सामुदायिक शौचालयों में तालाबंदी से शौच मुक्त भारत का सपना दिखा फेल

तालाबंदी के कारण ग्रामीण शौच हेतु बाहर जाने को मजबूर

सिर्फ कागजो में ही दिख रहा शौच मुक्त भारत का गुलाबी सपना

 
 
 
स्वतंत्र प्रभात 
21 मार्च को खबर निकल अधिकारी नहीं दे रहे हैं ध्यान इससे साफ जाहिर होता है अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा है सामुदायिक शौचालय में भ्रष्टाचार
 
जनपद सिद्धार्थनगर ग्राम पंचायतो में सामुदायिक शौचालय व्यवस्था की बात की जाए तो करोड़ों की लागत से सरकार द्वारा सुविधाओं को लेकर हाथी के दांत साबित हो रहा है यहां का हमेशा मौसम गुलाबी देखा जा रहा है और उच्च अधिकारियों को संतुष्ट करने के लिए उच्च गुणवत्ता संचालित रिपोर्ट भेजी जाती है यहां पर शौचालय संचालन बराबर किया जा रहा है लेकिन विकासखंड  बढ़नी के लगभग शौचालय को छोड़कर सभी का यही हाल है जहां ग्रामीण बताते हैं शौचालय तो बना दिया गया है यहां पर ताला लगा होता है 
 
जिससे सभी शौच को आज भी बाहर जाने को मजबूर है। लेकिन स्वक्ष भारत मिशन को लेकर सरकार के दावे धरातल पर फेल नजर आ रहे है । जबकिं सरकार करोड रुपए लगाकर ग्राम पंचायतों में सुविधा के लिये सुविधा प्रदान करने का दावा करती है । जिसकी तस्वीर विकास खण्ड बढ़नी ग्राम सभा मलगहिया मडनी और अनेक ग्राम पंचायत में देखा जा सकता है जंहा शौचालय बन्द रहता है इसके एलवह कई ऐसे है जिनमे कोई व्यवस्था तक नही है ।
जबकि महिला समूह के कार्यकर्ताओं को केयरटेकर की जिम्मेदारी दी गई है लेकिन जिम्मेदारी के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति का खेल किया जा रहा और संचालन सिर्फ कागजो में ही संचालित होता है।  बाकी शौचालय संचालन से उन्हें कोई मतलब नहीं है ऐसे में सवाल उठता है क्या स्वक्ष भारत मिशन योजना के अंतर्गत शौच मुक्त भारत का सपना सरकार करने के लिए सरकार जब करोड़ों रुपए खर्च करती है
 
उसके बाद भी शौचालय का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिलता और योजना फेल होने की बात सामने आ रही है। इसमें जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते सरकार का महत्व कांक्षी योजना स्वक्ष भारत मिशन धरातल पर फेल नजर आरहे है। जिसको लेकर विकास खण्ड बढ़नी अधिकारी संवाददाता बात किया गया तो कह रहे हैं की जांच करके कार्रवाई किया जाएगा
 
 

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