समय समय पर लग चुका है आरोप अधिकारी लेते हैं पैसा स्वतंत्र प्रभात अम्बेडकर नगर आलापुर मामला आलापुर तहसील अन्तर्गत ग्राम सभा मंसूर गंज में कुछ दिन पहले ग्राम सभा की आधी से ज्यादा आबादी कोटेदार राममिलन के विरोध में आ जाने से और जांच में घटतौली की सत्यता पाने से जांच अधिकारी ने
समय समय पर लग चुका है आरोप अधिकारी लेते हैं पैसा
स्वतंत्र प्रभात
अम्बेडकर नगर
आलापुर
मामला आलापुर तहसील अन्तर्गत ग्राम सभा मंसूर गंज में कुछ दिन पहले ग्राम सभा की आधी से ज्यादा आबादी कोटेदार राममिलन के विरोध में आ जाने से और जांच में घटतौली की सत्यता पाने से जांच अधिकारी ने कोटा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था,
परन्तु अभी निलम्बित हुए ज्यादा दिन भी नहीं हुआ और सम्पर्क सूत्रों के अनुसार कोटेदार राममिलन का कोटा बहाल कर दिया गया, जिससे ग्रामीण पुनः विरोध करने की तैयारी में लग गए।आलापुर तहसील के ग्राम सभा मंसूर गंज में लॉकडाउन के दौरान ग्रामीण जनता इतनी उग्र हो गई थी, कि उनको संभाल पाना मुश्किल था उग्र होने का कारण भी था कोटेदार राम मिलन द्वारा सरकार द्वारा दिए जाने
वाला गरीबों को राशन कम तथा सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत भी वसूलता था जिसको लेकर मंसूर गंज के राशन उपभोक्ता तहसील से लेकर जिला तक बहुत अधिकारियो के पास शिकायत किए,जब इनकी मुलाकात मीडिया से हुई तो मामला तूल पकड़ लिया यहां तक ग्रामीणों का आरोप था कि अपना हक मांगों तो कोटेदार द्वारा भद्दी भद्दी गालियां मिलता है ,और लगभग पूरा
गांव एकजुट होकर विरोध करने लगा , जिससे मजबूर होकर खाद्य एवं रसद विभाग आलापुर ने तत्काल प्रभाव से सरकारी राशन की दुकान को निलंबित कर दिया, जिससे ग्रामीण लोगों ने राहत की सांस ली कि अब शायद घोटाले बाज और उपभोक्ताओं को अपशब्द कहने वाले कोटेदार से राहत मिल सके ,परन्तु उनका सपना ज्यादा दिन
तक नहीं टिक पाया और प्राप्त जानकारी के अनुसार पुराने कोटेदार राममिलन को पुनः बहाली कर दी गई ।बात उठती है कि किस आधार पर ऐसे ही घोटालेबाज और अपशब्द कहाने वाले कोटेदार को किस तरीके से बहाली की, जिसका लगभग पूरा गांव विरोध कर रहा है आखिर में कौन है बहाली करने वाला अधिकारी, किस के कलम से हो सकती है बहाली क्योंकि जो अधिकारी जांच करने गए थे
ग्रामीण से रूबरू हुए और ग्रामीणों द्वारा शिकायत को सही पाया , यह बात खुद मीडिया में जांच अधिकारी ने बताया था तभी तो निलंबित हुआ परंतु बहाली क्यों जब मामले को सही पाया गया, क्या खाद एवं रसद विभाग द्वारा ऐसे घोटालेबाज कोटेदार का रिकवरी कर गरीबों का हक वापस किया गया ,या कोटेदार क्या सजा मिली यह बात
किसी को नहीं पता परंतु यह बात सत्य है कि केवल आलापुर ही नहीं जिले के कोने-कोने से खबरें आती रही की यहां का कोटेदार ऐसा कर रहा है परंतु कहीं पर जल्दी कोई कार्रवाई नहीं ऐसा क्यों, क्या नीचे से ऊपर तक पूरा सिस्टम बिक तो नहीं गया है इस बात से पूरी तरीके से साबित होता है कि सिस्टम बिक गया है कोई कितना लूटे किसी के शिकायत पर
कोटेदार कुछ होने वाला नहीं है समय-समय कोटेदार द्वारा सप्लाई विभाग के अधिकारियो के उपर बयान भी आया उपर तक मैनज करना पड़ता है,यह बयान अलग-अलग समय पर जलालपुर और आलापुर तहसील के कोटेदार ही दे चुके है अगर कोटेदार गलत बोले अधिकारियों के उपर,तो उनके उपर कार्य वाही क्यों नहीं, ऐसे ही मैं खुद एक गांव के मैटर को दो बार उठाया दोनों बार कोटेदार द्वारा कम राशन और अधिक कीमत लेने का मामला प्रकाश में आया और दोनों बार इस मामले को आलापुर खाद्य एवं रसद विभाग को बताया परन्तु कुछ भी नहीं हुआ इससे साबित होता है उपर तक
पैसा जाता है जिससे अधिकारी कार्यवाही नहीं करते अगर करते भी हैं कुछ दिनों बाद बहाली कर देते। इससे साबित होता खाद्य एवं रसद विभाग में भ्रष्टाचार कभी नहीं रूकेगा क्योंकि अधिकारी को चाहिए कमीशन और गरीब जनता राशन पाये या नहीं।अगर बात को सत्य पाए जाने पर कोटेदार की बहाली की जाती है तो कम से कम जो गरीबों को
राशन कोटेदार द्वारा हड़पा गया है उसको तो वापस करनी चाहिए, क्योंकि मंसूर गंज मामले में हैं जांच अधिकारी यह कह चुके हैं कि कोटेदार के ऊपर लगा आरोप सत्य है।