पीसीएफ: क्षेत्रीय प्रबंधक व ठेकेदार पर कार्यवाही के लिये विधायक ने संभाला मोर्चा

डीएम को पत्र भेजकर गेंंहू क्रय केन्द्रोंं से अवैध वसूली मेंं लिप्त दोषियों पर शीघ्र कार्यवाही करने के लिये कहा परिवहन ठेकेदार पर एफआईआर दर्ज नही करा रहे है क्षेत्रीय प्रबंधक ललितपुर। भ्रष्टाचार के लिये चर्चित सहकारी संस्था पीसीएफ के अधिकारी अपने कारनामोंं मेंं इतने डूब चुके है कि उन्हें न तो जिलाधिकारी के आदेश

डीएम को पत्र भेजकर गेंंहू क्रय केन्द्रोंं से अवैध वसूली मेंं लिप्त दोषियों पर शीघ्र कार्यवाही करने के लिये कहा

परिवहन ठेकेदार पर एफआईआर दर्ज नही करा रहे है क्षेत्रीय प्रबंधक

ललितपुर।

भ्रष्टाचार के लिये चर्चित सहकारी संस्था पीसीएफ के अधिकारी अपने कारनामोंं मेंं इतने डूब चुके है कि उन्हें न तो जिलाधिकारी के आदेश की परवाह है और न ही किसी अन्य उच्चाधिकारी के, इसलिये 20 दिन व्यतीत होने के बाद भी हैंडलिंग / परिवहन ठेकेदार के विरूद्ध क्षेत्रीय प्रबंधक ने एफआईआर दर्ज नही करायी। अब इस मामले में भ्रष्ट क्षेत्रीय प्रबंधक व परिवहन ठेकेदार के विरूद्ध कार्यवाही के लिये स्थानीय विधायक ने जिलाधिकारी को पत्र लिखा है।


पीसीएफ के हैण्डलिंग/परिवहन ठेकेदार अनिल डोंगरा द्वारा गेंहू क्रय केन्द्रों से गेंंहूू उठान का कार्य किया जाता है। उठान के पश्चात किसानों से खरीदे गये गेंहू की डिलीवरी एफसीआई की गोदामों मेंं दी जाती है। जब क्रय केन्द्रों से गेंंहू के उठान होती है। उस दौरान क्रय केन्द्र प्रभारियों से परिवहन ठेकेदार द्वारा अवैध धन की मांग की जाती है। इस अवैध धन का बंटवारा ठेकेदार से लेकर भारतीय खाद्य निगम, राज्य भण्डारण निगम व एफसीआई के अधिकारियों के मध्य होता है। इसलिये एफसीआई की गोदामोंं पर घटिया गेंहू की डिलीवरी ले ली जाती है। यह अवैध वसूली का खेल कई वर्षो से अनवरत चल रहा है। रबी विपणन वर्ष 2020-21 मेंं भी गेंहू उठान के कार्य के लिये पीसीएफ द्वारा मेसर्स अनिल डोंगरा को परिवहन ठेकेदार नामित किया गया था। इस दौरान जिलाधिकारी को लगातार शिकायतें मिल रही थी कि परिवहन ठेकेदार द्वारा उन्ही गेंहू क्रय केन्द्रों से उठान किया जाता है। जिन क्रेन्द्रों से अवैध धन परिवहन ठेकेदार को उपलब्ध करा दिया जाता है। जिस प्रभारी द्वारा अवैध धन परिवहन ठेकेदार को नही दिया जाता उस केन्द्र से गेंहू हो उठान नही होता है। जिलाधिकारी ने सम्भागीय खाद्य नियंत्रक को पीसीएफ के परिवहन ठेकेदार के विरूद्ध नियमानुसार प्राथमिकी दर्ज कराने के लिये कहा था। इसके बाद सम्भागीय खाद्य नियंत्रक नरेन्द्र कुमार द्वारा क्षेत्रीय प्रबंधक/ जिला प्रबंधक रामजी कुशवाहा को पत्र लिख ठेकेदार के खिलाफ कार्य वाही निर्देश दिये थे। लेकिन 20 दिन व्यतीत होने के बाद भी उक्त ठेकेदार पर कोई कार्यवाही नही की गयी, बल्कि वह अधिकारियोंं के साथ घूमता हुआ नजर आ रहा है।
अब इस मामले मेंं नया मोड़ आ गया है। भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय विधायक रामरतन कुशवाहा ने जिलाधिकारी को पत्र भेजकर पीसीएफ के ठेकेदार व क्षेत्रीय प्रबंधक के विरूद्ध कार्यवाही करने के लिये कहा है। उन्होंने कहा है कि पीसीएफ ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्यवाही न होने की दशा में शासन की छवि खराब हो रही थी। ऐसे में सरकार की छवि धूमिल न हो, साथ ही भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्यवाही हो। इसलिये तत्काल उक्त ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर वैधानिक कार्यवाही अमल में लायी जाये। बताते चलें कि उक्त ठेकेदार की दबंगई जनपद में पूर्व से जानी जाती रही है। यह कहना भी अतिशोक्ति नहीं होगी कि ये पूरा पीसीएफ संस्था का संचालन कर रहे हैं। विगत कई वर्षों से इनके इशारे पर पीएसएफ में ठेके दिये जा रहे हैं। चर्चा में तो यह भी है कि यह व्यापारियों से साँठ-गाँठ कर उनका अनाज भी क्रय केन्द्रों के माध्यम बेचा जाता है। सरकार किसी की भी रही हो, लेकिन इनके कार्य में कहीं भी रूकावट नहीं आयी है। ऐसे में अब देखना यह है कि विधायक पत्र कितना असर करता है, या फिर पूर्व भांति जाँच के द्वारा पीसीएफ माफिया को बचा लिया जाता है।


