अमेठी की बेटी स्मृति ने जज बनकर बढ़ाया मान

अमेठी। कहते हैं दिल में जज्बा और लगन हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। मेहनत जरूर रंग लाती है। अमेठी की बेटी, घनश्याम प्रशाद त्रिपाठी की पोती एवं प्रसिद्ध अवधि साहित्यकार जगदीश पीयूष की नातिन स्मृति जिनके पिता डी के त्रिपाठी सीआरपिएफ़ में डीआईजी हैं ने यह कथन सत्य साबित कर के दिखलाया।

अमेठी। कहते हैं दिल में जज्बा और लगन हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। मेहनत जरूर रंग लाती है। अमेठी की बेटी, घनश्याम प्रशाद त्रिपाठी की पोती एवं प्रसिद्ध अवधि साहित्यकार जगदीश पीयूष की नातिन स्मृति जिनके पिता डी के त्रिपाठी सीआरपिएफ़ में डीआईजी हैं ने यह कथन सत्य साबित कर के दिखलाया।   

        क्लेट की परीक्षा में उत्तीर्ण हो के नॅशनल लॉ यूनिवर्सिटी राँची से पांच वर्षीय बीए एल एल बी करने के पश्चात स्मृति ने पिता के मार्गदर्शन में साल 2018 की झारखंड लोक सेवा आयोग से सिविल जज जूनियर डिवीजन के लिए आवेदन कर दिया।

          प्रथम प्रयास में ही प्री और मेंस क्वालीफाई किया तत्पश्चात इंटरव्यू में स्मृति ने साक्षात्कार दिया। अमेठी की इस बेटी ने झारखंड पीसीएस जे में 24 वीं रैंक हासिल करते हुए प्रथम प्रयास में ही सफलता अर्जित कर दुनिया को दिखा दिया की पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। जिसको लेकर घर परिवार सहित क्षेत्र और समाज अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहा है।

           वैसे तो तमाम लोग आईएएस और पीसीएस की परीक्षा पास करते हैं किंतु स्मृति का लक्ष्य हमेश से जज बनने का ही था। वे अपने माता पिता को अपनी सफलता का पूर्ण श्रेय देती है जिन्होंने सदैव स्मृति को सक्षमता एवं जनसेवा की सीख दी है।

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