चर्चित वन माफिया समूचे वन क्षेत्रों में करा रहा अवैध कटान

खैर की लकड़ी का हो रहा अवैध कारोबार तालबेहट। वीते दो वर्षो से तालबेहट व माताटीला वन क्षेत्रों में वन माफिया पूरी तरह सक्रिय है। यह गांव गांव अपने एजेंटों के जरिए खैर, सागौन, शीशम आदि प्रतिबंधित प्रजातियों के वृक्षों का जबरदस्त कटान कराते है। इसके अलावा बालू माफिया भी वन क्षेत्रों से अवैध कारोबार

खैर की लकड़ी का हो रहा अवैध कारोबार

तालबेहट।

वीते दो वर्षो से तालबेहट व माताटीला वन क्षेत्रों में वन माफिया पूरी तरह सक्रिय है। यह गांव गांव अपने एजेंटों के जरिए खैर, सागौन, शीशम आदि प्रतिबंधित प्रजातियों के वृक्षों का जबरदस्त कटान कराते है। इसके अलावा बालू माफिया भी वन क्षेत्रों से अवैध कारोबार को कर रहे है। इन अवैध कारोबार में वन कर्मियों की भूमिका भी रहती है। जिससे यह कारोबार समूचे क्षेत्र में जारी है।

तालबेहट वन रेंज के पवा, सरखड़ी, वर्मा बिहार, विरधा, कंधारीकलां, सेरवासकलां, कंधारीखुर्द समेत अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिबंधित प्रजाति की खैर की लकडी का कटान किया जा रहा है। म0प्र के एक चर्चित वन माफिया वन कर्मियों व पुलिस से पूरी तरह सेंटिग कर अपने एजेंटों के जरिए खैर की लकड़ी का कटान कराया जा रहा है। ग्रामों में दबंग युवकों केे जरिए मजदूरों से खैर, सागौन आदि की कीमती लकड़ी का कटान कराते है। फिर लोडर गाडियों से गांव में एक स्थान पर भंडारन कर दिया जाता।

जहां से ट्रक के जरिए यह कीमती लकडिय़ा बाहर भेजी जाती है। इसी तरह माताटीला वन रेंज के थानागांव, बिगारी, गौणवरी डांग आदि जगह से कीमती वृक्ष खैर, सागौन का कटान कराया जा रहा है। अवैध कटान के इस काले कारोबार में वन कर्मियों की भूमिका भी प्रमुख रहती है। इन्हे अधिकतर वन माफिया के अड्डो की जानकारी होती है तथा कटान की लकड़ी निकालने में यह अपनी भूमिका निभाते है। इसके अलावा पुलिस केे कुछ कर्मी भी इन अवैध कटान की निकलते ट्रकों की जानकारी रखते है। यदि इसी तरह क्षेत्र में अवैध कटान जारी रहा तो समूचे वन क्षेत्र बीरान हो जाऐगा।

वन क्षेत्राधिकारी प्रेमशंकर तिवारी का कहना है कि उन्हे कटान की यदि सूचना मिलती है तो वह कार्यवाई में पीछे नही रहते। यदि कोई वन कर्मी वन कटान की जानकारी रखता है और कार्यवाई नही कर रहा तो उसके खिलाफ भी कार्यवाई की जाऐगी।

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