बाबा पथलेश्वर नाथ करते है भक्तों की मुराद पूरी

खड्डा,कुशीनगर। शिवरात्रि के महापर्व पर विकास खण्ड खड्डा के पनियहवा पथलेश्वर नाथ मंदिर पर वर्षो से परंपरागत मेला लगता चला आ रहा है।लोगों का मानना है कि शिवरात्रि के दिन पथलेश्वरनाथ पर जल चढ़ाने से लोगो की मुरादे पूरी होती हैं।पौराणिक कथाओं के अनुसार बाबा पथलेश्वरनाथ की उत्तपत्ति धरती से ही हुआ है सैकड़ो वर्ष

 खड्डा,कुशीनगर। शिवरात्रि के महापर्व पर विकास खण्ड खड्डा के पनियहवा पथलेश्वर नाथ मंदिर पर वर्षो से परंपरागत मेला लगता चला आ रहा है।लोगों का मानना है कि शिवरात्रि के दिन पथलेश्वरनाथ पर जल चढ़ाने से लोगो की मुरादे पूरी होती हैं।पौराणिक कथाओं के अनुसार बाबा पथलेश्वरनाथ की उत्तपत्ति धरती से ही हुआ है सैकड़ो वर्ष पूर्व जब यहाँ गांव नही थे चारो तरफ तरफ जंगल ही जंगल थे।

तब जंगल में लोग अपने पशुओं को चराने लाया करते थे । गयार जंगल में मौजूद मुजा को काट कर रस्सी बनाने के लिए एक पत्थर पर रखकर पीटा करते थे तथा मुजा को पीटने के बाद वर्तमान में मौजूद मंदिर से तक़रीबन 1 किमी दूर नदी के तट पर ले जाकर रख दिया करते थे। फिर अगले दिन फिर सुबह जब गयार अपने पशुओं को चराने लाते थे तो पुनः पत्थर वर्तमान में स्तिथ पथलेश्वरनाथ वाले स्थान पर आ गया रहता था एक दिन गयारो ने पत्थर पर दिन भर मुजा पिटा और जाते समय फिर नदी के तट में कीचड़ में धसा दिया।अगले दिन सुबह जब गयार आये तो देखे की पत्थर कीचड़ के साथ ही अपने स्थान पर आ गया था । 

यह सब देख गयार आश्चर्यकित हो गये और ये सब बातें गांव वालों को आकर बताई । उसी दिन रात को गायरो के गांव के महतो ठाकुर सिंह को स्वपन में ब्राह्मण का रूप धारण कर बाबा भोलेनाथ ने कहा कि मै पत्थर नही हूं मैं भगवान भोलेनाथ हूं गयारो ने मुजा पिट पिट कर मेरा सिर में चोट पहुचा दिया। अगर आप लोग मेरा पूजा नही करते हैं तो मै पुरे गांव का सर्वनाश कर दूंगा। स्वपन देख महतो ने सुबह मौके पहुँच कर स्थान का सफाई कराई और तभी से यहाँ पूजा पाठ आरंभ हो गया । तभी से यहाँ प्रत्येक दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु जल चढ़ाने आते हैं तथा प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु जल चढ़ाते है और मन्नते मांगते हैं ।

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