कोचिंग संस्थान 16 साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं देंगे एडमिशन, शिक्षा मंत्रालय का निर्देश

स्वतंत्र लेखक:- सचिन बाजपेई

निर्देश के मुताबिक जिन भी बच्चों की उम्र 16 साल से कम होगी, कोचिंग संस्थान उन्हें एडमीशन नहीं दे सकेंगे। इसके ऊपर साफ कहा गया है कि बच्चों के माता-पिता को भ्रामक जानकारियां भी नहीं दी जाएंगी, ना ही किसी तरह की रैंकिंग की गारंटी देने की इजाजत रहेगी। देश में छात्रों में आत्महत्या के बढ़ते मामलों के बीच शिक्षा मंत्रालय द्वारा एक बड़ा निर्देश जारी किया गया है।

इस निर्देश के मुताबिक जिन भी बच्चों की उम्र 16 साल से कम होगी, कोचिंग संस्थान उन्हें एडमिशन नहीं दे सकेंगे। इसके ऊपर साफ कहा गया है कि बच्चों के माता-पिता को भ्रामक जानकारियां भी नहीं दी जाएंगी, ना ही किसी तरह की रैंकिंग की गारंटी देने की इजाजत रहेगी।

यहां ये समझना जरूरी है कि राजस्थान के कोटा से छात्रों के सुसाइड की खबरें सामने आती हैं। तनाव से लेकर पढ़ाने के तरीके तक, कई कारणों से बच्चे अपनी जान दे देते हैं। अब उसी को रोकने के लिए फैसला लिया गया है कि 16 साल से कम उम्र के बच्चों कोचिंग संस्थान एडमिशन नहीं देंगे। इसके अलावा नई गाइडलाइन में ये भी बताया गया है कि स्नातक से कम योग्यता वाले शिक्षकों को नियुक्त नहीं किया जाएगा


इसके अलावा सरकार ने जोर देकर कहा है कि अब से जितनी भी कोचिंग संस्थान होंगी, उन्हें अपनी वेबसाइट पर शिक्षकों की लिस्ट से लेकर हर पाठ्यक्रम की पूरी जानकारी देनी होगी। कोचिंग संस्थान द्वारा क्या सुविधाएं दी जाएंगी से लेकर कोर्स कब तक खत्म होगा, इसका विवरण भी स्पष्ट रखना होगा। बड़ी बात ये है कि अगर अब कोई छात्र बीच में ही अपना कोर्स छोड़ना चाहेगा, तो कोचिंग संस्थान को उसकी आधी फीस वापस करनी होगी। पहले कई बार फीस वापस ना मिलने के डर से भी छात्र दबाव झेलते रहते थे।
वैसे ये गाइडलाइन क्यों लानी पड़ी, ये समझना भी जरूरी है।

असल में 2015 में 17 छात्रों ने सुसाइड किया, 2016 में 16, 2017 में 7, 2018 में 20, 2019 में 8, 2020 में 4 और 2022 में 15। अब ये आंकड़ा बताता है कि पिछले कुछ सालों में एक बार फिर सुसाइड केस में वृद्धि देखने को मिल गई है।

_सचिन बाजपेई 

 

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