स्वतंत्र प्रभात
होली विशेषांक के लिए विशेष- 2
होली मूलतः रंगों का त्योहार है। होली के त्यौहार के पीछे कई पौराणिक कथाएं विद्यमान हैं। मगर शास्त्रों में लिखी प्रहलाद और होलिका की कथा सर्वदा मान्य और प्रचलित है।विष्णु पुराण की कथा के अनुसार राजा हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को नहीं मानता था,और अपनी प्रजा को विष्णु जी की पूजा अर्चना करने से भी मना कर रोका करता था।
पर विडंबना यह थी कि उसका अपना ही पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त तथा अनुयाई था, हिरण कश्यप को यह ज्ञात होते ही उसने प्रहलाद को अनेक कष्ट देना शुरू कर दिया।जब उसके दिए गए कष्टों से भक्त प्रहलाद को कोई कष्ट न होकर कुछ नहीं हुआ, तब उसने अपनी बहन होलिका जिसे आग से ना जलने का वरदान प्राप्त था, को बुलवाया और आदेश दिया कि प्रहलाद को गोद में बिठाल कर अग्नि में बैठ जाए, और अपने भाई की आज्ञा का पालन करते हुए होली का ने प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि के ऊपर बैठ गई।
ईश्वर विष्णु जी की कृपा से प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ और होलीका दग्ध अग्नि में जलकर भस्म हो गई। प्रहलाद बच गए, और भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध करके प्रह्लाद को उसके पिता द्वारा दी गई यातनाएं से मुक्ति दिलाई। इस तरह आमजन इस घटना को याद करके होलिका दहन करके दूसरे दिन अबीर गुलाल तथा रंगों से होली खेलते हैं। होली का बहुत बड़ा वर्णन साहित्य में भी किया गया है कविवर सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने भी कहा "नयनों के डोरे लाल गुलाब भरे, खेली होली रे"
होली का त्यौहार राधा और कृष्ण के पवित्र प्रेम से भी संबंधित है। यही कारण है की भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा था वृंदावन में होली बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। होली तो वैसे ही वैश्विक स्तर पर भी मनाया जाता है, क्योंकि भरत वंशी विदेशों में जिस जिस जगह निवास करते हैं, वह होली का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। भारत में अनेक राज्य होने से अलग-अलग क्षेत्र के लोग अलग अलग नाम से होली का त्यौहार मनाते हैं। पश्चिम बंगाल में इसे होली का उत्सव के रूप में मनाया जाता है,
पंजाब में इसे "होला मोहल्ला"कहा जाता है, तमिलनाडु में इसे "कॉमन पोडगई"कहां जाता है महाराष्ट्र में रंग पंचमी नाम देखकर दो-तीन दिन तक मनाया जाता है। देश में होली किसी भी नाम से मनाई जाए पर होली में रंग गुलाल और अबीर से ही होली का आनंद उत्सव मनाया जाता है। होली रंगों का त्योहार होने के साथ-साथ आपस में भाईचारे का त्यौहार भी है। आज के दिन दुश्मन भी गले लग कर एक दूसरे से रंग गुलाल तथा मिठाई खिलाकर अपनी दुश्मनी भूल जाते हैं,
और क्योंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है अतः होली के त्यौहार को रंग गुलाल लगाने के साथ-साथ हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई ईसे समान रूप से मना कर प्रसन्न होते हैं, यह राष्ट्रीय एकता का प्रतीक भी है। पर कुछ लोग होली में भांग तथा शराब का नशा करके माहौल को जरूर खराब करके बिगाड़ कर ईसे बदनाम करने की कोशिश करते हैं,एवं रंगों में रसायनिक पदार्थ का इस्तेमाल कर त्वचा को हानि पहुंचाते हैं,जोकि इस त्यौहार की पवित्रता को भंग करते हैं। ऐसा होना नहीं चाहिए इससे बचने का प्रयास करना चाहिए। वैसे होली बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व भी है, होली की शुभकामनाओं के साथ।
संजीव ठाकुर,स्वतंत्र लेखक