मृतक अधिवक्ता के घर के बाहर सुरक्षा के मद्देनजर जमा पुलिस बल
औरैया:- नारायनपुर मोहल्ले में भाई-बहन की हत्या के मामले में अधिवक्ता मंजुल चौबे के पिता शिव कुमार चौबे ने बुधवार को अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान पुलिस की कार्यशैली पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि यदि पुलिस समय पर ठोस कदम उठाती तो उनके पुत्र व पुत्री की जान बच सकती थी। साथ ही यह भी कहा कि यदि इंस्पेक्टर के अंदर मामला संभालने की क्षमता नहीं थी तो फिर उनके पुत्र को निहत्था वार्ता के लिए क्यों बुलाया। घटना के समय मौके पर मौजूद इंस्पेक्टर के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज होना चाहिए।
अधिवक्ता मंजुल चौबे के पिता शिव कुमार चौबे, भाई संजय चौबे व चचेरे भाई आशीष ने कहा कि इस हत्याकांड में पुलिस बराबर की भागीदार है। पिता बोले कि इंस्पेक्टर आलोक दुबे ने उनके पुत्र को हनुमान मंदिर परिसर में बैठे एमएलसी कमलेश पाठक से आमने-सामने बात करने के लिए बुलाया था। उनका पुत्र हमेशा सुरक्षा के लिहाज से लाइसेंसी रिवाल्वर साथ रखता था। लेकिन उस दिन वह निहत्था ही मौके पर पहुंचा था। वहां उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। मंजुल के बड़े भाई संजय चौबे ने कहा कि गोलीकांड की घटना से पहले आरोपियों ने उनके पिता व चचेरे भाई आशीष व खुद उनके साथ मारपीट की। इस पर भी पुलिस बजाय आरोपियों के असलहे छीनने के उनके साथ खड़ी दिखाई दी।
यही नहीं आरोपी उनके साथ मारपीट करते रहे और पुलिस उन लोगों को रोकने के बजाय उन्हें ही पकड़ कर रोकने में लगी हुई थी। उन्होंने कहा कि इस पूरे प्रकरण पर कमलेश पाठक व उनके भाइयों द्वारा कब्जाए गए मंदिरों और विवादित जमीनों की जांच होनी चाहिए और उन्हें जब्त किया जाना चाहिए। उन्होंने पूरे मामले में उच्च एजेंसी से जांच कराए जाने की मांग की है।वहीं, अधिवक्ता मंजुल के चचेरे भाई व मृतक सुधा के भाई आशीष ने डीएम-एसपी की ओर से मुुुख्यमंत्री से मिलवाने के लिए समय दिए जाने की मांग को लेकर सवाल खड़े किए। कहा कि मुख्यमंत्री से मिलवाने के लिए उन्होंने डीएम-एसपी से समय दिलाने की मांग की थी। उनकी ओर से आश्वासन भी दिया गया था, इसके बाद भी आज तक उन्हें मुख्यमंत्री से नहीं मिलवाया गया।