स्वतंत्र प्रभात
कोराव, प्रयागराज।
आपसी सौहार्द और भाईचारे का पर्व होली को प्राचीन काल से ही खेलने की परंपरा रही है पूर्व में लोग केवल हर्बल रंगों का ही उपयोग करते थे होली खेलने के बाद शाम को इस्ट जनों के साथ मिलने जुलने का मिठाई का आदान-प्रदान करने की प्रथा रही है भारतवर्ष के अलावा नेपाल पाकिस्तान तमाम पश्चिमी देशों में भी होली का त्योहार पूरे जोश से मनाया जाता है वर्तमान में रासायनिक रंगों का उपयोग नशा भंग एवं फूहड़ गाने की वजह से होली की गरिमा कम होती जा रही है होली का त्यौहार इस तरह से मनाए की केवल खुशियां ही खुशियां हो।
किसी को नुकसान ना हो होली के त्यौहार में रंगों का भरपूर उपयोग होता है इसलिए सावधानी भी रखनी जरूरी है केमिकल युक्त रासायनिक रंगों से बचे यह रंग आंखों और बालों को नुकसान पहुंचा सकते हैं हर्बल रंगों का ही उपयोग करें होली खेलने जाने के पहले शरीर पर तेलिया क्रीम अथवा तेल का मालिश करके जाए जिससे त्वचा को कम नुकसान हो पूरी बाह के कपड़े पहनकर कर ही जाएं बालों में नारियल अथवा बादाम का तेल लगा सकते हैं बालों को सुरक्षित रखने के लिए आजकल विभिन्न रंगों के नकली बाल एवं टोपी भी उपलब्ध है
यह न सिर्फ बालों को सुरक्षित रखते हैं बल्कि होली की रंगीन माहौल को और भी रंगीन बना देते हैं आंखों में यदि रंग या गुलाल चला जाए तो तत्काल ठंडे पानी से धोएं आराम न मिलने पर चिकित्सक से सलाह ले और बाजार की मिठाइयों का सेवन कम से कम करें एवं भरोसेमंद दुकान से ही मिठाई खरीदे। होली के दौरान नशा भांग दारू इत्यादि का उपयोग से बचे कई बार लोग नशे की वजह से प्रेम भाव बढ़ने के बदले दुश्मनी बढ़ जाती है।