धर्मपुर गांव के पास दो दशक से मझुई नदी पर जर्जर मोहड़ी पुल से दर्जनों ग्रामीण करते हैं,आवागमन
भीटी अम्बेडकरनगर।
स्थानीय तहसील क्षेत्र के धर्मपुर गांव के पास मझुई नदी पर पुल ना बनने के कारण जर्जर मोहड़ी के बने पुल से दर्जनों गांवो के राहगीरो को जान जोखिम में डालकर सुल्तानपुर जिले में आवागमन के लिए मजबूर हैं।आलम यह है कि बारिश के समय नदी में उफान आने पर ग्रामीणों का आवागमन पूरी तरीके से बाधित रहता है।
वहीं कुछ आसपास के लोग मोटर साइकिल, पैदल या फिर साइकिल से नदी पर बने जर्जर सीमेंट पुलिया के भरोसे अपनी जान को जोखिम में डालकर यात्रा करते देखे जा सकते हैं। कुछ किसानों की फसलें नदी के उस पार हैं तो उन्हें नदी में तैर कर या फिर इसी जर्जर सीमेंट मोहड़ी के भरोसे अपनी खेती बारी देखने के लिए जाना पड़ता है। मझुई नदी पर पुल बन जाने से दर्जनों गांव के लोग सुल्तानपुर जिले में आने जाने के लिए आसानी होगी तथा कम से कम 10 किलोमीटर की दूरी कम तय करना पड़ेगा। तमाम चुनाव आए और जन प्रतिनिधि भी गये लेकिन इस पुल का निर्माण नहीं हो सका।
यह बात अलग है कि प्रत्येक चुनाव में प्रत्याशी इसका आश्वासन जरूर देते रहे कि इस बार इसका निर्माण हो जाएगा। परंतु दो दशक का लंबा समय बीत गया लेकिन मझुई नदी पर ग्रामीणों द्वारा जन सहयोग से बना मोहड़ी का पुल ही बाइक, साइकिल व पैदल यात्रियों के आवागमन को बहाल किये हुये है। भीटी तहसील के गांव सिलावट, लोढवा,उदयपुर रामनगर कर्री, जैतूपुर, मानिकपुर जामू, गोसाई का पूरा आदि गांव शामिल है। ग्रामीणों का कहना है कि जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से लगभग 50 हजार की आबादी को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
ग्रामीण रविंद्र प्रताप सिंह, शिवमंगल, राजेंद्र, प्रिंस सिंह, विकास सिंह, जगदीश, विदेशी, राममिलन, राम तीरथ यादव, अयोध्या प्रसाद गुप्ता, गौरव सिंह, आशुतोष मिश्रा, विशाल सिंह, मदन मौर्या, महेश प्रजापति, सुनील प्रकाश यादव, सोंटी सिंह आदि लोगो ने बताया कि आवागमन में हो रही असुविधा के चलते दो दशक पूर्व ग्रामीणों के जन सहयोग से धर्मपुर गांव के पास सीमेंट पाइप के पुल का निर्माण किया गया था। ग्रामीण किसी तरह ही इस जर्जर पुल से जान जोखिम में डालकर आवागमन कर रहे हैं। बरसात के महीने में नदी जब उफान पर आती है तो आवागमन पूरी तरीके से बंद हो जाता है।
ज्यादा आवश्यक काम पड़ने पर नदी में तैर कर पार करना पड़ता है। चुनाव के समय गांव में प्रत्याशी आते हैं तो आश्वासन देकर जाते हैं कि इस बार पुल का निर्माण करा दिया जाएगा यह कह कर चले जाते हैं। प्रत्याशी बातों से ही पुल बना कर चले जाते हैं। चुनाव जीतने के बाद प्रत्याशी गांव में नजर नहीं आते है। जिसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है।