विपक्षी दलों को चुनावी कार्यक्रम लम्बा होने से होता है नुकसान: सीताराम येचुरी

National: नयी दिल्ली। इस बार का आम चुनाव भारत में अब तक का दूसरा सबसे लंबा चुनाव कार्यक्रम होने पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि इससे विपक्षी दलों को नुकसान होता है।

येचुरी ने  लंबी अवधि के चुनाव कार्यक्रम पर सवाल उठाते हुए यह भी कहा कि निर्वाचन आयोग को चुनाव की तारीखों पर फैसला लेने का अधिकार है। चुनाव कार्यक्रम की 82 दिन की अवधि के बारे में पूछे जाने पर माकपा नेता ने कहा कि यह ‘‘चिंता का विषय’’ है। चुनाव की प्रक्रिया 16 मार्च को चुनावों की घोषणा के साथ शुरू हुई और 4 जून को परिणाम घोषित होने पर समाप्त होगी। 

येचुरी ने कहा, ‘‘यह चिंता का विषय है। हम जानते हैं कि संविधान इन मामलों में निर्वाचन आयोग को संपूर्ण अधिकार, एकमात्र अधिकार देता है। संविधान द्वारा सिर्फ उसे ही यह अधिकार मिला है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हम इसके विवेक पर सवाल उठाते हैं।

’’ माकपा नेता ने कहा कि तकनीकी प्रगति के साथ चुनाव कराने में लगने वाला समय घटना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके बजाय, यह समय बढ़ गया है। उन्होंने कहा, ‘‘1952 को छोड़कर पहली बार आप इतना लंबा चुनाव देख रहे हैं। आजादी के बाद पहले चुनाव में बहुत सी चीजों को समायोजित करना था...अब यह सबसे लंबा चुनाव है। तकनीक के साथ यह अवधि कम होनी चाहिए लेकिन यह बढ़ गई है।’’ 

विपक्षी दलों के पास धन या पहुंच के मामले में आगामी चुनावों में समान अवसर नहीं होने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब प्रत्यक्ष रूप से प्रचार की बात आती है तो लंबी अवधि के चुनाव कार्यक्रम से नुकसान होता है। माकपा विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ का हिस्सा है।

उन्होंने कहा, ‘‘एक चरण में मतदान चलता है और दूसरे चरण में चुनाव प्रचार चल रहा होता है। प्रधानमंत्री और सत्तारूढ़ दल के नेता रैली, सभाओं में जो कहते हैं, उसका सीधा प्रसारण उन स्थानों पर होता है जहां मतदान हो रहा होता है।’’ 

येचुरी ने कहा कि जिन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कमजोर है और जहां उसके पास पर्याप्त कैडर नहीं है, सात चरण उन्हें कैडर को दूसरी जगह भेजने का अवसर देते हैं। उन्होंने कहा इन सबसे सत्तारूढ़ दल को लाभ होता है। माकपा नेता ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है।

सभी को समान अवसर मिलना चाहिए...।’’ इस साल लोकसभा चुनावों के लिए मतदान कार्यक्रम की अवधि 44 दिनों की है। 1951-52 के पहले संसदीय चुनावों के बाद यह दूसरा सबसे लंबा चुनाव कार्यक्रम होगा। पहले आम चुनाव का कार्यक्रम चार महीने से अधिक समय में संपन्न हुआ था। लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल से सात चरणों में होंगे। मतगणना चार जून को होगी।

 

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