तालाब को पाटकर बनाई गई आधा दर्जन दुकानों को ध्वस्त करा  तालाब को अवैध कब्जा मुक्त कराए जाने की मांग

कथित भू माफिया ने कब्जाई राजस्व अभिलेखों में दर्ज तालाब गाटा संख्या 231 की जमीन।

तहसील प्रशासन और कथित भू माफिया की मिली भगत से उड़ाया जा रहा सरकार के आदेशों का मखौल।

स्वतंत्र प्रभात 
लखीमपुर खीरी भाजपा सरकार में राजस्व विभाग में अजब गजब का नाम का उजागर होना तहसील सदर की छवि धूमिल करने को काफी है। साथ ही साथ भ्रष्टाचार किस कदर बी है इसका भी अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। बताते चलें कि मामला तहसील सदर के ग्राम सुंदरवल का है जहां पर पलिया भीरा मार्ग पर स्थित तालाब भूमि गाटा संख्या 231/0.283हे0को पाटकर इस पर लगभग आधा दर्जन दुकान बना ली गई। यह खेल तहसील प्रशासन और कथित भू माफिया के बीच मिली भगत से किया जाना बताया जाता है।
 
जानकार लोगों की माने तो उक्त तालाब का बैनामा कथित भूमिया व सरवा साधन सहकारी समिति के सचिव अशोक मिश्रा द्वारा अपने या अपने परिवार के किसी सदस्य के नाम करवा लिया है। यहां पर अहम सवाल यह है की क्या तालाब की भूमिका बैनामा किया जा सकता है? और यदि बैनामा हुआ भी है तो किसने किया है? यह बैनामा किस आधारपर किया गया? राजस्व अभिलेखों में दर्ज तालाब का बैनामा किया जा सकता है?
 
क्या यह अपराध की श्रेणी में नहीं आता है? और यदि आता है तो अब तक उक्त मामले में कार्यवाही क्यों अमल में नहीं लाई गई? उक्त अशोक मिश्रा द्वारा आनंन-फानन में इस तालाब की  खरीदी गई जमीन पर दुकान खड़ी कर दी गई। और तहसील प्रशासन सोता रहा। उसने तालाब को बांटने से क्यों नहीं रोका यह भी अहम सवाल बना है? उक्त तालाब में राजस्व निरीक्षक की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
 
सूत्रों द्वारा लगाये जा रहे आरोपों को यदि सत्य माने तो भारी भरकम सुविधा शुल्क लेकर तालाब को पटवा कर दुकान बनवाने वाले अशोक मिश्रा को तहसील प्रशासन द्वारा संरक्षण दिया जाता रहा। वही एक सूत्र ने तो यहां तक बताया कि उक्त तालाब की पटाई करने से लेकर बिक्रीनामा तक में ग्राम प्रधान और कानूनगो की मिली भगत है। इस प्रकरण की जानकारी तहसीलदार सदर से लेकर उप जिला अधिकारी सदर को भी होने की बात चर्चा का विषय बनी है ।पर सभी के हाथ बंधे से नजर आ रहे हैं।
 
शायद इसी कारण तालाब पर से अवैध कब्जा नहीं हटवाया जा रहा है ।और सरकारी तालाब का बैनामा करने व कराने  वाले लोगों के विरुद्ध कोई कार्यवाही आज तक अमल में नहीं लाई गई। मामले की मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत कर तालाब को अवैध कब्जा मुक्त कराए जाने व प्रशासन को गुमराह करके तालाब की भूमि गाटा संख्या 231 रकवा 0.283 हेक्टेयर का बैनामा करने व करने वाले लोगों सहित गवाहनों के विरुद्ध सुसंगत धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कराए जाने की भी मांग की गई है।
 
वही ग्राम अग्गर निवासी एक जागरूक नागरिक ने नाम न छापने की शर्त पर  सचिव अशोक मिश्रा पर अग्गर में खलिहान के नाम दर्ज सरकारी जमीन पर भी अवैध कब्जा करने के गंभीर आरोप लगाए हैं। उक्त सूत्र द्वारा दी गई जानकारी में यह भी बताया गया कि उक्त सचिव काफी दबंग है यह काफी जमीन है इसी तरीके से बनाए है।
 
यदि उनकी आय से अधिक संपत्ति की जांच कराई जाए तो होगा दूध का दूध और पानी का पानी और इनके द्वारा बनाई गई नामी बेनामी संपत्तियों का भी होगा खुलासा। इतना ही नहीं बगैर विभागीय अनुमति के उक्त जमीन खरीदने के मामले का भी खुलासा होना होगा तय। अब देखना यह है कि उक्त अवैध कब्जे को तहसील प्रशासन द्वारा हटवाया जाता है या फिर चंद गांधी छाप कागज के टुकड़ों की चमक के आगे यूं ही अवैध कब्जा धारक के ताल पर थिरकता रहेगा तहसील प्रशासन।
 
क्या कहते हैं राजस्व निरीक्षक राजेन्द्र चौधरी
इस प्रकरण की संपूर्ण जानकारी मुझे नहीं है। मेरी जानकारी में आया है कि उक्त जगह है अशोक मिश्रा द्वारा बैनामा कराई गई है शेष जानकारी मैं क्षेत्रीय लेखपाल से लेकर के ही बता पाऊंगा यदि तालाब की जमीन है तो कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।

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