शराब,पैसा,गिफ्ट,मुफ्त और मसलमैन गुंडों के चुनावी काॅकटेल ने बनाया आयोग के लिए चुनौती

स्वतंत्र प्रभात।

एसडी सेठी। 18 वीं लोकसभा का शंखनाद शनिवार को हो गया है।विश्व के सबसे बडे लोकतंत्र में चुनाव आयोग के सामने निष्पक्ष, स्वतंत्र, और भयमुक्त चुनाव कराने की चुनौतियां सिर चढ कर बोल रही हैं। टाॅप पांच चुनौतियों में मसलमैन ,मनी पाॅवर, शराब,गिफ्ट,  मुफ्त की सौगात समेत सोशल मीडिया एवं अन्य तरीको से गलत सूचना फैलाने से रोकने के साथ आचार संहिता का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन लेना भी खासा चैलेंज बनता जा रहा है।

इसके अलावा हजारों करोड रूपये फूंकने के बाद भी मतदाताओं में मतदान करने के प्रति जागरूकता का प्रतिशत ग्राफ बढता दिखाई नहीं दे रहा है। बता दें कि 2019 में हुई 67% वोटिंग का ग्राफ विज्ञापनों में करोडों फूंकने के बाद भी सिर्फ 70% तक ही पहुंच पाया है। वहीं चुनावी फेज 2004 में 4 चरणों में निपटने वाला चुनाव  बढकर अब 7 चरणों में जरूर पहुंच गया है। वहीं 2009 में 16 अप्रैल से लेकर 13 मई के बीच 5चरणों में निपट गए थे। इसके बाद 2014 में 7 अप्रैल से लेकर 12 मई के बीच 9 चरणों तक पहुंच गया।

अब वर्तमान में 2024 के लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल से लेकर 1 जून तक की मियाद 46 दिन और 7 चरणों तक स्टेबल हो गए हैं। अगर देश का पहले आम चुनाव का जिक्र करें तो वह 25 अक्टूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 तक करीब 4 महीने तक चला था। उस वक्त वोट देने की उम्र 21 साल थी। तब लोकसभा की 489 सीटें ही थी। इन सीटों पर हुए चुनाव में कांग्रेस को प्रचंड बहुमत मिला था।कांग्रेस ने तब 364 सीटें जीती थी।भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) दूसरी सबसे  बडी पार्टी बनी थी।

भारतीय जनसंघ ने 3 सीटें जीती थी। उस काल के दौरान भी जन जागरूकता चुनाव आयोग के लिए सबसे बडी चुनौती थी। हालांकि तब संचार के साधन सीमित थे।टीवी नही था। 80 % जनता शिक्षित नहीं थी। तब केवल 18 करोड वोटर थे। आयोग ने तब  3000 सिनेमाघरों के जरिये खासतौर से वोटरों को जागरूक किया जाता था। बता दें कि उस चुनाव में हिमाचल प्रदेश के श्याम चरण नेगी भारत के पहले मतदाता बने थे। उनका निधन हाल ही में 106 साल की उम्र में हुआ।

उन्होने हिमालय प्रदेश के हाल ही में हुए विधानसभा के चुनावो मे भी वोट डाला था। उल्लेखनीय है पहले आम चुनाव में 53 राजनीतिक दलों के 1874 उम्मीदवारों ने भाग लिया था। आज वोटरों की संख्या बढकर 97  करोड  हो गई है। राजनीतिक  दलों की भी संख्ऐया बढकर कई गुना हो गई है। आज चुनौतीपूर्ण  चुनाव धन बल,बाहुबल,संचार बल,मुफ़्त के तोहफे के काॅकटेल ने आयोग को सोचने और करने को मजबूर कर दिया है।

वहीं करोडों की आबादी में शांतिपूर्ण चुनाव के लिए बडी संख्या में सशस्त्र बल की तैनाती और चुनाव अधिकारी और कर्मचारियों की बिना दबाव के कार्य करने की चुनौती ने ही पूरी चुनावी प्रक्रिया का विश्व में सबसे बडे लोकतंत्र का डंका पिट रहा है। ये देश के चुनाव आयोग के लिए गर्व की बात है। संसार के कुल 193 देशों में से कुल 110 देश लोकतांत्रिक प्रक्रिया के बूते पर है। लेकिन भारत का चुनाव आयोग विश्व के सबसे बडे लोकतंत्र के त्योहार को बेहद ही नियोजित, और शांतिपूर्ण, तरीके से  रास्ते में आने वाली  सभी तरह की  चुनौतियों से मुकाबला करने में सक्षम है।

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