पी एम आवास की गवन गाथा नं० 1

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी  शहरी पीएम आवास योजना
 
फर्श से अर्श पर पहुंचे सर्वेयर और डीसी व  सी एल टी सी
 
प्रति आवास भारी भरकम धनराशि लेकर अपात्रों और नो लैंड स्पेस  गाइडलाइन के विपरीत दिए गए प्रधानमंत्री आवास
 
कई आवास बने ही नहीं पैसा निकाल कर हजम
 
सर्वेयरों व डीसी ने अपने परिवार वालों को दिए दो-दो आवास कहीं तीसरी मंजिल पर बने आवास तो कहीं पहले से बने मकान का रंग रोगन कराकर बंदर बांट   हजम कर ली गई प्रधानमंत्री आवास की धनराशि
 
लखीमपुर खीरी
 
भले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बड़ी-बड़ी मंचों से कह रहे हो ना खाऊंगा ना खाने दूंगा और प्रदेश के उपयोगी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार के समूल सफाए की बातें कर रहे हो और इसके लिए जीरो ट्रारलेस नीति लागू करने के बड़े-बड़े दाबे सभा में कर रहे हो पर उनके दावो और वादों का उनके मातहतो द्वारा कैसे धूल चटाते हुए भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर दी गई। देखना है तो आइए हम आपको लेकर चलते हैं जनपद लखीमपुर खीरी के डूडा कार्यालय जहां शहरी प्रधानमंत्री आवास के नाम पर जमकर अवैध वसूली किए जाने का मामला सुर्खियां बन रहा ।लेकिन ऊपर तक जा रहे तय शुदा हिस्से के चलते आज तक कोई कार्यवाही होना तो दूर की बात जांच तक संभव नहीं हो सकी ।परिणाम यह रहा आवास योजना साधन संपन्न रसूखदारों के हाथों की कठपुतली बनकर रह गई। जरूरतमंद गरीब आज भी आवास के लिए चक्कर काटते फिर रहे हैं।
 
जिसकी शपथ पत्रों के साथ सैकड़ो शिकायतें भी हुई पर अवैध उगाही और अपात्रों को लाभ पहुंचाते हुए सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का जमकर अतिक्रमण किया गया। और धनवल की दम पर रसूखदारों और अपात्रों को रेवड़ी की तरह प्रधानमंत्री आवास से नवाजा गया। और इसके एवज में अलग-अलग किस्तों में 20 से ₹50000 तक की रिश्वत खोरी कर ली गई। यह आरोप मेरे नहीं कई प्रधानमंत्री आवास लाभार्थियों के हैं। गौर तलब हो कल तक जिनको साइकिल नसीब नहीं थी वह दो-दो ब्रेजा क्रेटा कारों से फर्राटा भरते देखे जा सकते हैं। वहीं कुछ महंगी बाइको पर घूमते दिख सकते हैं। इस फर्जीवाडे और रिश्वतखोरी व भ्रष्टाचार में नगर पालिका परिषद नगर पंचायत के कर्मचारी व क्षेत्रीय लेखपाल जो आवास की पात्रता की जांच में लगाए गए थे
 
उन्होंने भी भ्रष्टाचार की इस गंगा में जमकर गोते लगाए। इनका आलम यह रहा कि जिस लाभार्थी ने चढ़ावा चढ़ाया तो वह चाहे यूं यल बी से बाहर किसी ग्राम पंचायत का क्यों न हो पात्र हो गया और जिसने चढ़ावा नहीं चढ़ाया तो वह अपात्र हो गया या फिर संपर्क नहीं हुआ लिखकर अपात्र कर दिया गया। फर्जीवाडा और भ्रष्टाचार कई स्तरों पर किया गया ।जिसका खुलासा एपिसोड वार किया जाएगा। फिलहाल आज की खबर में हम बतौर बांनगी स्वरूप कुछ ही नाम का खुलासा करेंगे। अगले अंक में भी हम नाम का खुलासा करेंगे सभी नगर पंचायत एवं नगर पालिका परिषदों में प्रधानमंत्री आवास शहरी के नाम पर करोड़ों रुपए का चूना लगाया गया है। और करोड़ों रुपया बतौर सुविधा शुल्क लाभार्थी से वसूल किए जाने की चर्चा आम है। लेकिन अपने आप को जिले का सबसे ईमानदार बताने वाले डूडा के जनाब को इन सब मामलों पर जांच करने की जरूरत ही नहीं महसूस हुई या फिर इनको इस भ्रष्टाचार की जानकारी ही शायद नहीं है। या यूं कह सकते हैं कि इन्होंने मामले में जानने का प्रयास ही नहीं किया।
 
