पॉलीथिन का प्रयोग न कर पर्यावरण संरक्षित करेंः ज्ञानी जी महाराज

उन्नाव। बांगरमऊ नगर के माढापुर मार्ग पर स्थित भगवान विश्वकर्मा मंदिर प्रांगण में आयोजित सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस पूज्य संत एवं महामंडलेश्वर ज्ञानी जी महाराज ने आज चीरहरण लीला प्रस्तुत कर श्रद्धालु भक्तों को भावविभोर कर दिया। उन्होंने उपस्थित भक्तों से पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए पॉलीथिन का प्रयोग न करने का

उन्नाव। बांगरमऊ नगर के माढापुर मार्ग पर स्थित भगवान विश्वकर्मा मंदिर प्रांगण में आयोजित सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस पूज्य संत एवं महामंडलेश्वर ज्ञानी जी महाराज ने आज चीरहरण लीला प्रस्तुत कर श्रद्धालु भक्तों को भावविभोर कर दिया। उन्होंने उपस्थित भक्तों से पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए पॉलीथिन का प्रयोग न करने का संकल्प भी लिया।नगर के भक्तों द्वारा आयोजित कथा मंे महामंडलेश्वर ज्ञानी जी महाराज ने उपदेश दिया कि चीरहरण का अर्थ मानव के काम विकार को समाप्त करना है।

उन्होंने कहा कि गोपी जीव है और कृष्ण ब्रह्म है। जब जीव अपने ब्रह्म भगवान कृष्ण की शरण में जाता है। तब वह जीव के समस्त पाप नष्ट कर देते हैं। उन्होंने यह भी उपदेश दिया कि जब तक जीव अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर परमपिता परमात्मा से शरण की याचना नहीं करता तब तक उसे परमात्मा दर्शन नहीं देता। उन्होंने आज पर्यावरण प्रदूषण पर भी जमकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ने गेंद के बहाने यमुना के जल को शुद्ध किया। इसलिए भक्तों को भी भगवान कृष्ण का अनुकरण करना चाहिए और पॉलिथीन का प्रयोग पूर्णतया प्रतिबंधित करें। जिससे पर्यावरण शुद्ध हो और धरती पर मौजूद सभी जीवो को प्राणवायु प्राप्त हो सके।

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