जिस परिवार ने अपने पूर्वजों की करोड़ों की संपत्ति देश के निर्माण के लिए दान कर दी उसको ही बदनाम करने में लगे सत्ता पक्ष के लोग

लखीमपुर खीरी जिस परिवार ने अपने पिता व दादा की करोड़ों की पैतृक सम्पत्ति देश के निर्माण के लिये दान कर दी थी.जब से सत्ता में आये हैं तब से उसे बदनाम व नेस्त नाबूद करने पर तुले हैं।

इंदिरा गांधी की संपत्ति पर विरासत कर की चोरी:-

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि राजीव गांधी ने 1985 में  विरासत कर इसलिए समाप्त कर दिया क्योंकि उनकी माता इंदिरा गांधी की सैकड़ों करोड़ की संपत्ति पर i विरासत कर ना देना पड़े।आईए समझते हैं कि यह संपत्ति कितने हज़ार करोड़ की थी ? पंडित मोतीलाल नेहरू, जो उस समय देश के एक बड़े और देश के सबसे मंहगे वकील थे, उन्होंने अपनी सारी संपत्ति के दरवाजे स्वतंत्रता सेनानियों के लिए खोल दिए और अपनी हवेली 'स्वराज भवन' को स्वतंत्रता संग्राम का मुख्य केंद्र बनाया। 
 
पंडित मोतीलाल नेहरू ने अपनी इसी हवेली  'स्वराज्य भवन' को दान करने की घोषणा की। पंडित मोतीलाल नेहरू की मृत्यु के बाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने पिता की घोषणा के सम्मान में 24 नवंबर, 1931 को इस इमारत को राष्ट्र को समर्पित कर दिया। यह हवेली इलाहाबाद के सबसे प्राईम लोकेशन पर है जिसकी आज की कीमत करीब ₹200 करोड़ की है।1947 में जवाहर लाल नेहरू जब प्रधानमंत्री बने थे। तो देश के नामचीन अमीर शख्स के तौर पर गिने जाते थे। और नेहरू की संपत्ति करीब ₹200 करोड़ की थी। 
 
भारत सरकार के संपत्ति रिकॉर्ड के अनुसार, स्वतंत्र भारत के 'नवनिर्माण' में संसाधनों की भारी कमी को देखते हुए पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी संपत्ति का 98% हिस्सा राष्ट्र निर्माण के लिए देश को सौंप दिया था। 
तब जबकि विनायक दामोदर सावरकर ₹60/- प्रति महीने की पेंशन पर अंग्रेजी हुकूमत की दलाली कर रहे थे तब आज की कीमत के अनुसार जवाहरलाल नेहरू के पास ₹1 लाख 60 हज़ार करोड़ रूपये की संपत्ति थी। तब जवाहरलाल नेहरू ने अपनी पूरी संपत्ति का 98% देश के निर्माण में दान कर दिया था , यह आज के हिसाब से ₹1.57 लाख करोड़ की थी। तब जवाहरलाल नेहरू ने अपने पास मात्र ₹2 करोड़ रखे थे।
 
तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के इस कदम से प्रोत्साहित होकर उस समय के देश के कई उद्योगपतियों ने अपनी-अपनी संपत्तियों को देश के विकास में दान कर दिया था।पंडित नेहरू द्वारा दिया गया 196 करोड़ का दान उस समय का देश को समर्पित सबसे बड़ा दान था ।और उसी से देश के नवरत्नों का निर्माण हुआ। भाखड़ा नांगल बांध बना , IIT बनी , अस्पताल बने , सेना मज़बूत हुई। अब ले देकर जवाहरलाल नेहरू की पुत्री इंदिरा गांधी के पास एक पुस्तैनी हवेली बची थी जिसका नाम था "आनंद भवन"। आज के बाज़ार मूल्य के अनुसार इसकी कीमत ₹500 करोड़ की होगी।
 