पीसीएफ, राज्य भंडारण निगम व भारतीय खाद्य निगम के अधिकारियेांं की मिली भगत से हो रही है अवैध वसूली

गेंहू खरीद करने के पीछे सरकार की मंशा होती है कि किसानोंं को उनकी उपज का वाजिब मूल्य मिल सके और उन्हें बिचौलियों को अपनी फसलें न बेचनी पड़े। परन्तु सरकार की गेंंहू खरीद मेंं इतने विभाग व अधिकारी शामिल होते है कि यह तय करना मुश्किल होता है कि लापरवाही कौन कर रहा है। बफर स्टॉक के लिये पीसीएफ संस्था गेंहू खरीद की नोड़ल एजेंसी है। परन्तु पीसीएफ के बाद पर्याप्त संसाधन व स्टॉफ नही है। इसलिये वह सहकारी समितियोंं व प्राईवेट सहकारी संस्थाओं से गेंहू खरीद कराती है। किसानों से खरीदें गये गेंहू की उठान की जिम्मेदारी भी पीसीएफ की है।

पीसीएफ ठेकेदार के माध्यम से गेंहू का उठान कराकर इसकी डिलीवरी भारतीय खाद्य निगम को देती है। प्राईवेट संस्थाओं को गेंहू के्रय केन्द्र के रूप मेंं स्वीकृत करने की फाइल जिला खाद्य विपणन अधिकारी के यहां से बनकर जिलाधिकारी के यहां जाती है। परन्तु यहां भी समस्या है कि भारतीय खाद्य निगम के पास स्वयं की गोदामें नही है। इसलिये वह राज्य भंडारण निगम की गोदामोंं पर गेंहू की डिलीवरी कराती है। गोदामों पर जो लेवर होती है वह भी राज्य भंडारण निगम की होती है। डाला-परखी के नाम पर जो वसूली होती है उसका हिस्सा भी भंडारण निगम को मिलता है। गेंहू के माल मेंं अगर कोई कमी होती है तो नियमानुसार एफसीआई के गुणवत्ता नियंत्रक निरीक्षक उस माल को वापिस भी भेज सकते है। परन्तु बहुत कम मामलों मेंं माल वापिस भेजा जाता है।

क्योंकि एफसीआई के अधिकारियोंं व कर्मियोंं को भी अवैध वसूली मेंं से हिस्सा मिलता है। इसलिये जानबूझ कर घटिया गेंंहू की डिलीवरी दी जाती है। जबसे परिवहन ठेकेदार पर एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिये गये है तब से अधिकारी एक-दूसरे के ऊपर अवैध वसूली का मामला डालना चाहते है। पीसीएफ के अधिकारियोंं को कहना है कि जो अवैध वसूली हो रही है, वह राज्य भंडारण निगम व एफसीआई के कर्मचारी व अधिकारी कर है। जब एफसीआई के अधिकारियोंं पूछा जाता है तो वह सारा दोष पीसीएफ व राज्य भण्डारण निगम पर डाल देते है। इन सबके बीच उच्चाधिकारी शांति से बैठकर तमाशा देख रहे है।

मल्टी स्टेट कम्पनी के क्रय केन्द्र शीघ्र कराये जायें प्रारम्भ: सदर विधायक
सदर विधायक रामरतन कुशवाहा ने जिलाधिकारी लिखे एक अन्य पत्र में सरकारी केन्द्रों पर हो रही किसानों को परेशानी के देखते हुये, मल्टी स्टेट कम्पनी के क्रय केन्द्र चालू कराने की बात कही है। वर्तमान में यह क्रय केन्द्र चालू न होने के कारण किसानों को अपना अनाज बिचौलियों को बेचना पड़ रहा है। साथ ही वर्तमान में खरीदी भी कम हुई है।

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