अपात्र हो रहे लाभान्वित ,पात्र है परेशान,यही हैं सरकारी योजना का हाल

अम्बेडकर नगर । सरकार गरीबों के लिए एक से एक योजना निकाल रही है कि गरीब व्यक्ति योजना का लाभ लेकर अपना जीवन यापन कुछ सही तरीके से कर सके ,चाहे वह किसान हो, पशुपालक हो या बिजनेस मैन ,सरकार के पास सभी के लिए कुछ ना कुछ योजना है परंतु क्या यह लाभ पात्र

अम्बेडकर नगर । सरकार गरीबों के लिए एक से एक योजना निकाल रही है कि गरीब व्यक्ति योजना का लाभ लेकर अपना जीवन यापन कुछ सही तरीके से कर सके ,चाहे वह किसान हो, पशुपालक हो या बिजनेस मैन ,सरकार के पास सभी के लिए

कुछ ना कुछ योजना है परंतु क्या यह लाभ पात्र पा रहे हैं या नहीं , अपात्र इसका कितना फायदा उठा रहे हैं अपने जुगाड़ के बल पर,क्या जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी पात्रों के साथ दे रहे हैं या अपात्रों का, ये तो वही बता सकते हैं।

बसखारी ब्लाक के अंतर्गत ग्राम सभा पृथ्वीपुर में सरकार द्वारा संचालित व्यक्ति गत गौशाला जो सरकार द्वारा पशुपालकों के लिए बनवाया जाता है पृथ्वीपुर में भी उसी योजना के अंतर्गत गौशाला बना है जो कि सीधे सीधे अपात्र व्यक्ति को मिला है, हमने जब सहायक विकास अधिकारी पंचायत बसखारी से पूछा कि

गौशाला के लिए क्या नियम और शर्ते हैं तो सहायक विकास अधिकारी पंचायत ने बताया कि सर्वप्रथम व्यक्ति गरीब होना चाहिए और उसके पास कम से कम 3 से 4 जानवर तो होना ही चाहिए तभी वह व्यक्तिगत गोशाला का पात्र हो सकता है अन्यथा नहीं ।
जब बसखारी ब्लॉक के ही ग्राम सभा पृथ्वीपुर की बात उठाई गई कि ग्राम सभा पृथ्वीपुर में बने गौशाला आपके बताए गए नियम के विरुद्ध बना है और जब उन्होंने नाम पूछा तो बताया गया पहले तो उसके पास जानवर नहीं है, वहां अपने भाई की एक छोटी सी जानवर को अपना बता रहा है जबकि प्रधान के अनुसार वह

जल्द लाया है अपने भाई के लिए,अगर यह जानवर उसका ही है तब भी यह तीन या चार जानवर का मानक नहीं पूरा कर रहा है और उसके पास दो तल्ला मकान भी है तथा रोजगार सेवक और ग्राम प्रधान प्रतिनिधि है ऐसे आदमी को गौशाला कैसे मिला, परंतु गोशाला का सीधा अर्थ जिसमें जानवर रखा जाए और मानक भी है 3 से 4 जानवर सहायक विकास अधिकारी के अनुसार ,जब

उसके पास जानवर ही नहीं तब गौशाला किसलिए , जबकि उन्हीं के गांव में उन्हें के आसपास कई घर ऐसे हैं जिनके पास जानवर है कोई प्लास्टिक के पल्ली के नीचे रह रहे हैं क्या इनको गांव वाले की जरूरत नहीं गौशाला की? जब इस बात को सहायक विकास अधिकारी पंचायत के पास रखा गया उन्होंने कहा कि आप प्रचार करें और पात्र को बताए कि वह ब्लाक पर आकर आवेदन करें तो उनको जरूर मिलेगी परंतु सवाल इस बात का है क्या मीडिया वाले जाकर सभी योजनाओं की जानकारी घर-घर देंगे तो सरकार

ग्राम पंचायत सचिव ,ग्राम प्रधान, और रोजगार सेवक किस लिए रखी है, क्या प्रधान जी और ग्राम पंचायत सचिव को योजनाओं के बारे में लोगों को जानकर नहीं देनी चाहिए क्या मीडिया वाले जाकर घर घर बताएंगे कि क्या योजना निकली है क्या प्रधान और ग्राम पंचायत सचिव को नहीं पता है किसलिए गौशाला बनवा रहे हैं जब जानवर ही नहीं है कहीं गौशाला के स्थान पर अपने रहने की व्यवस्था तो नहीं कर रहे हैं।


जब उसी गांव के दूसरे का गौशाला पर पहुंचा गया तो वहां पर भी कोई पशु नहीं मिला पूछने पर प्रधान जी बोले क्योंकि घर पर जानवर हैं यह गौशाला घर से दूर बना है घर पर जानवर रखने की व्यवस्था है इसलिए यहां पर नहीं रखें है सवाल यह उठता है कि जब उनके पास जानवर रखने की व्यवस्था है तो सरकारी
लाभ किसी गरीब को दे दिए होते जो जानवर को रखने की अच्छी तरीके से मड़हा भी नहीं रख सकते।


सूत्रों के अनुसार उसी गांव में एक गौशाला और पास हुआ है जिनके पास भी एक जानवर है या वह भी नहीं है उनके पास ही पक्का मकान , गोशाला बनना प्रारंभ हुआ कि नहीं ,यह नहीं बता सकते परंतु जिनका नाम सामने आया है वह भी चौंकाने वाला नाम है वह है ग्राम सभा के कोटेदार रमेश सिंह जिनके पास ही रिहायशी पक्का मकान है और ग्राम सभा कोटेदार भी हैं।

जब पात्रों के बारे में सहायक विकास अधिकारी पंचायत बसखारी से पूछा गया कि जो बन गया है उसके लिए आप क्या कार्रवाई करेंगे तो उन्होंने कहा कि जब कोई शिकायत करेगा तो देखा जाएगा इसका मतलब मीडिया वाले उनके सामने सच्चाई सामने ला रहे हैं परन्तु उनको गांव के किसी व्यक्ति से शिकायत चाहिए।
बताना चाहते हैं पहला गौशाला राजेंद्र कुमार पुत्र राम आसरे जो हमेशा प्रधान जी के साथ रहते है जिनको प्रधान प्रतिनिधि के रूप में जाना जाता है लोग कहते हैं यही रोजगार सेवक हैं तथा दूसरा गौशाला महेंद्र पुत्र त्रिलोकी के नाम से गौशाला बना मिला।

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