अंबेडकर नगर का सप्लाई विभाग जन सूचना पर देता है गलत सूचना

कोटेदारों पर करता नहीं कार्यवाही,चाहे जितना दाम में बेचे गरीबों को राशन सप्लाई विभाग के उपर भी लग चुका है रिश्वतखोरी का आरोप फिर भी मौन कोटेदार द्वारा गुनाह कबूलने पर भी विभाग रहता है मौन कहीं सप्लाई विभाग गरीबों के राशन से मलाई तो नहीं खा रहा जिला अम्बेडकर नगर में पूर्ति विभाग पूरी

कोटेदारों पर करता नहीं कार्यवाही,चाहे जितना दाम में बेचे गरीबों को राशन

सप्लाई विभाग के उपर भी लग चुका है रिश्वतखोरी का आरोप फिर भी मौन

कोटेदार द्वारा गुनाह कबूलने पर भी विभाग रहता है मौन

कहीं सप्लाई विभाग गरीबों के राशन से मलाई तो नहीं खा रहा

जिला अम्बेडकर नगर में पूर्ति विभाग पूरी तरीके से भ्रष्ट हो चुका है कहीं पर राशन की घटतौली की आवाज उठती तो कही पर कोटेदार द्वारा निर्धारित मूल्य से अधिक जनता के दाम ज्यादा लिया जाता है तो कही पर राशन कार्ड में नाम फीड कराने के लिए 100 से 500 रूपए तक वसूला जाता है इसको हमने अभी तक समय समय पर जिले के जलालपुर,टांडा और आलापुर तहसील के ग्राम सभा में देख चुके हैं जिम्मेदार अधिकारियों से बात करने पर जांच के नाम पर टालते रहते हैं और करते कुछ नहीं, जबकि सामने साबूत दिखाने पर यह हाल है सप्लाई विभाग का।

अब हम चर्चा करते हैं आलापुर तहसील के अंतर्गत ग्राम सभा मूसेपुर कला में दो राशन की दुकान है जिसमें से एक राशन की दुकान के मालिक राजकरन है जिनके दुकान पर कुछ माह पहले जाने पर राशन का वितरण हो रहा था जनता ने बयान दिया कि कोटेदार ₹3 और ₹4 किलो के हिसाब से राशन देते हैं जब राजकरन कोटेदार से पूछा गया तो उन्होंने जनता के बयान को सही बताया जिसकी सूचना सप्लाई विभाग आलापुर में उस समय साबूत सहित दिखाया गया परन्तु जांच के नाम पर कुछ हुआ ही नहीं।

इसको देखते हुए दिनाक 19 जुलाई 2019 को जन सूचना मांगा गया तो जनसूचना नहीं दिए, प्रथम अपील 28 नवंबर 2019 को किया गया जिसकी जन सूचना समय बीत जाने के बाद अब प्राप्त हुआ है वह भी गलत और जो जन सूचना मांगी गई है उससे कहीं हटकर मिला है जैसे कुर्सी पर बैठे जिम्मेदार अनपढ़ हैं तारीख तक नहीं पढ़ना जानते हैं फिलहाल जनसूचना में देरी होने से राज्य सूचना आयोग में अपील हो चुकी हैं अब तो वहीं पता

चलेगा कि क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी को तारीख पढ़ना आता है कि नहीं फिलहाल जो सूचना मिली है वह इस प्रकार है
जन सूचना में सन 2016 और 2017 का वितरण रजिस्टर की छाया प्रति तथा सन 2019 का स्टाक की छाया प्रति मांगी गई थी, स्टॉक रजिस्टर की छायाप्रति 2019 की मांगी गई थी, क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी ने 2016 और 2017 का स्टॉक रजिस्टर ही दे दिया वह भी देखने में गलत दिखती है जबकि वितरण रजिस्टर की छाया प्रति उन्होंने दिया ही नहीं शायद क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी

या तो दिनांक तक नहीं पढ़ना जानते हैं या तो आर टी आई मांगने वाले को बेवकूफ समझते हैं और जो स्टॉक रजिस्टर की छाया प्रति है उसमें भी अनेक प्रकार की कमियां है जिससे वह गलत लगता है की रजिस्टर की मूल प्रति ना दे कर के कहीं अलग से पन्ने पर लिखकर दिया गया है क्योंकि पूरी रजिस्टर एक ही राइटिंग और एक ही कलम से बनाया गया है यह जनसूचना पर साफ दिखता है तथा जिस राइटिंग मे रजिस्टर बनाया गया है लगभग उसी राइटिंग में अधिकारियों के हस्ताक्षर भी हैं मान लीजिए रजिस्टर पर लिखने वाले कोटेदार की राइटिंग और

