अटरिया सरकारी दुकानों पर पिलाई जा रही मिलावटी शराब

अटरिया सीतापुर थाना क्षेत्र के सरकारी दुकानों पर अंग्रेजी व देशी शराब में हो रही भारी मिलावट आबकारी विभाग की लाचार कार्यशैली के चलते पीने वालों की जेबों में सीधा डाका डालने का कार्य क्षेत्र में धड़ल्ले से चल रहा है मिलावटी शराब पीने से लोगों के लीवर और किडनियां खराब हो सकती है।लेकिन आबकारी

अटरिया सीतापुर थाना क्षेत्र के सरकारी दुकानों पर अंग्रेजी व देशी शराब में  हो रही भारी मिलावट आबकारी विभाग की लाचार कार्यशैली के चलते पीने वालों की जेबों में सीधा डाका डालने का कार्य क्षेत्र में धड़ल्ले से चल रहा है मिलावटी शराब पीने से लोगों के लीवर और किडनियां खराब हो सकती है।लेकिन आबकारी विभाग हाथ पर हाथ रखकर अपने ऑफिस में बैठकर आराम करते हैं यहां क्षेत्र में ठेकों पर सेल्समैन लोगों की जेब ढीली करने पर तुले हुए हैं कई दुकानों पर शराब लेते समय मिलावटी होने के कारण खरीददारों व सेल्स मैनों में झड़प भी हो जाती है।लेकिन ज्यादा दूरी पर ठेके होने के कारण लोगों को मिलावटी शराब ही पीना पड़ता है बीते वर्ष अटरिया की अंग्रेजी शराब की दुकान पर मिलावटी शराब होने के कारण सेल्समैन और खरीददारों में जमकर मारपीट भी हुई लेकिन आबकारी विभाग की टीम ने  कोई कड़ी कार्यवाही नहीं की।

लेकिन उस सेल्समैन को वहां पर सेल्समैनी छोड़ देना पड़ा अगर इन मिलावट खोर सेल्समैनों के ऊपर कड़ी कार्यवाही की जाए तो मिलावटी शराब का काम बंद हो  सकता है लेकिन अफवाहों की माने तो आबकारी विभाग  की घूसखोरी के चलते ही  यह  मिलावटी  कार्य संचालित किए जाते हैं  जिस दुकान से आबकारी विभाग को खास वरीयता नहीं दी  जाति उन्हें दुकानों पर टीम गठित कर छापेमारी की जाती है  ।क्षेत्र के इन अंग्रेजी व देशी दुकानों पर मिल रही मिलावटी शराब अररिया सिधौली बनाऊंगा  टिकौली   आदि दुकानों पर मिलावटी के साथ कभी कभी मूल्य से अधिक दाम भी वसूल किए जाते हैं आबकारी विभाग इन दुकानों पर शीघ्र ही कड़ी कार्यवाही करें

अन्यथा किसी दिन कोई बड़ी अप्रिय घटना घट सकती है ।अटरिया रेलवे क्रॉसिंग स्थित चल रही दोनों शराब की दुकान पर लगे शराब के विज्ञापनों से एक ओर गाहकों को आकर्षित किया जा रहा है तो वहीं स्थानीय आबकारी विभाग के अधिकारी अपने ही विभाग के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे है। इससे एक बात तो स्पष्ट हो जाती है कि आबकारी विभाग के अधिकारी सरकार की नौकरी तो नहीं कर रहे है। ठेकेदारों के साथ साठ गाँठ करते हुए अपने ही विभाग को धोखा दे रहे है।राज्य सरकार ने प्रदेश में नई आबकारी नीति जारी कर दी है। लेकिन क्या सही मायनो में आबकारी नीति का अनुसरण आबकारी विभाग और आबकारी दुकानों के मालिक कर रहे है बिल्कुल नहीं हम आए दिन शराब कारोबारियों के ठेकों से कई बार आबकारी नियम को तोडते देख रहे है

लेकिन इस पर आबकारी विभाग द्वारा कार्रवाई ना करना ऐसा प्रतित होता है कि आबकारी विभाग शायद आबकारी नीति को ही भूल गया है। जितने भी आबकारी नियम और नीति है वो हर दिन शराब की दुकानों पर भंग होते आपको पूरे जिले भर में दिख जाएंगे। कुम्भकुर्णी नींद में डूबा आबकारी विभाग अपने फर्ज के रास्ते से लगता है भटक गया है, वरना कहीं ना कहीं कार्रवाई की भनक तो लग जाती। वहीं शराब के ठेकों पर आबकारी नियमों को ताक पर रखा जाता है। कौन कौन से नियमों की हर दिन धज्जियां उडती है 

देखे एक नजर।
ओवर रेट, मूल्य सूचि, विज्ञापन बोर्ड, शराब के अलावा नमकीन और पेय पदार्थ रखना, का डे्रस कोड में नहीं होना, दुकाने खोलने और बंद करने के समय में लापरवाही ठेकों पर ही बैठकर शराब पीना आदि कई नियमों की फजीहत आए दिन होती रहती है वहीं आबकारी विभाग शायद अपनी पहचान खो गया है। कार्रवाई के नाम पर विभाग की ओर से कभी कभार अवैध रूप से बेचने वालों पर ही कार्रवाई की जाती है लेकिन संचालित शराब के दुकानों पर कोई भी कठोर कदम उठाया नहीं जाता है। लगातार शराब की दुकानों पर चल रही गलत गतिविधियों की ओर आबकारी विभाग और प्रशासन   आखिर क्यों नजरअंदाज कर रहा है

