बेहजम खीरी लोकसभा चुनाव का बिगुल फूंकने के ठीक पहले ऐप्जा (आल इंडियन प्रेस जर्नलिस्ट एसोसिएशन) के मुखिया रवीन्द्र मिश्रा जी के नेतृत्व वाली ऐक्शन पार्टी ने पिछले एक साल के अंदर सीतापुर और लखीमपुर (खीरी) जनपद के हर तहसील, ब्लॉक सहित तमाम प्रमुख स्थानों पर जनहित एवं पत्रकार हितों के मुद्दों पर भिन्न भिन्न रैलियां, धरना प्रदर्शन आदि करके जनजागरण एवं जनसंपर्क अभियान चलाते रहे हैं। रवीन्द्र मिश्रा जी को इन रैलियों में दोनों जनपदों के पत्रकार साथियों सहित भारी जन समर्थन मिलता रहा है।
सबसे पहले ऐक्शन पार्टी ने ही चुनावी प्रचार के लिए ऐक्शन पार्टी के बैनर, होर्डिंग और वाल राइटिंग से सीतापुर और लखीमपुर जनपद को लबालब पाट दिया था। किंतु चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद ऐक्शन पार्टी की गतिविधियां सोसल मिडिया पर कम दिखने से लोग कयास लगाने लगे थे कि शायद पार्टी ने इस लोकसभा चुनाव से किनारा कर लिया है। कुछ दिनों में ही दोनों जनपदों के साथियों के दिल पर राज करने वाले ऐक्शन पार्टी के महासचिव एवं चीफ कोऑर्डिनेटर - ऐप्जा भाई अनुराग सारथी जी से तमाम साथियों ने फोन पर भी अपनी चिंता जाहिर की थी।
श्री सारथी जी ने फेस बुक और स्टेटस पर सिर्फ इतना लिखकर कि "कुछ ही देर की खामोशी है, फिर कानों में शोर आयेगा। तुम्हारा तो सिर्फ वक्त आया है, हमारा दौर आयेगा" लिखकर एक बड़ा इशारा भी कर दिया था।
विगत दिनों ऐप्जा/ऐक्शन पार्टी के मुखिया रवीन्द्र मिश्रा और अनुराग सारथी जी की अपना दल (k) की मुखिया पल्लवी पटेल, कृष्णा पटेल से हुई मुलाकात ने ऐक्शन पार्टी की खामोशी का राजफाश कर दिया। सूत्रों के हवाले से पता चला है कि चिर प्रतिक्षित उक्त मुलाकातों में तय हुआ है कि इस गठबंधन में 28-खीरी, 29-धौरहरा और 30- सीतापुर आदि तीन लोकसभा सीटें ऐक्शन पार्टी के खाते में आई हैं।
भाजपा ने कुर्मी, सपा ने ठाकुर और बसपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी उतारा है। ऐसी स्थिति में यदि अपना दल (क) की पल्लवी पटेल और एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली पीडीएम (पिछड़ा, दलित, मुस्लिम) गठबंधन ऐक्शन पार्टी का सहयोग करता है तो निश्चित ही धरातल का समीकरण बदलेगा। सवा तीन लाख ब्राह्मण मतदाताओं वाली धौरहरा लोकसभा में एकदम क्षेत्र से अनजान प्रत्याशी उतारा है जिसकी मुखिया तिलक, तराजू और तलवार वाला नारा देकर ब्राह्मणों, क्षत्रियों और वैश्यों को अपमानित कर चुकीं हैं।
जिससे लोगों में इस बात का चर्चा गरम है कि बसपा एक ब्राह्मण के बेटे को ही धौरहरा से टिकट देकर ब्रह्मण वोट बसपा के पाले में लाने की साजिश रच रही है। इसलिए यहां के ब्राह्मण मतदाता वर्षों से क्षेत्र में सेवा कर जनहित के मुद्दों पर धरना प्रदर्शन, रैली आदि कर रहे रवीन्द्र मिश्रा पर भरोसा कर सकते हैं। धौरहरा लोकसभा क्षेत्र में ठाकुरों की संख्या कम होना, पिछले चुनाव में सपा से आनंद भदौरिया जी हारने के बाद अभी तक चुनाव से पहले क्षेत्र में कभी नहीं दिखना और लोकसभा चुनाव हारने के बाद जो व्यक्ति सपा सरकार में आनंद भदौरिया के पास काम लेकर जाने वाले पर चुनाव हारने की खीझ निकालना, कोटेदारों और प्रधानों के बस्ते जमा करवाने की धमकी देना भी आनंद भदौरिया को भारी पड़ सकता है।
दूसरी तरफ सपा जिसे अपना बेस वोट मानती है वो पीडीएम गठबंधन के बाद ऐक्शन पार्टी की तरफ खिसक सकता है। क्योंकि ऐक्शन पार्टी के मुखिया लगातार क्षेत्र में जनहित के तमाम मुद्दों पर संघर्ष करते रहे हैं। दस साल से लगातार सांसद रेखा वर्मा जी अपनो की नाराजगी और एंटी इनकॉम्बेंसी में अपनी नई भूमिका तलाश रहे वोटर जिसमे अत्यधिक संख्या कुर्मी वोटरों की हो सकती है। यदि उन वोटरों ने रेखा वर्मा की जगह पल्लवी पटेल को अपना कुर्मी नेता मान लेते हैं तो निश्चित ही ब्राह्मण, दलित, पिछड़ा और मुस्लिम मिलकर ऐक्शन पार्टी के रवीन्द्र मिश्रा जी को जिता भी सकता है। ऐक्शन पार्टी सीतापुर और खीरी लोक सभा क्षेत्रों में इसी तरह जुझारू एवं संघर्षशील प्रत्याशी उतार सकती है।