आखिर कब नींद से जागेगा जल संस्थान, शहरवासी दूषित पानी पीने को मजबूर

जलसंस्थान की लापरवाही से नलों मेंं नही आता पानी, और जब आता है तो वो भी दूषित ललितपुर। जलसंस्थान विभाग की नगर मेंं साफ व स्वच्छ पेजलापूर्ति कराने की जिम्देारी है। परन्तु शहरवासियों को न तो समय पर पानी मिल रहा है और जहां थोड़ा बहुत पानी भी मिल रहा है तो वहां की स्थिति


जलसंस्थान की लापरवाही से नलों मेंं नही आता पानी, और जब आता है तो वो भी दूषित


ललितपुर।

जलसंस्थान विभाग की नगर मेंं साफ व स्वच्छ पेजलापूर्ति कराने की जिम्देारी है। परन्तु शहरवासियों को न तो समय पर पानी मिल रहा है और जहां थोड़ा बहुत पानी भी मिल रहा है तो वहां की स्थिति भी बहुत खराब है। जलसंस्थान के अधिकारियों व कर्मचारियों की लापरवाही के कारण  शहरवासी दूषित पानी पीने के लिये मजबूर है।

जनता को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के लिये ट्रीटमेंंट प्लांट लगाया गया है। परन्तु ट्रीटमेंट प्लांट में कई  साफ तैरती हुयी नजर आ रही है, इसके बावजूद भी ट्रीटमेंंट प्लांट की सफाई नही की जा रही है। जिस कारण लोग दूषित पानी पीने के लिये मजबूर है। दूषित पानी पीने से संक्रमाक बीमारियां फैलने का खतरा भी लोगो को बना हुआ है।


जल संस्थान में पानी की आपूर्ति गोविंद सागर बांध से की जाती है गोविंद सागर बांध से आया हुआ पानी काफी दूषित होता है जिसके लिए जल संस्थान में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया है। जो पानी को शुद्ध कर शहर की जनता को सप्लाई होता है, ट्रीटमेंट प्लांट की सफाई पिछले महीने दस अप्रैल को हुयी थी।

आज रविवार को ट्रीटमेंट प्लांट को देखा गया, तो ट्रीटमेंट प्लांट के पानी में कइ तैरती हुयी साफ नजर आ रही है। आई। जनपद ललितपुर के स्थानीय शहर में लगभग पौने दो लाख लोगों की आबादी है, जिसे हर रोज पीने के लिए पानी की व्यवस्था के लिए जल संस्थान द्वारा पेयजल आपूर्ति की जा रही है, लेकिन ट्रीटमेंट प्लांट के पानी में कई तैरती नजर आ रहीं है। उसके कारण शहर के लोगों को संक्रमक बीमारियों की कगार पर खड़ी हो गई है। यहां पर संक्रमण बीमारियां कभी भी अपना डेरा डाल सकती है।


जल संस्थान डोडाघाट पर जल संस्थान का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट मानकों को ताक पर रखकर संचालित किया जा रहा है। शहर वासियों को प्रदूषित पेयजल की सप्लाई इस बात की गवाही दे रही है कि अधिकारियों द्वारा कितनी लापरवाही बरती जा रही है। टंकीयों की सफाई का ध्यान नहीं रखा जाता जिससे इसको पीना बहुत मुश्किल है। मगर पानी के बिना कोई भी व्यक्ति का जिंदा रह पाना मुश्किल है इसलिए मजबूरी में यह प्रदूषित पानी पीने के लिए शहर वासी मजबूर है।


टंकी भरने के लिये है नौ मोटरें


डोडाघाट जल संस्थान से लगभग शहर की पौने दो लाख लोगों की आबादी को पेयजल उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी है, जिसके लिए डोडाघाट जल संस्थान से नौ मोटरों से पानी की टंकी को भरने के लिए उपयोग की जा रहीं है। जिसके अंतर्गत तीन मोटरों से लोवर जॉन में बनी पानी की टंकी भरने के लिए चलायी जाती, दो मोटरों से आजादपुरा में बनी पानी की टंकी भरने के लिए, दो मोटरे पटेल नगर में बनी पानी की टंकी के लिए व दो मोटरे नदीपुरा में बनी पानी की टंकी भरने के लिए चलायी जाती है।


शहर मेंं जलापूर्ति का समय नही है निर्धारित


गर्मी में अगर पानी चाहिए तो सुबह चार बजे से जागते रहो और दिन में तपती दोपहरी में हैंडपंपों से पानी भरते रहे। शहर के गांधी नगर व आजादपुरा सहित कई मुहल्लों में नलों की आपूर्ति का कोई समय निधारित नहीं होने से उपभोक्ता परेशान हो रहे है। कर्मियों की मनमानी के चलते शहर के विभिन्न इलाकों में पानी आपूर्ति मनचाहे समय पर हो रही है। हालत यह है कि सुबह चार बजे, तो कभी सुबह साढे छै बजे,

तो कभी मात्र दस मिनिट ही पानी की आपूर्ति की जा रही है। लेकिन समय पर रोज पानी नहीं मिल पाता। अगर आप सो गये तो नल आकर चले जाएं और आप पानी से वंचित रह रह जाएं। आप जागकर इंतजार करते रहें तो जरूरी नहीं नल समय पर आ ही जाएं। ऐसी व्यवस्था ने लोगों को त्रस्त कर रखा है।

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