प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट पी ओ  डूडा बने भ्रष्टाचार के पोषक

अपने चहेते भ्रष्टाचारी रिश्वतखोर डीसी रहे अभिषेक मिश्रा पर एफआईआर दर्ज करने से कतराते नजर आ रहे परियोजना अधिकारी डूडा खीरी

जिम्मेदारों के भ्रष्ट आचरण व खाऊ कमाऊ नीति के चलते हकीकत के धरातल पर दम तोड़ रही प्रधानमंत्री की अति महत्वाकांक्षी योजना

स्वतंत्र प्रभात 
यदि करली जाए जांच टीम गठित कर अब तक आवंटित पीएम आवासों की स्थलीय जांच तो भ्रष्टाचार खुलकर आएगा सामने और परियोजना अधिकारी डूडा की तय होगी जवाब देही
 
लखीमपुर खीरी भारत सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना पीएम शहरी आवास योजना जिम्मेदारों की सरपरस्ती में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़कर रह गई है। जिसकी वर्ष 2020 से निरंतर शपथ पत्रों के साथ शिकायतें की जा रही हैं लेकिन परियोजना अधिकारी डूडा द्वारा अपने आंख कान बंद करके आवास के नाम दलाली करने वालों को दलाली और अवैध वसूली करके लाने के लिए खुला छोड़ दिया गया। जिसका परिणाम यह रहा कि केवल लखीमपुर नगर पालिका के अंदर में लगभग 150 आवास अवैध, नियम विपरीत, नगर पालिका क्षेत्र से बाहर देकर लगभग ढाई करोड रुपए से 3 करोड रुपए का दुरुपयोग किया गया। और पात्र जरूरत मंदों से ज्यादा आवास अपात्रों को दिए गए।
 
ऐसे सैकड़ो आवास हैं जिनके पहले से मकान बने हैं या फिर वह शहरी सीमा से बाहर हैं। कई आवास ऐसे हैं जिनका पैसा निकाल कर बांट लिया गया आवास आज तक नहीं बने, तो कई आवास ऐसे भी हैं जो स्वास्थ्य विभाग में अच्छे पद पर सरकारी नौकरी कर रहे हैं। और कई शिक्षक और पति-पत्नी दोनों को आवास दिए जाने का मामला जन चर्चा का विषय बना है। इन सभी आवासों में जमकर रिश्वतखोरी अवैध वसूली की गई है ऐसा सूत्र बताते हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एक-एक आवास पर 50-50 हजार रुपए की अवैध वसूली की गई है जिसका एक बड़ा हिस्सा परियोजना अधिकारी डूडा को जाने की चर्चा आम है।
 
लोगों की जुबानी सत्य माने तो ऐसा नहीं कि इस अवैध वसूली की जानकारी परियोजना अधिकारी डूडा को नहीं रही सब कुछ उनकी जानकारी में और इनके संरक्षण में चहेते डीसी अभिषेक मिश्रा व तत्कालीन सी एल टी सी विकास श्रीवास्तव के द्वारा किया जाता रहा और साहब को तयशुदा हिस्सा पहुंचता रहता था। ऐसी जानकारी विभागीय गोपनीय सूत्रों द्वारा दी गई है। यदि समय रहते परियोजना अधिकारी डूडा द्वारा कराई गई होती आवासों की जांच तो काफी हद तक रोका जा सकता था आवासों के नाम पर खेला जा रहा भ्रष्टाचार और अवैध उगाही तथा फर्जी वाडा का खेल। लेकिन इसमें साहब की धनलोलुपता रास्ते का रोड़ा बनी रही ,और साहब ने ए सी के बाहर निकलकर फील्ड का निरीक्षण करना उचित नहीं समझा।
 
कार्यवाही की बात कौन कहे। जिसके चलते इन साहब के आंखों के सुरमा रहे डीसी स्नो फाउंटेन अभिषेक मिश्रा और तत्कालीन सी एल टी सी  विकास श्रीवास्तव द्वारा कई करोड़ रुपए की अवैध उगाही कराई गई संपूर्ण जनपद से। उक्त आरोप मेरे नहीं हैं बल्कि गुप्त विभागीय और सर्वे कार्य में लगे सूत्रों के द्वारा मिली जानकारी पर आधारित हैं। इतना ही नहीं आवासो के नाम पर की गई अवैध वसूली की रकम के बंटवारे को लेकर गत वर्षो पूर्व तत्कालीन सर्वयरों और डीसी अभिषेक मिश्रा, रंजीत वर्मा के मध्य रात को नशे में धुत होकर गाली-गलौज मारपीट की घटना सन 2020-21 में हुई थी।
 
