ना पीने को शुद्ध जल और ना ही साफ सफाई और जरूरी सुविधाएं तो कैसे बनेंगे स्मार्ट गांव

स्वतंत्र प्रभात
लखनऊ। केन्द्र की मोदी सरकार  ने यह फैसला लिया था कि शहर की तर्ज पर अब गाँव भी स्मार्ट गाँव बनेगें जिससे गाँव के लोगों को बेहतर व्यवस्थाएँ मिलेगी नाली खड़ज्जे बेहतर बनेगें स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांवों को भी साफ रखा जायेगा और सुन्दर बनाया जायेगा लेकिन अफसरों की मनमानी की वजह से ऐसा होता नहीं दिखाई दे रहा है।
 
स्मार्ट गाँव तो दूर गांवों में लगने वाले स्वच्छ भारत मिशन के तहत डस्टबिन भी नदारद है। गांवों में कूड़े घर तक नहीं बन पाए हैं। गाँवो में जगह जगह पर गंदगी का अम्बार है। लखनऊ के ब्लॉक सरोजनीनगर के गांवों तो एक नजीर भर है प्रदेश में सभी गांवों की स्थिति बद से बद्तर है। गांवों में बने तालाबों को ग्रामीणों द्वारा कूड़ा डाल डाल कर पाटा जा रहा है तालाबों की साफ सफाई तक वर्षों से नहीं हुई बरसात के पानी के संचय के लिए भीषण समस्या उतपन्न होगी।
 
लेकिन अधिकारियों को इससे कोई सरोकार भी नहीं है। अधिकारी केवल आफिस में बैठकर कुर्सी तोड़ रहे हैं जमीनी हकीकत जानने का उनके पास समय तक नहीं है गांवों में आरसीसी रोड पर घूर का ढेर पड़ा है, नालियाँ बजबजा रही है। सरोजनीनगर ब्लॉक के लगभग ज्यादातर तक गांवों की स्थिति यही है। 
 
रामदासपुर गाँव में भी तालाब में ग्रामीणों द्वारा लगातार कूड़ा फेंका जा रहा है जिससे तालाब में भीषण गन्दगी का अम्बार लगा है। तालाब भी धीरे धीरे पट रहा है लेकिन इस पुराने तालाब को बचाने वाला कोई भी नहीं है और आने वाले समय में जल संचय की भारी किल्लत उठानी पड़ सकती है।

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