नई आबकारी नीति हो या पुरानी, ठेकेदारों और आबकारी विभाग के मेलजोल के आगे तो आम आदमी की जेब ढीली हो रही है।नये नियम हो या पुराने इनको ताक पर रखना ठेकेदार अपनी शान समझते है तभी तो सभी शराब के ठेकों पर मदिरा को बढावा देने वाले विज्ञापन बोर्ड बडे अक्षरो मेें शराब की दुकानों पर लगाए जाते है जो कि आबकारी नीति के खिलाफ है। नियमानुसार मदिरा और अन्य मादक पदार्थो के उपयोग को प्रोत्साहित करने वाले विज्ञापनों आदि के विरूद्ध प्रचलित कानूनी प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। मदिरा, बीयर पीने के लिए विशेषकर युवाओं को लालायित या आकर्षित करने हेतु लगाएं गए प्रचार विज्ञापन बोर्ड आदि को हटाया जाएगा। लेकिन शहर क्या पूरे जिले में शराब की दुकानों पर ऐसे विज्ञापन लगे हुए है। आबकारी विभाग चाहे तो इन पर उचित रूप से कार्रवाई कर जुर्माना लगाया जा सकता है लेकिन पहले ही कह चुके है कि आबकारी विभाग अपनी नीति नियम भूल गया है।

वहीं कहीं कहीं तो शराब की दुकान समय पहले खुलती है और रात के  निर्धारित समय के बाद भी बेचने का ठाठ लेते है। नियमानुसार दुकानों पर निर्धारित सूचना जिनमें रेट लिस्ट, अनुज्ञाधारी का नाम, लाईसेंस नम्बर, अवधि के अलावा अन्य किसी प्रकार का विज्ञापन प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं है।। पहले भी अंकित मूल्य से अधिक राशि वसूली जाती थी।अब तो अधिकतर ग्राहक इतने परेशान हो गए है कि वो अंकित मूल्य को देखते तक नही। उनके लिए अंकित मूल्य सेल्समैन की जुबान।इस समय शराब की दुकानों पर बैठने वाले सेल्समैनों की चांदी कटती नजर आ रही है। अभी तक तो यह सेल्समैन 5 से 10 रुपये तक ओवर रेट प्रति पव्वा पर ले रहे थे, लेकिन अब बढी हुई रेटो का हवाला देते हुए 20 से 30 रुपये प्रति बोतल पर उगाही कर रहे हैं। इसमें खास बात यह कि बढी हुई राशि का जिक्र किसी ठेके के रेट लिस्ट बोर्ड पर नहीं लगा हुआ है

जिससे ग्राहकों को उचित राशि की जानकारी मिले। अब रेट लिस्ट ही नहीं लगी होगी तो किस बोतल या बीयर की कितनी रेट है वो तो मालूम नहीं होगा और सेल्समैन अपने द्वारा तय की गई रेट में ही शराब को बेचते है। ओवर रेट का यह धंधा सिर्फ नगर में ही नहीं फैला हुआ है। देहात क्षेत्रों में ओवर रेटिंग का पैमाना और ऊपर नजर आता है। इस ओवर रेटिंग के खेल में सेल्समैन से लेकर आबकारी विभाग तक मिले हुए हैं। जब कोई व्यक्ति इन सेल्समैनों का वीडियो या आडियो अपने मोबाइल में रिकार्ड कर लेते हैं। पहले तो यह सेल्समैन धमकी देने का प्रयास करते हैं। जब मामला तूल पकडता देखते हैं तो एक पव्वा मुफ्त में देकर या सस्ते में देकर मामले ठंडा कर लेते हैं। ऐसे कई मामले भी प्रकाश में आ चुके है।
शराब में पानी की मिलावट का धंधा

शराब पीने के शौकीनों के अनुसार शहर और शहर के आसपास में स्थित देहात क्षेत्र की देशी शराब की दुकान पर पव्वों में पानी मिलाकर बेचने का धंधा भी किया जा रहा है।दुकानों पर काम करने वाले सेल्समैन मिलावटी शराब बेचने में भी काफी माहिर हैं। देसी शराब के क्वार्टर व बोतल में यह लोग आसानी से उसका ढक्कन खोलकर पानी की मिलावट कर बेच रहे हैं। शराब पीने वाले लोग यह सब जानते हैं, लेकिन झगडे के डर के कारण यह लोग ज्यादा कुछ बोल नहीं पाते औरविरोध किए बिना ही शराब खरीदकर चलते जाते हैं। इससे साफ हो जाता है कि क्या इस ओर आबकारी निरीक्षक की नजर नहीं पडती है या मिलीभगत के चलते यह धंधा चल रहा है। यदि शिकायत के आधार पर आबकारी निरिक्षक इन दुकानों की जांच करता है तो शराब व्यवसायी और आबकारी विभाग के मेलजोल से ऐसे मामलों को निरिक्षण के दौरान ही रफा दफा किया जाता है।

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