जिसमें एससी एसटी का मुकदमा भी कोतवाली सदर में पंजीकृत होने की बात सामने आई है। लेकिन परियोजना अधिकारी द्वारा मामले में कोई कार्यवाही आज तक नहीं लाई गई ।शिकायत दर शिकायत के बाद भी जांच व कार्यवाही की जगह शिकायती प्रार्थना पत्रों को गायब किया जाता रहा। यह हाल है जिले के कथित सबसे ईमानदार परियोजना अधिकारी डूडा के। आरोपो की पुष्टि के साक्ष्य भी दिए गए पैसा लेते वीडियो भी दिया गया ।लेकिन अपने कमाऊ एजेंट अभिषेक मिश्रा के खिलाफ परियोजना अधिकारी डूडा द्वारा मुकदमा न पंजीकृत कराया जाना चर्चा का विषय बना है।
 
कहीं अपना राज खुलने और अपनी गर्दन फंसने के डर से तो नहीं  डीसी अभिषेक मिश्रा के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने से कतराते नज़र आ रहे हैं साहब। अहम सवाल बना हुआ है। इतना ही नहीं वर्ष 2020 में अरिनेम कंपनी के सर्वेयर द्वारा सी एल टी सी पर पैसा लेने का आरोप लगाते हुए वीडियो वायरल हुआ था। जिससे सवेयर आशीष त्रिवेदी को होल्ड कर दिया गया था ।पलिया व भीरा के दर्जनों लोगों ने अरिनेम सर्वेयर आशीष त्रिवेदी पर आवास के नाम पर सैकड़ो लोगों से प्रति आवास 20 से ₹30000 वसूले जाने के आरोप लगाए हैं ।गोपनीय सूत्र द्वारा बताए गए अनुसार आशीष त्रिवेदी द्वारा एक डीपीआर में  लाखों रुपए उठा लाने के आरोपों का दौर थमता नजर नहीं आ रहा है।
 
इतना ही नहीं आशीष त्रिवेदी सर्वेयर अरिनेम कंपनी का एक मकान इनके बाबा के नाम मोहल्ला शांति नगर में बना है ।और गांव में विशालकाय पक्का मकान बना है जहां इनका पूरा परिवार रहता है ।और उनके द्वारा सर्वेयर पद पर रहते हुए पद का दुरुपयोग करते हुए अपने व अपने परिवार के लोगों के नाम चार आवास लिए गए। जिसमें दो आशीष के जो लक्ष्मी देवी कॉलोनी में बने हैं। और उनके चाचा के लड़के के नाम भी आवास लिए गए हैं ।जबकि उनका भी मकान शांति नगर मोहल्ले में बृजभवन के पीछे पहले से पक्का मकान बना था ।यदि अकेले भीरा नगर पंचायत की ही कर ली जाए जांच तो भीरा में ही भारी भ्रष्टाचार का होगा खुलासा ।अभी हाल ही में शिकायतकर्ता विशाल पांडे पुत्र स्वर्गीय गोविंद पांडे द्वारा डीपीआर नंबर 552 जो अरिनेम की ही बतायी जाती है।
 
इसमें आशीष त्रिवेदी द्वारा जमकर उगाही किए जाने की आरोपो का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है ।उक्त विशाल पांडे द्वारा दी गई शिकायत अभी अमल में नहीं लाई गई है और ना ही शिकायत की जांच ही कराई गई है ।लोगों का आरोप है कि परियोजना अधिकारी डूडा भ्रष्टाचार के आरोप से घिरे  सर्वेयर आशीष कुमार त्रिवेदी व डीसी अभिषेक मिश्रा सहित सी एल टी सी विकास श्रीवास्तव को बचाने की नियत से मामले की जांच कराने की बजाय शिकायती पत्र को गायब कर देते हैं या फ़िर रद्दी की टोकरी में डाल कर मामले की लीपापोती कर दी जाती है।
 
 यदि उक्त मामले की कराई जाए निष्पक्ष उच्च स्तरीय जांच तो होगा एक बड़े फर्जीवाडे और भ्रष्टाचार का खुलासा।और परियोजना अधिकारी पर भी आयेगी दोषियों को अब तक जानबूझकर संरक्षण देने की आंच। अपनी व अपने चहेते लोगों की गर्दन फंसते देख की गई कार्यवाही। यदि डूडा में सबकुछ सही और नियम से हो रहा था तो फिर क्यों की गई कुछ वाकई ईमानदार लोगों पर कार्यवाही। बिना किसी आरोप के सीएलटीसी दिवाकर को क्यों बनाया गया बली का बकरा  मिली जानकारी को सत्य माने तो यह सब खेल पूर्व डी सी अभिषेक मिश्रा के पर्दे के पीछे से किये गये इशारे पर तो नहीं की गई है। शेष खुलासा अगले अंक में, जिसमें विभागीय जिम्मेदार अधिकारीऔर पूर्व डी सी के मध्य हुई वार्ता के अंशों का भी होगा खुलासा।

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