अधिकारियों की राइटिंग एक हो सकती है परंतु यह बात समझ से परे है की एक ही महीने में तो रजिस्टर के छायाप्रति पर रामनगर और टांडा के नाम से अलग अलग कार्यालय का मुहर हो और दोनों पर हस्ताक्षर भी एक जैसे, यही से पता चलता है कि स्टॉक रजिस्टर में भी मूल प्रति ना दे करके डुप्लीकेट दिया गया है आखिर में क्यों , एक ही समय में एक ही व्यक्ति दो स्थानों पर अलग-अलग स्थानो पर ड्यूटी करेगा वह भी पहला स्थान खाद

एवं रसद विभाग उत्तर प्रदेश केंद्र रामनगर तथा दूसरा आरके बी के लिमिटेड टांडा , दोनों स्थानों का पन्ने पर मुहर लगा है एक हैं सरकारी विभाग दूसरा लिमिटेड और हस्ताक्षर एक, यह कैसी ड्यूटी हैं इसका जवाब अब राज्य सूचना आयोग के पास से मिल सकता हैं।
परंतु वितरण रजिस्टर क्यों नहीं दिया गया यह भी सोचनी विषय आखिर उसमें क्या छुपाया जा रहा है क्या कोटेदार राजकरन द्वारा कहीं उसमें ज्यादा हेराफेरी तो शामिल नहीं है, कहीं अपात्रों को राशन तो नहीं दिया गया है या राशन कार्ड में नाम होते हुए कुछ व्यक्तियों को राशन ही नहीं दिया गया हो।

क्योंकि विगत वर्षों में मूसेपुर कला गांव की मुस्लिम महिला ने कोटेदार पर आरोप लगाया था वह भी तहसील दिवस में शिकायती पत्र देकर कि उसका अंतोदय कार्ड काट दिया गया है और उसका नाम लगातार 6 साल से था कभी भी राशन नहीं दिया और मामला सही भी निकला था क्योंकि कोटेदार बोल रहे थे गलती से तीन चार महीने चढ़ गया था और जांच अधिकारी रिपोर्ट भी लगाते थे परंतु जब पुरानी लिस्ट सामने रखा गया तो सबकी

आंखें खुली की खुली रह गई और पता चल जाए कि लगभग 6 साल से उस गरीब महिला का राशन कोटेदार डकार रहे थे और इतना ही नहीं जब उस महिला का पुनः अंतोदय में नाम चढा जिसके स्थान पर वह भी सोचनीय विषय थी क्योंकि कटने वाला व्यक्ति कोटेदार के खानदान से उसके घर में सरकारी नौकरी जबकि महिला विधवा असहाय और कैसर पीड़ित महिला रही जिसको अब भी चन्दा लगाकर लोग दवा कराते हैं। शायद इसीलिए रजिस्टर छुपा रहा है क्योंकि उस महिला के तरीके गांव में और भी व्यक्ति होंगे‌। सूचना में लिखा गया है कि वितरण

राजिस्टर की सूचना कार्यालय में उपलब्ध नहीं है ,तो जब राजिस्टर सुरक्षित नहीं रखना है तो उस समय किस कारण राजिस्टर बनाया जा रहा था लोगों का हस्ताक्षर कराया जा रहा था ,लोगों के हस्ताक्षर को कूड़ेदान में डालने के लिए ,क्या मतलब था वितरण राजिस्टर बनाने का ।

परंतु यही पर भ्रष्टाचार नहीं है समय-समय पर कई जगह से समाचार आया कि कहीं पर कोटेदार राशन कम दे रहे हैं तो कहीं पर पैसा ज्यादा लिया रहा है यहां तक कि जलालपुर तहसील के भियांव गांव के कोटेदार अब्दुल अहद ने यहां तक आरोप कुछ दिन पहले लगाया था कि सप्लाइ विभाग को 25 रूपए कुंटल कमीशन भी देना पड़ता है परन्तु विभाग इसका जवाब देने के बजाय मौन है जैसे वह गूगा बहरा और अपंग हैं।

शायद लगभग सभी विभाग ऐसा है आरोप लगता रहे विभाग मौन रहे और कुछ नहीं होता परंतु इन सबके के बीच एक विभाग ऐसा है जिसके उपर कुछ भी इल्जाम लगते ही बेचारे लाइन हाजिर हो जाते हैं वह है ”पुलिस विभाग”

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