स्वतंत प्रभात
अंबेडकर नगर
फर्जी साइन कर करोड़ों हड़पने की कोशिश नामक शीर्षक से कई अखबारों में पिछले दिनों खबरें प्रकशित हुई जो जिले में काफ़ी चर्चा का विषय बनी।तमाम जांच के बाद फिर मजिस्ट्रेटी जांच बैठी और आज लगभग 4 महीने बाद कुछ साधारण से सवालों के जवाब नहीं मिल पा रहे हैं। जैसे बिल पर जो साइन है वो फर्जी है या असली? और उस मिलर का नाम क्या है जिसने फर्जी साईन कर के करोड़ों रूपए का बिल प्रस्तुत किया?
यहां सब कुछ गोलमाल ही दिख रहा है और हर कोई अंधेर में तीर मार रहा है।
जिले में चर्चा इस विषय की है आख़िर जांच में जानबूझकर देरी क्यों की जा रही है कहीं अंदर खाने में कुछ तो पक रहा है। जब इस मामले हमारे संवाददाता ने एसडीएम पवन जयसवाल से मामले पर जानकारी लेनी चाही तो सिर्फ़ गोल मोल करते नज़र आए।
विश्वस्त सूत्रों द्वारा जानकारी मिली है कि क्षेत्रीय विपरण अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट एसडीएम साहब को सौंप दी है और यही नहीं रिपोर्ट में बिल की साईन को असली बताया गया है सवाल ये है कि अगर साईन असली था सब कुछ ठीक था तो बेवजह जांच के नाम पर सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करना कहां तक उचित है। सवाल ये भी है कि रिपोर्ट एसडीएम साहब के पास पहुंच गई है तो एसडीएम साहब फाइल को अपने पास क्यों लटकाएं है आख़िर किस चीज का इंतज़ार कर रहे है?