व्यापारियों का कैश पकड़ा जा रहा है, व्यापारी परेशान

कल पुलिस आयुक्त से मुलाकात कर आपत्ति दर्ज कराई थी व्यापार मंडल के प्रतिनिधि मंडल ने, अब तक नहीं पकड़ा गया किसी नेता से कैश 
 

कानपुर। कमिश्नरेट में इस समय गाड़ियों की चैकिंग के दौरान बड़ी मात्रा में कैश पकड़ा जा रहा है और कैश पकड़ने वाले दरोगा इंस्पेक्टर काफी गुड वर्क कर रहे हैं लेकिन सवाल उठता है कि यह कैश किसका पकड़ा जा रहा है और कौन इससे परेशान हो रहा है।

पिछले काफी दिनों से कमिश्नरेट पुलिस द्वारा वाहनों की चैकिंग कर कैश पकड़ने का अभियान शुरू हुआ है। चुनाव आयोग का यह आदेश है कि चुनाव के दौरान किसी राजनैतिक दल द्वारा पैसों का अवैध तरीके से प्रयोग न हो सके इसलिए इसकी सख्त चैकिंग की जाए। लेकिन अभी तक कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं पकड़ा गया जो किसी राजनैतिक दल से संबंध रखता हो या किसी पार्टी का कोई नेता हो जो कैश लेकर जा रहा हो।
 
अब तक जो भी कैश पकड़ा गया है वह व्यापारियों का ही है। हालांकि इतना कैश का व्यापार करना भी गलत है लेकिन कुछ व्यापार ऐसे होते हैं जहां कैश मजबूरी हो जाती है। इसी शिकायत को लेकर जिला व्यापार संगठन का एक प्रतिनिधि मंडल पुलिस आयुक्त अखिल कुमार से मिला था और उसने इस तरह से व्यापारियों का कैश पकड़ने में आपत्ति व्यक्त की थी। जिसका आश्वासन भी जिला व्यापार संगठन को पुलिस आयुक्त ने दिया था।
 
यह सच है कि चुनावों में काले धन का प्रयोग होता है और लाजमी है कि इस काले धन पर रोक लगाने के लिए चुनाव आयोग ने सख्ताई दिखाई है लेकिन  बात यह भी है कि आप किसी बड़े नेता की गाड़ी की चैकिंग नही कर पाते और आप उससे डरते हैं। तो फिर व्यापारियों को क्यों परेशान किया जा रहा है। पार्टियों द्वारा जो कैश जहां पहुंचना होता है वह किसी भी तरीके से पहुंचा दिया जाता है। और पुलिस को खबर तक नहीं लगती। क्यों कि पुलिस न किसी एमपी की गाड़ी छू सकती है न ही किसी एमएलए की।
 
 फिर व्यापारियों को तंग करके ये गुड वर्क किस काम का। कमिश्नरेट पुलिस को चाहिए कि वह वहां तह तक पहुंचे जहां से यह धन चुनाव में प्रयोग के जा रहा होता है लेकिन कोई थानेदार अब तक ऐसा करने में नाकामयाब रहा है। और यदि नक़द कैश की चैकिंग हो रही है तो यह चैकिंग बारह महीने क्यों नहीं होती। व्यापारी पूरे कैश का हिसाब साथ लेकर नहीं चल सकता। लेकिन पकड़े जाने पर वह सबूत मंगाता है लेकिन उसके कार्य में व्यवधान पैदा होता है। 

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