इस भ्रष्टाचार के लिए सबसे ज्यादा चर्चित रहे लोगों में स्नो फाउंटेन कम्पनीके डी सी अभिषेक मिश्रा और तत्कालीन सी यल टी सी  विकास श्रीवास्तव का नाम प्रमुख रूप से प्रकाश में आया है। आइए हम यहां पर कुछ ही नाम का जिक्र बतौर वांनगी करते हैं।यदि इन्हीं की जांच करा ली जाए तो डीसी अभिषेक मिश्रा समेत कई अन्य जिम्मेदारों का विरुद्ध होगी बड़ी कार्यवाही और शाहबानो को जाना पड़ सकता है जेल। इसके साथ ही रिकवरी की भी कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है। अपात्र और नो लैंड स्पेस के नाम में गुड्डी देवी पत्नी पृथ्वी पाल डीपीआर संख्या 552 इनका पहले से पक्का मकान बना था यह शिवपुरी निवासी हैं अनुज कश्यप पत्र गिरधारी लाल निवासी बरखेरबा डीपीआर संख्या 552 जो लैंड स्पेस तो इनका आवास कहां बना? और कैसे स्वीकत हुआ? और कहां जियो टैग किया गया,? सरिता देवी पत्नी सत्य प्रकाश त्रिवेदी निवासी मोहल्ला हाथीपुर नो लैंड स्पेस मंजुला अवस्थी पत्नी सुधीर कुमार निवासी निर्मल नगर अपात्र आवास बना है पहले से। सुशीला निवासी ग्राम पंचायत कमलापुर यू एल बी से बाहर दिया गया है।
 
नूतन कश्यप पुत्र गोकर्ण प्रसाद डीपीआर संख्या 552 निवासी ग्राम कमलपुर में आवास दिया गया है जो यूं यल बी से बाहर है ।विनोद सिंह पुत्र वीर सिंह निवासी निर्मल नगर आउट ऑफ यु एल बी आवास दिया गया है। खिलौना अवस्थी निवासी गोकुलपुरी अपात्र हैं डीपीआर संख्या 284 है। सरला शुक्ला पत्नी रामकृष्ण शुक्ला निवासी शिव कॉलोनी पहले से बने मकान का फोटो खींचकर फर्जी जिओ टेग कर हडप ली गई सरकारी धनराशि और आवास नहीं बनवाया गया। रामपाल रस्तोगी पुत्र राम शंकर रस्तोगी डीपीआर संख्या 197 रामनगर कॉलोनी, राम श्री पत्नी छोटेलाल निवासी शिवपुरी डीपीआर संख्या 89, रमेश कुमार पुत्र राम प्रसाद निवासी कमलापुर डीपीआर संख्या 89 ,सुनीता देवी पत्नी जसकरन निवासी मिश्राना का आवास दीनदयाल स्कूल के पास बनवाकर फर्जीवाडा किया गया है ।
 
यह तो महज बानगी भर है ।ऐसे एक दर्जन से अधिक नाम और हैं जो नो लैंड स्पेस के बावजूद दिए गए हैं और आवास बने ही नहीं है। पैसा 3 वर्ष पूर्व निकालकर बंदरवाट किया जा चुका है। भ्रष्टाचार की पोल खोलने को उक्त आवास ही काफी है ।यह तो भ्रष्टाचार ,नियम विपरीत, प्रधानमंत्री आवास दिए जाने एवं शासन द्वारा जारी गाइडलाइन का अतिक्रमण किए जाने की पुष्टि  को काफी है ।लगभग एक सैकड़ा शहरी प्रधानमंत्री आवास अपात्र एवं यूं यल बी से बाहर, व नो लैंड स्पेस होने के साक्ष्य मौजूद हैं ।तथा इसके लिए दर्जनों शपथ पत्रों सहित पूर्व में की गई शिकायतों की प्रतियां भी बतौर साक्ष्य मौजूद है ।जो जिम्मेदारों की कार्य प्रणाली एवं भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मियों को संरक्षण देने सहित भ्रष्टाचार को पुष्पित व पल्लवित करने की पुष्टि के लिए काफी है।
 
जनपद में यदि  प्रधानमंत्री आवास शहरी की जांच करा लीजाय और निष्पक्ष जांच हो तो हजारों आवास ऐसे मिलने का खुलासा होगा जो गाइडलाइन को ताक पर रखकर अपात्रों और  और नो लैंड स्पेस तथा पहले से बने पक्के मकान का फोटो खींचकरआवास आवंटित करके धनराशि का बंदर बाट किए जाने का खुलासा होगा। अगले अंक में शहर के ही कुछ और नामो का खुलासा किया जाएगा ।उसके बाद सिंगाही निघासन भीरा सहित अन्य नगर पंचायत में खेले गए खेल का खुलासा होना भी संभव है। एपिसोड वार पढ़ते रहिए प्रधानमंत्री आवासों की गवन गाथा स्वतंत्र प्रभात समाचार पत्र के साथ। यदि उक्त प्रकरण की गठित जांच टीम द्वारा कराई जाए निष्पक्ष जांच तो  कई सर्वेयरों एवं अन्य जिम्मेदारों पर कार्यवाही की गाज गिरना होगा तय।
 
 
इस संबंध में जब परियोजना अधिकारी डूडा से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो फोन नाटक रिचेबिल होने के चलते उनसे संपर्क नहीं हो पाने के चलते उनके पक्ष की जानकारी नहीं मिल सकी।
 

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