-बरसाना की लठामार होली को किया जा रहा प्रचारित प्रसारित
-ब्रज में लठामार होली जितने ही कई आयोजन हैं
-होली के रंगों की विविधता ही ब्रज की होली सुंदरता है
मथुरा। सरकार और जिला प्रशासन के लिए बरसाना की लठामार होली ही ब्रज की होली हो गई है। जबकि यहां बरसाना की लठामार होली जितने ही महत्वपूर्ण कई और आयोजन भी ब्रज में होते हैं। दरअसल यही विविधता ब्रज की होली की असल सुंदरता है। गोकुल मंे जहां नन्हे कान्हा छडी होली खेलते हैं, वहीं बरसाना और नंदगांव में लठामार होली होती है। बलदेव में बलदाऊ का हुरंगा और फालेन का होलिका दहन भी उतने ही परंपरागत और आकर्षक आयोजन हैं
जितनी आकर्षक बरसाना की लठामार होली है। जबकि जिला प्रशासन का पूरा ध्यान बरसाना की लठामार होली पर टिका हुआ है।कोसीकला के नजदीक स्थित गांव फालैन का होलिका दहन अपने आप में अद्भुत आयोजन है। यहां पंडा भक्त प्रहलाद के रूप में जलती होली के बीच से नंगे पैर निकलता है। हजारों की संख्या में इस अनौखे आयोजन को देखने के लिए लोग पहुंचते हैं। कोई इसे चमत्कार मानता है तो कोई भक्ति।
प्रहलाद रूपी पंडा एक महीने तक कडे नियम और साधना के बीच से गुजरता है। इसी गांव में भक्ता प्रहालद कुंड भी है जिसमें पंडा स्नान करता है। इसी कुंड के पास होली रखी जाती हैं। इस समय फलौन गांव और इस कुंड की दुर्दशा लोगों को व्यथित कर रही है। गांव की गलियां ेमें कीचड भरी हुई है, वहीं कुड की भी लम्बे समय से साफ सफाई नहीं हुई है। ग्रामीणों के बीच इस बात को लेकर नाराजगी है कि जिला प्रशासन होलिका दहन की व्यवस्था ओं के प्रति ध्यान नहीं दे रहा है।
जब ग्रामीणों ने इसकी शिकायत एसडीएम से की तो अधिकारी गांव पहुंचे और आयोजन से पहले व्यवस्थाएं ठीक करने आ आश्वासन दिया। ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारियों ने आश्वासन दिया है लेकिन लगता नहीं कि कुछ हो पाएगा। 9 मार्च को होलिका दहन होगा। अभी तक किसी तरह का र्कोइ काम नहीं हुआ है। एसडीएम ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि तालाब की बैरीकेडिंग कराई जाएगी जिससे कि कोई बच्चा तालाब में न कूदे।
’सदा सर्वदा पर्वत ऊपर राजत राधा रानी’
-श्रीजी महल से निकली लठामार होली की प्रथम चैपाई
मथुरा। बरसाना विश्व प्रसिद्ध तीर्थ नगरी श्रीधाम बरसाना में होली की उमंगल चारों ओर दिख रही है। श्रीराधा रानी महल से इस वर्ष प्रथम चैपाई रंग गुलाल की वर्षा के साथ श्रीजी महल तक निकाली गई। राधा रानी मंदिर से गोस्वामी समाज रंग गुलाल की वर्षा के बीच ताल, मृदंग, ढप बजाते निकले।
बरसाने हमारी राजधानी सदा सर्वदा पर्वत ऊपर राजत राधा रानी पद गायन के साथ सिंहपुर से दादी बाबा मंदिर होते हुए रंगेश्वर महादेव रंगीली गली पर समापन हुआ।