1 नवंबर 1970 को इंदिरा गांधी ने इस आनंद भवन को भी राष्ट्र के नाम समर्पित कर दिया।आनंद भवन से सटा हुआ एक बहुत बड़ा अस्पताल है "कमला नेहरू मेमोरियल हास्पिटल" जो उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा कैंसर अस्पताल है। यह अस्पताल मुंबई के टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल के समकक्ष माना जाता है। आज के दौर में इस अस्पताल की कीमत कम से कम ₹1000 करोड़ की है।इस अस्पताल की शुरुआत 1931 में अपने पैतृक घर स्वराज भवन में श्रीमती कमला नेहरू द्वारा किया गया और प्रारंभ में इसकी स्थापना एक औषधालय के रूप में हुई।
 
28 फ़रवरी 1936 को कमला नेहरू की मृत्यु के बाद महात्मा गांधी जी ने उनकी याद में 28 फ़रवरी 1939 को कमला नेहरू मेमोरियल अस्पताल की आधारशिला रखी थी। इसे भी जवाहरलाल नेहरू जी ने राष्ट्र को समर्पित कर दिया।
अब मोतीलाल नेहरू जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के पास कोई संपत्ति नहीं थी।सरदार पटेल ने नेहरू के दान की तारीफ में लिखा था "भारत के स्वतंत्रता संग्राम में किसी भी व्यक्ति ने नेहरू से अधिक बलिदान नहीं दिया है। और भारतीय स्वतंत्रता के लिए नेहरू के परिवार के रूप में किसी भी परिवार ने सबसे ज्यादा कष्ट नहीं उठाया है"।
 
उन्होंने आगे लिखा था "मोतीलाल नेहरू ने अपनी आजीविका छोड़ दी, अपनी शानदार हवेली को स्वतंत्रता आंदोलन के सिपाहियों को सौंप दी"।जवाहर लाल नेहरू के पास शेष बचे ₹2 करोड़ भी धीरे धीरे देश के निर्माण में खर्च हो गए।नेहरू के निजी सचिव ममुंडापल्लील ओमेन मथाई ने अपनी किताब में लिखा है कि "जवाहरलाल नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित शिमला घूमने गई थीं। वो वहां महंगे सर्किंग हाउस में रुकीं। उसके बाद बिना बिल चुकाए लौट आईं। तब जवाहर लाल ने किस्तों में उस सर्किंग हाउस का बिल चुकाया।"
 
मथाई जीवन भर जवाहरलाल नेहरू के सचिव रहे, अपनी पुस्तक 'रेमिनिसेंस ऑफ नेहरू एज' में इस प्रकार लिखते हैं ।
पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के प्रधान मंत्री बन गए थे। इसके बाद भी उनकी जेब में 200 रुपये से ज्यादा नहीं थे.। उस पैसे को भी उन्होंने भारत विभाजन के दौरान दंगा पीड़ितों पर खर्च कर दिया था। एक समय ऐसा आया जब उनके पर्स में पैसे नहीं होते थे। इसके बाद भी उनकी दानशीलता की प्रवृत्ति नहीं रुकी और उन्होंने अपने अधीनस्थों से पैसे उधार लेकर पीड़ितों की आर्थिक मदद करना शुरू कर दिया।यह थी जवाहरलाल नेहरू की संपत्ति जिस पर राजीव गांधी विरासत कर बचाने के लिए विरासत कर समाप्त कर दिया।
 
आज सोनिया गांधी के पास कहीं अपना निजी घर नहीं , वह सरकारी निवास 10 जनपथ में रहती हैं।, राहुल गांधी के पास ऐसा भी घर नहीं, कार नहीं, वह कांग्रेस दफ्तर की कार से चलते हैं। और एक सफेद टी-शर्ट और पैन्ट में सालों साल से देखे जा रहे हैं।यह अम्मा का गहना चुराकर घर से भागने वाले चिंदी चोर नहीं समझेंगे।

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