सी०ई०एल० के निजीकरण के विरोध में फिर से भरी गई हुंकार किये गए जोरदार प्रदर्शन

 उस समय के तत्कालिक मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी जी ने सहर्ष प्रस्ताव की मंजूरी देते हुए भूमि अधिग्रहण विभाग को कड़कड़ मॉडल गांव के किसानों से बात करने को कहा।


 

लखनऊ , उत्तर प्रदेश 

सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड साइट 4,  क्षेत्र की स्थापना का इतिहास बड़ा ही रोचक रहा है। संचार क्रांति में सी०ई०एल० के द्वारा बनाए गये फेराईट पोट कोर की बहुत ही बड़ी भूमिका रही है। CVजि CV जीसका उपयोग टेलीफोन व अन्य उपकरण में किया जाता था। सन् 1970 के दशक में देश का दूरसंचार विभाग इस फेराईट कोर की कमी से जूझ रहा था।

 इस कमी को पूरा करने के लिए देश की राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला दिल्ली में स्थित ने जिम्मेदारी उठायी तथा इसके एक प्रभाग में शोध कार्य प्रारम्भ किया गया। आगे चलकर इस फेराईट कोर की आपूर्ति को पूरा करने के लिए एक उत्पादन इकाई का प्रस्ताव तत्कालीन वैज्ञानिक स्वर्गीय टी०बी० रामाकृष्ण मूर्ति जी ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को प्रस्ताव भेज कर सी०ई०एल० के निर्माण की इच्छा व्यक्त की। जिसके फल स्वरुप भूमि की तलाश के लिये यह प्रस्ताव हरियाणा सरकार को भेजा गया तथा धारूहेडा में प्लांट को लगाने का प्रस्ताव किया गया। परन्तु स्थानीय लोगों के विवाद के कारण यह प्रस्ताव उत्तर प्रदेश सरकार को भेजा गया।

उस समय के तत्कालिक मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने सहर्ष प्रस्ताव की मंजूरी देते हुए भूमि अधिग्रहण विभाग को कड़कड़ मॉडल गांव के किसानों से बात करने को कहा। किसानों के सामने प्रस्ताव रखा गया कि हर एक जमीन देने वाले के घर के एक सदस्य को नौकरी दी जाएगी तथा इस क्षेत्र का विकास होगा। इस प्रस्ताव को किसानों ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। जिसके परिणाम स्वरूप सन 1974 में सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड की स्थापना साईट 4, इंडस्ट्रियल एरिया, साहिबाबाद में की गयी। सी०ई०एल० की स्थापना में कड़कड़ मॉडल तथा स्थानीय किसानों का महत्वपूर्ण योगदान रहा जिन्होंने अपनी भूमि (50 एकड़ जमीन) सी०ई०एल० के निर्माण के लिये दिया।

आज भारत सरकार द्वारा सी०ई०एल० का निजीकरण किया जा रहा है। उस समय जिन किसानों ने अपनी भूमि का योगदान देशहित, समाज के हित के कार्य के लिए दिया था उसे वर्तमान में भारत सरकार आज निजीकरण के द्वारा उनके त्याग तथा बलिदान की भावना से खिलवाड़ कर रही है।

   शास्त्री जी ने किसानों को त्याग, बलिदान और साहस का प्रतीक मानते हुए जवानों के बराबरी का दर्जा देते हुये

                            जय जवान !                                                    जय किसान!

का नारा दिया था।

क्या करती है सी०ई०एल० :-

सन् 1974 में सी०ई०एल० की स्थापना देश की प्रयोगशालाओं द्वारा तकनीकी ज्ञान को अर्जित करने के बाद उत्पादन हेतु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत स्थापित किया गया था।

वर्तमान में कम्पनी:- भारतीय रक्षा-क्षेत्र में रडार में प्रयोग होने किये जा रहे फेज कंट्रोल माड़यूल की आपूर्ति देश की एकमात्र उत्पादक कम्पनी के रूप में कार्य कर रही है तथा साथ ही साथ मिसाइल में प्रयोग किये जा रहे रेडोम तथा अन्य कम्पोनेन्ट का उत्पादन कर रही है।
रेलवे सुरक्षा:- रेलवे में भी सेफ्टी उत्पादों का उत्पादन कर अग्रणीय भूमिका निभा रही है।

सतर्कता सुरक्षा क्षेत्र (एस०एस०जी०):- वर्तमान में प्रयोग किये जा रहे नये आधुनिक सुरक्षा प्रणालियों की परियोजनाओं को पूर्ण कर रही है।
सोलर पैनल:- 30 मेगा वाट के सोलर माड़यूल प्लांट के उत्पादन की क्षमता तथा सोलर पैनल पावर प्लांट का निर्माण तथा आपूर्ति हेतु निर्णायक भूमिका निभा रही है।

वित्तीय स्थिति एवं लाभ:-

कम्पनी पिछले 8 वर्षों से लगातार मुनाफा/लाभ अर्जित कर रही है तथा इस वर्ष 2020-21 में कम्पनी ने भारत सरकार को लाभांश के रूप में (Dividend) देने का प्रस्ताव भेजा था। इस वर्ष कम्पनी ने 298 करोड़ की बिक्री करते हुये 24 करोड़ का लाभ अर्जित किया है।

कर्मचारियों का योगदान:-

सी०ई०एल० में लगभग 1000 कर्मचारी कार्यरत हैं जिन पर लगभग 4000 से 5000 परिवार निर्भर हैं तथा सी०ई०एल० के कारण आसपास का विकास झंडापुर गांव, साहिबाबाद गांव, कड़कड़ मॉडल तथा भारत के कई कोने से लोग कर्मचारी के रूप में यहां कार्यरत हैं। अपने कठिन परिश्रम से पिछले 47 वर्षों से कम्पनी को इस ऊंचाई पर लाने का कार्य किया है।

सी०ई०एल० के निजी करण से नुकसान:- सी०ई०एल० एक राष्ट्रीय धरोहर है। जिसके निजीकरण के द्वारा, सी०ई०एल० द्वारा बनाये जा रहे रक्षा उपकरण का भी निजीकरण सुनिश्चित हो जाएगा। क्या कोई राष्ट्र अपने राष्ट्रीय सुरक्षा उपकरण के निजीकरण के द्वारा अपनी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकता है तथा अन्य उत्पादों के निजीकरण से निर्भरता बढ़ेगी एक तरफ सरकार आत्मनिर्भर भारत की बात करती है और दूसरी तरफ निर्भरता को बढ़ावा दे रही है

क्षेत्रीय विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा तथा समाज में लोगों के रोजगार को के साधन सीमित होंगे एवं बेरोजगारी बढ़ेगी। आज आसपास के जिलों के युवक जिनमें बुलंदशहर, गाजियाबाद, मेरठ, हापुड़, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, रुड़की, शामली तथा स्थानीय युवाओं के रोजगार में कमी आयेगी।

 

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