एम्बुलेंस स्टाप को दिया जाता है टारगेट प्रतिदिन केस कामरीज रहेंगे कम तो कैसे करें टारगेट पूरा
अम्बेडकर नगर।
सरकार लाख कोशिश करें चाहे केंद्र की मोदी सरकार हो या उत्तर प्रदेश की योगी सरकार, सरकार के कर्मचारी ही सरकार को चूना लगाते रहते हैं इसलिए सरकार ज्यादा तर विभागों को निजीकरण करती जा रही जिससे आम जनमानस को लाभ मिले परन्तु निजीकरण या कुछ काम कम्पनियों को दिया जाता है परन्तु यह कम्पनी सरकारी कर्मचारी से ज्यादा सरकार का पैसा लूटना चाहती और इसी क्रम में बताना चाहते हैं सरकार ने स्वास्थ्य सेवा को सही ढंग से संचालित करने के करने के लिए एम्बुलेंस सेवा जी वी के कम्पनी को दिया है और यह कम्पनी सरकारी धन को दीमक की तरह चाट रही है।
बात कर रहे जिले में संचालित एम्बुलेंस सेवा 108,102 और 1962 की यह एम्बुलेंस सेवा आमजनता के लाभ के सरकार द्वारा संचालित महत्वपूर्ण परियोजनाओं है अभी पिछले दिनों सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बसखारी में दो एम्बुलेंस बिना मरीज की गाड़ी दौड़ाते हुए मीडिया के निगाहों में आई और समाचार पत्रों में प्रकाशित भी हुआ, समाचार का असर ऐसा हुआ क्षेत्र में एम्बुलेंस गाड़ियों की संख्या एकाएक कम दिखने लगी परन्तु किसी के ऊपर अभी तक कोई कार्यवाही की सूचना नहीं है।
इसी बीच मीडिया की टीम विगत दिनों जब एम्बुलेंस के जिला आफिस में पहुंची तो बातों बातों में प्रोग्राम मैनेजर अमित वर्मा ने बताया 2017 के पहले इससे ज्यादा फर्जी वाड़ा होता था। परन्तु इसकी सच्चाई जानने के लिए आज मीडिया टीम पुनः आज जब जिला आफिस पहुंची तो बात सही साबित हुई क्योंकि जिले पर विभाग के बाहरी अधिकारी कई घंटों तक बैठक की गई और जो छत के नीचे आवाज आ रही थी उससे लग रहा था
बाहरी अधिकारियों द्वारा प्रोग्राम मैनेजर अमित वर्मा को किसी भी तरीके केस बढ़ाने का दबाव डाला जा रहा था परन्तु यह भी बात भी हकीकत निकली क्योंकि जब बाहरी अधिकारी मीटिंग से निकल रहे थे तो उस समय मीडिया टीम छत के नीचे खड़ी थी और एम्बुलेंस विभाग को मीडिया के पहुंचने का तनिक भी एहसास नहीं था और जाते जाते एम्बुलेंस विभाग के बाहरी अधिकारी प्रोग्राम मैनेजर अमित वर्मा को चेतावनी दे रहे थे यह चेतावनी छत से आते समय सीडी़ पर अमित वर्मा को दी और उन्होंने कहा इतना तो चलता है सब जानते हैं।
बहुत दिनों से यह चर्चा का विषय बना एम्बुलेंस चालक और ई एम टी क्यों फर्जी तरीके से बिना मरीज गाड़ी दौड़ती है और मीडिया के हाथ लगने पर अनाप शनाप बयान देते नजर है। इसकी भी सच्चाई यह है विभाग द्वारा जबरदस्ती कर्मचारियों को ऐसा कराया जाता है यह भी बात जिले आफिस पर खुली।
आज जब जिले के आफिस पर एक पायलट से मुलाकात हुई तो उसने सारा पोल खोल दिया वहां पर उपस्थित पायलट ने बताया अगर सही देखा जाए। ओर्जिनल केस बहुत कम आते हैं पर नौकरी करना है तो फर्जी केस देना होगा जब उनसे पूछा गया कि किस तरीके से फर्जी केस बढ़ाया जाता है उन्होंने बताया धीरे धीरे फील्ड में व्यवहार बन जाता है और इनसे उनसे मिला जाता है और उसी हिसाब से किसी भी तरीके से मिलकर फोन कराकर केस बढ़ाया जाता है।
अब बात यह उठती कम्पनी द्वारा फर्जी केस बढ़ाने के लिए क्यों कर्मचारी पर दबाव डाला जाता है कहीं कम्पनी और सरकार के बीच प्रति केस के हिसाब से धन तो नहीं आवंटित होता है फिर हाल यह रहस्य का विषय है परन्तु इसका जल्द ही पर्दा फाश होगा।