पालायुक्त मौसम में गेहूं की फसल रोग ग्रस्त

पालायुक्त मौसम में गेहूं की फसल रोग ग्रस्त


कृषि विज्ञान केंद्र पाती के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ राम जीत एवं पादप सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ प्रदीप कुमार ने प्रक्षेत्र भ्रमण करते हुए पाला युक्त मौसम में गेहूं की फसल रोग ग्रस्त हेतु किसान भाइयों को यह सुझाव देते हुए कहा कि बुवाई किए गए गेहूं की फसल में पौधों का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। इसका मूल कारण कृषकों द्वारा अधिक बीज की बुवाई एवं जैविक खादों के प्रयोग ना करने से कार्बन नाइट्रोजन अनुपात मृदा में असंतुलित है। पौधों की अधिक संख्या एवं सिर्फ रसायनिक उर्वरक बुवाई के समय प्रति बीघा अर्थात 140 किलोग्राम NPK एवं यूरिया 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर का प्रयोग दर्शाता है कि पौधों के लिए निर्धारित 17 पोषक तत्व खाद एवं उर्वरक के रूप में प्रयोग नहीं किया गया है जिसका अर्थ है कि पौधों में पोषक तत्व की कमी के लक्षण दिखाई दे रहे है।

पौधों में संपूर्ण पीलापन दिखाई देने से नाइट्रोजन की कमी परिलक्षित है।यूरिया 2 प्रतिशत गोल अथवा नैनो नाइट्रोजन @4ml प्रति लीटर पानी मैं घोलकर छिड़काव पानी में घोलकर छिड़काव करें। यह समस्यापूर्वधान की फसल में जिंक के प्रयोग ना करने से धान की फसल द्वारा अवशोषण करने से उत्पन्न हुई है इसी प्रकार कोहरा युक्त मौसम में गेहूं की पत्तियों में सिरों पर गुलाबी पन है जो प्रकाश सश्लेशन के अभाव में मैग्नीशियम की कमी दर्शाता है। 5 ग्राम Mg- सल्फेट+ यूरिया 2 प्रतिशत घोलका प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें। प्रति 1 हेक्टेयर 5 किलोग्राम मैग्नीशियम सल्फेट को 20 किलोग्राम यूरिया सहित 800 से 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना उचित है सल्फेट आधारित उर्वरक एवं दवाओं के लिए बुझा हुआ चूना अथवा यूरिया अवश्य मिलाकर घोल बनाते हुए छिड़काव करना चाहिए

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