कि अपने उच्चाधिकारियों को भी अदालती आदेश के नाम पर गुमराह किया । थाना श्यामदेउरवा पुलिस के कार्यों पर संदेह होने का सबसे मजबूत आधार यह है

कि जब इस प्रकरण के विषय में हमारे  संवाददाता द्वारा एसपी महाराजगंज से बात की गई तो उन्होंने इस मामले से संबंधित न्यायालय के आदेश को सही ठहराया तथा आदेश की प्रति थानाध्यक्ष श्यामदेउरवा से प्राप्त करने हेतु संवाददाता से कहा । जबकि थानाध्यक्ष श्यामदेउरवा ने मीडिया में तथा हमारे संवाददाता को उस आदेश की प्रति को ही जारी कर दिया जिसके अवलोकन पर आज सबसे बड़ा प्रश्न यह उठता है कि उन्हें यह आदेश कहां से मिला । क्योंकि अदालती आदेश की प्रमाणित प्रति अगर नियमतः उन्हें प्राप्त हुई थी तो उन्हें उसी प्रमाणित प्रति को मीडिया को उपलब्ध कराना चाहिए ।लेकिन उनके द्वारा मीडिया को उपलब्ध कराई गई प्रति न तो प्रमाणित है और न विश्वसनीय । सबसे पहले तो थानाध्यक्ष श्यामदेउरवा से पूछा जाना चाहिए कि मीडिया में उनके द्वारा जारी की गई अदालती आदेश की गैर प्रमाणित प्रति उन्हें कहा से प्राप्त हुई ।अगर यह प्रश्न थाना श्यामदेउरवा से पूछा जाए तो निश्चित तौर पर उनके पास इस बात का कोई जवाब नहीं होगा  । क्योंकि न्यायालय के इस आदेश की प्रमाणित प्रति न प्राप्त होने के बावजूद उन्होंने मारकंडे पांडेय अथवा गोरखनाथ पांडेय का जबरन हो रहे निर्माण  में साथ किस आधार पर दिया । नियमतः तथा प्रमाणित प्रति प्राप्त न होने के बावजूद न्यायालय के आदेश को गलत तरीके से फोटो खींचकर वायरल करने  का जो कृत्य किया गया उसमे खुद संलिप्त क्यो रहे ।

 इसका जवाब आज भी ना तो महाराजगंज पुलिस के पास है और ना ही  मारकंडे पांडे के पास है । जबकि लाठी डंडे से लैश होकर जबरन निर्माण कराने आए लगभग 50 लोगो का नेतृत्व करने वाले काशी नाथ सिंह और वीरेंद्र सिंह को मधुरेन्द्र कृष्ण भूमाफिया और दलाल बताते है । जो अपने आप को हिन्दू युवा वाहिनी का पदाधिकारी बताकर लोगो की जमीन पर कब्ज़ा करते फिरते है । है । और तो और इस मामले में फर्जी सम्मन आदि भी मधुरेन्द्र कृष्ण व उनके परिवार को फ़र्ज़ी नाम और पते से जारी किए गए है  जो मधुरेंद्र कृष्ण और उनके परिवार को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के लिए किया जा रहा है । बिना न्यायालय के मुहर के फ़र्ज़ी सम्मन तो न्यायालय में कार्य करने वाले ऐसे  धुरंदर ही जारी कर या करा सकते है  जिनका सीधे तौर पर इस विवादित जमीन से कोई लेना देना हो । इन सभी बातों से यह स्पष्ट है कि यह सटे फ़र्ज़ी काम किसके द्वारा किये गए और थाना श्यामदेउरवा की पुलिस ने इस काम मे फर्जीवाड़ा करने और जबरन निर्माण करने वाले का कितना साथ दिया । इसके लिए पुलिस को क्या इनाम मिला ये तो थानाध्यक्ष श्यामदेवरवा ही बताएंगे । 

इस संबंध में स्वयं मधुरेंद्र कृष्ण द्वारा तमाम साक्ष्य वीडियो क्लिप हमारे संवाददाता को उपलब्ध कराए गए हैं जिसके तहत इस खेल के असली विलेन को सामने लाने तक हमारा प्रयास जारी रहेगा । इस खबर में लिखे गए कंटेंट पूरी तरह से साक्ष्यों और वक्तव्यों के अनुसार है जो स्वयं मधुरेन्द्र कृष्ण तथा थाना श्यामदेउरवा द्वारा हमारे संवाददाता को उपलब्ध कराए गए है । आगे इस मामले में कुछ और रोचक तथ्य प्रकाश में लाए जाएंगे और नए खुलासे किए जाएंगे जिससे यह साबित होगा कि कोई थाने में बैठकर अपने पद का दुरुपयोग कर रहा है तो कोई कोर्ट कचहरी में बैठकर ।

मामले से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न
● कौन है काशीनाथ सिंह और वीरेंद्र सिंह● यह लोग विवादित जमीन पर भीड़ के साथ क्यों गए थे● मौके पर पहुची पुलिस इनकी आवभगत में क्यो लगी रही● थाना श्यामदेउरवा को न्यायालय के आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त हुई थी अथवा नही● अगर हुई थी तो थानाध्यक्ष ने आदेश की अप्रमाणित प्रति मीडिया को क्यो दिया ।● गलत तरीके से अप्रमाणित आदेश की प्रति थाना श्यामदेउरवा को कहाँ से मिली । ● क्या थानाध्यक्ष श्यामदेउरवा नही जानते कि न्यायालय के दस्तावेज अगर नियमतः प्राप्त न किये गए हो तो यह एक आपराधिक कृत्य है ।● इस अप्रमाणित आदेश की प्रति के बूते थाना श्यामदेउरवा की पुलिस किस आधार पर मार्कण्डेय पांडेय के साथ खड़ी हो गयी ।

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