संजीवनी। पृथ्वी का बचा रहना कितना अहम।

स्वतंत्र प्रभात 
संजीवनी।
पृथ्वी का बचा रहना कितना अहम।
 
मैं चाहता हूं पृथ्वी बची रहे
और बची रहे मिट्टी 
आग
नदिया 
चिड़िया
झरने 
पहाड़
हरे हरे पेड़
रोटी
चावल 
मक्का 
बाजरा
समंदर 
पुस्तकें
मनुष्य के लिए
जी बची रहे
पृथ्वी भी
मनुष्य के लिए
बचा रहे मनुष्य
मनुष्य के लिए
बची रहे 
स्त्री की कोख
नन्हीं बच्चियों
के लिए जो 
आने वाली
कई पीढ़ियों को
बचा सके
मनुष्य के लिए 
पृथ्वी के लिए,
और बची रहे
मानवता
नन्ही बच्चियों
चिड़ियों
फूल पत्तियों 
और कलियों
के लिए।

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