अवर अभियता की लापरवाही से जवाहर नगर में गहराया पेयजल संकट

- बूंद-बूंद पानी को तरस रहे लोग

स्वतंत्र प्रभात
बांदा। केंद्र व राज्य सरकार द्वारा हर घर नल जल परियोजना का ढिंढोरा पीटा जा रहा है। जबकि शहर के कई मोहल्ले ऐसे हैं। जहां पीने को पानी नसीब नहीं हो पाता है। शहर का ऐसा ही अभागा जवाहर नगर मोहल्ला है। जहां कई वर्षों से पेयजल संकट बरकरार है। कई कई दिनों तक पानी की सप्लाई न होने से लोगों को बिना नहाए धोए ही अपने प्रतिष्ठान में जाना पड़ता है। इस बारे में विभागीय लोगों का कहना है कि वहां तो पानी की समस्या बनी ही रहती है। इसका निदान क्या है इसका किसी के पास सटीक जवाब नहीं है।

शहर के इंदिरा नगर के सामने और चिल्ला पावर हाउस के ठीक पीछे इस मोहल्ले में पहले 2 इंची पाइपलाइन पड़ी हुई थी। जिसकी वजह से पानी की समस्या बनी रहती थी। घरों में लगे नल शो पीस बने रहते थे और जल संस्थान के टैंकर जगह-जगह खड़े रहते थे। पिछले वर्ष यहां पर 4 इंची पाइपलाइन डाल दी गई, जिससे थोड़ी बहुत पेयजल संकट से लोगों को राहत मिल गई। 4 इंची पाइपलाइन पड़ने के कारण ही जिन उपभोक्ताओं ने नल का कनेक्शन नहीं कराया था उन्होंने भी नल का कनेक्शन करा लिया। कुछ दिनों तक तो ठीक-ठाक रहा लेकिन अब फिर पानी की समस्या उत्पन्न हो गई है।

मोहल्ले के लोगों का कहना है कि कभी 10 मिनट तो कभी 20 मिनट पानी आता है। जिससे पीने के पानी की समस्या तो दूर हो जाती है लेकिन इतने कम पानी में लोग नहा धो नहीं पाते हैं जिससे उन्हें बिना नहाए ही नौकरी या अपने प्रतिष्ठान में काम करने जाना पड़ता है। यह एक दिन की समस्या नहीं है, सप्ताह में तीन से चार दिन यह समस्या बनी रहती है। इसी समस्या से आजिज आकर मोहल्ले के करीब 70 प्रतिशत लोगों ने अपने-अपने घरों में निजी बोर करा लिया है। लेकिन जिन उपभोक्ताओं के पास निजी बोर कराने की क्षमता नहीं है, वह जल संस्थान की जलापूर्ति के भरोसे है।

एक तरफ तो सरकार हर घर नल जल परियोजना के तहत घर-घर जल सप्लाई करने की बात करती है। वही इस मोहल्ले के लोग बरसों से पेयजल समस्या से जूझ रहे हैं। लेकिन इस ओर न तो जनप्रतिनिधियों का ध्यान है और न ही जल संस्थान के अधिकारी ध्यान दे रहे हैं। मोहल्ले के राम सिंह पाल, स़तोष, संगीता, प्रियंका इत्यादि का कहना है। अभी जब गर्मी शुरू नहीं हुई तब जलापूर्ति बाधित है तो गर्मी में क्या होगा। यह सोचकर हम सब परेशान हैं। इस बार इस बारे में जल संस्थान के जेई राघवेंद्र कभी मोटर खराब होने, कभी पाइप लाइन टूटने और कभी बिजली न होने का रोना रोते हुए अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।

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