वोट के महत्व को समझे आम आदमी 

लोकसभा चुनाव के दो चरण पूरे हो चुके हैं और तीसरे चरण के लिए विभिन्न राजनैतिक दलों द्वारा चुनाव प्रचार जारी है लेकिन सबसे बड़ी चिंता है मतदान का गिरता प्रतिशत। जिससे कि हर दल हताश हो रहा है। हमको मतदान क्यों करना चाहिए हम इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं। यदि हम मतदान नहीं करते हैं तो हमें किसी भी राजनैतिक दल या नेता की बुराई करने का अधिकार नहीं है। क्यों कि बुराई तो हम तब करेंगे जिसके विरोध में हमने मतदान किया हो। और उसकी भी बुराई कर सकते हैं जिसको हमने चुना और वह हमारी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। हमारा मतदान ही हमारे प्रत्याशी का चयन करता है। कहीं न कहीं हम किसी प्रत्याशी के लिए चाहते हैं कि जीत इसको मिलनी चाहिए और हम मतदान नहीं करते हैं तो कभी कभी कम मतदान की वजह से भी वह प्रत्याशी चुनाव हार जाता है। सही आंकलन हम तभी कर सकते हैं जब ज्यादा से ज्यादा मतदान हो।
 
हो सकता है अत्यधिक गर्मी के कारण भी इस मतदान प्रतिशत में कमी आ रही हो। लेकिन इस लोकतंत्र के पर्व को हमें हर मौसम का मुकाबला करके मनाना ही होगा। यह हमारा सौभाग्य है कि हम सरकार को चुनते हैं और वही सरकार पांच वर्षों तक हमारे लिए कार्य करती है। मतदान निष्पक्ष होता है यदि आप वोट डालते हैं तब। क्यों कि कम मतदान में सही और ग़लत में अंतर को हम ढूंढ ही नहीं सकते। वोट डालने के लिए हमारे अंदर उत्साह होना चाहिए। और अगर कोई भी प्रत्याशी समझ में नहीं आता है तो हमारे पास नोटा का भी विकल्प है। लेकिन मेरी समझ से नोटा का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि वह वोट न देने के बराबर ही हो जाता है। इसलिए हमें तमाम प्रत्याशियों में से एक को तो चुनना ही होगा।
 
 हमारे देश का लोकतंत्र बहुत ही खूबसूरत है किसी की भी तानाशाही नहीं है। यदि हमको कोई प्रत्याशी या सरकार ग़लत लगती भी है तो हमें अधिकार है कि पांच साल बाद हम उसको उखाड़ फैंके। कभी कभी हम यह सोच लेते हैं कि करोड़ों लोग मतदान करेंगे यदि हम अपना एक वोट नहीं डालेंगे तो उससे क्या हो जाएगा। मान लीजिए हर आदमी ऐसा ही सोचले तब क्या होगा। एक चुनाव में कितना पैसा हमारा खर्च होता है। हम इस पैसे को इस तरह बर्बाद नहीं कर सकते। कम मतदान का मतलब है कि हमने अपने सही प्रत्याशी को चुना ही नहीं। क्यों कि जब ज्यादातर वोट पड़ा ही नहीं तो हम कैसे उसे सर्व सम्मति मान लें।
                  हम प्रत्याशी को चुनते हैं और प्रत्याशी हमारी सरकार और देश के मुखिया को चुनती है। हमने देखा है कि अधिकांश उच्च आय वर्ग का व्यक्ति मतदान से दूर रहने की कोशिश करता है और आम छुट्टी समझकर वह घर में ही आराम करता है। ये छुट्टी हमें आराम करने के लिए नहीं मिलती यह तो हमें अपने देश का भविष्य चुनने के लिए मिलती है। मध्यम वर्ग में भी लोअर मीडियम ही मतदान करने को ज्यादातर निकलता है। यानि कि वह उनसे ज्यादा समझदार है जो कि मतदान के दिन आराम करते हैं। हमारी सरकार ने वृद्ध लोगों और दिव्यांग लोगों के लिए घर में ही मतदान की व्यवस्था की है। तथा सरकारी कर्मचारी जिनकी ड्यूटी मतदान में लगती है उनके लिए पोस्टल बैलेट की व्यवस्था की है जब सरकार इतनी सुविधाएं दे रही है तो हम मतदान से दूर क्यों भागे।
 
यह सत्य है कि धूप में मतदान करने में असुविधा होती है। इसका असर भी कम मतदान पर पड़ता है। लेकिन इतना ज्यादा समय नहीं लगता जितना कि हम सोच लेते हैं। हमारे देश की पुलिस, सैना की टुकड़ियां, अर्धसैनिक बल, पीएसी धूप में खड़े होकर निष्पक्ष मतदान के लिए कठिन तपस्या करती है तो हमारा भी फर्ज बनता है कि हम अपने मताधिकार का प्रयोग अवश्य करें। मजबूत लोकतंत्र के लिए यह बहुत ही आवश्यक है। एक समय था कि मतदान के लिए वाहनों पर रोक लग गई थी लेकिन अब उसकी मजबूरियों को समझते हुए वह रोक भी समाप्त कर दी गई है। आप आराम से किसी भी साधन से आकर मतदान कर सकते हैं। कई देश ऐसे हैं जहां तानाशाह शासन चल रहा है। यह हमारा सौभाग्य है कि हम ऐसे देश में रहते हैं जहां दुनिया का सबसे बड़ा और खूबसूरत लोकतंत्र है।
 
एक अरब पचास करोड़ की आबादी से मतदान करवाना कोई आसान काम नहीं है किस तरह इतनी जनसंख्या के लिए मतदान की तैयारियां की जाती हैं चुनाव आयोग की इस पर प्रशंशा करनी चाहिए। हमारे यहां भरपूर कोशिश होती है कि चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से निष्पक्ष हो। हमें अपने एक एक मत का मतलब समझना होगा तभी हम देश के लोकतंत्र को मजबूत कर सकते हैं। समय-समय पर चुनाव आयोग बहुत ही अच्छी तरह से अधिक मतदान के लिए तरीके अपनाता है। मतदान के तहत ही हम अपनी मनपसंद सरकार को चुन सकते हैं। अन्यथा हमें किसी भी सरकार की बुराई करने का कोई हक़ नहीं है।
 
जितेन्द्र सिंह वरिष्ठ पत्रकार 

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