कांग्रेस के शीर्ष नेताओं  और कांग्रेस के राज्य इकाइयों के  बीच क्यों है राम मंदिर को लेकर विरोधाभास

 

अयोध्या में नए राम मंदिर में रामलला की मूर्ति का प्राण-प्रतिष्ठा समारोह चर्चा में है। 22 जनवरी को कार्यक्रम है और सामने देश में लोकसभा चुनाव हैं। लिहाजाअभी से राजनीतिक दलों के बीच सियासत की पिच तैयार की जाने लगी है। जैसे ही कांग्रेस ने राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का न्योता ठुकरायाभाजपा  आक्रमण मोड में आ गई। देशभर से भाजपा  नेताओं की प्रतिक्रियाएं आती  रही हैं और कांग्रेस को हिंदू विरोधी साबित करने की होड़ मच गई है। हालांकियह भी सच है कि 90 के दशक में कांग्रेस ने अपने घोषणा-पत्र में कानूनी तरीके या बातचीत के जरिए राम मंदिर निर्माण के लिए हामी भरी थी। इस लिहाज से तो उसे अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाना चाहिए था। लेकिनयह दांव बताता है कि कांग्रेस सॉफ्ट हिंदुत्व से किनारा कर रही है। 

दरअसलहाल ही में जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैंवहां कांग्रेस ने सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड खेलालेकिन उसे इस दांव के जरिए सफलता नहीं मिली है। मध्य प्रदेशराजस्थान और छत्तीसगढ़ तीनों राज्यों में हार का सामना करना पड़ा है। जबकि दक्षिण के राज्यों में पहले कर्नाटक और फिर तेलंगाना में जबरदस्त जीत मिली है। इन दोनों राज्यों में एंटी सनातन और एंटी बिहार का मसला खूब चर्चा में रहा। अयोध्या को लेकर यह बात निकलकर आई कि एक फैसले से पार्टी को केरल में झटका लग सकता है। उसे चुनाव में नुकसान उठाना पड़ेगा। कर्नाटकतेलंगाना जैसे राज्यों में सीटें कम हो सकती हैं। यहां कांग्रेस को अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है। उत्तरीपश्चिमी और अन्य मध्य राज्यों में पार्टी कोई खास फायदा नहीं होगाजहां भाजपा -कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई है।

फिलहालसारे प्रयोग के बाद कांग्रेस अब सॉफ्ट हिंदुत्व से किनारा करने लगी है। हालांकिइसका अपवाद भी है। राज्य इकाइयों में स्थानीय स्तर पर अभी भी नेता राम या राम मंदिर और सॉफ्ट हिंदुत्व में भरोसा रख रहे हैं। जब कांग्रेस हाईकमान ने अयोध्या जाने से इंकार कर दिया तो गुजरात से लेकर उत्तरप्रदेश  और हिमाचल प्रदेश के नेताओं की प्रतिक्रियाओं ने हर किसी का ध्यान आकर्षित किया। गुजरात कांग्रेस के मीडिया विभाग के सह-संयोजक और प्रवक्ता हेमांग रावल कहते हैं कि मुझे गर्व है कि मैं धर्मकर्मवचन से हिंदू ब्राह्मण हूं। दुनिया में श्री राम के नाम से बड़ा कोई नाम नहीं है। राम मंदिर निर्माण के गौरवशाली क्षण पर अगर मुझे निमंत्रण मिलता तो मैं जरूर जाता। मैं जल्द ही रामचंद्र के दर्शन करने जाऊंगा। जय श्री राम।

गुजरात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पोरबंदर से विधायक अर्जुन मोढवाडिया अपनी ही पार्टी को नसीहत देते हैं और कहते हैं कि भगवान श्री राम आराध्य देव हैं। यह देशवासियों की आस्था और विश्वास का विषय है। कांग्रेस को ऐसे राजनीतिक निर्णय लेने से दूर रहना चाहिए था।इसी तरहकांग्रेस नेता अंबरीश डेर कहते हैं कि देशभर में अनगिनत लोगों की आस्था इस नवनिर्मित मंदिर से वर्षों से जुड़ी हुई है। कांग्रेस के कुछ लोगों को उस खास तरह के बयान से दूरी बनाए रखनी चाहिए और जनभावना का दिल से सम्मान करना चाहिए। इस तरह के बयान से मेरे जैसे गुजरात कांग्रेस के कई कार्यकर्ताओं के लिए निराशाजनक हैं। 

बात यहीं खत्म नहीं हो जाती है। कांग्रेस नेता कमलनाथ मध्य प्रदेश में चुनावी साल में राम मय नजर आए थे । उन्होंने चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत ही धार्मिक आयोजन से की थी । पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी को भी बुलाया था । नर्मदा तट पर पूजा-अर्चना और आरती का कार्यक्रम रखा। उससे पहले सनातन के बड़े चेहरे धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को छिंदवाड़ा बुलाकर कथा का आयोजन करवाया। एक दिन पहले ही उनके बेटे और छिंदवाड़ा से सांसद नकुलनाथ ने एक्स पर एक वीडियो शेयर किया और लिखा, 4 करोड़ 31 लाख राम नाम लिखकर छिंदवाड़ा इतिहास रचने जा रहा है। फिर  उसी क्रम में पूर्व मुख्यमंत्री आदरणीय कमलनाथ जी के साथ सिमरिया हनुमान मंदिर पहुंचकर पत्रक में राम नाम लिखा। लोगों से  अपील  कि की इस ऐतिहासिक कार्य में शामिल होकर पुण्य लाभ अर्जित करें। राम राम।

उत्तरप्रदेश  में प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने पहले ही कह रखा था  कि वो मकर संक्राति पर अयोध्या जाएंगे और रामलला के दर्शन करेंगे। उनके साथ उत्तरप्रदेश  कांग्रेस के नेता भी अयोध्या पहुंचेंगे। राय ने नया नारा भी दिया था - 'सबके रामचलो अयोध्या धाम'। पोस्टर में उन्होंने सोनिया गांधीमल्लिकार्जुन खड़गेराहुल गांधीप्रियंका गांधी और प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे की तस्वीर लगाई थी । जो उन्होंने कहा वह कर भी दिखाया । अयोध्या में सोमवार को उत्तरप्रदेश कांग्रेस के नेताओं की रामभक्ति का नज़ारा दिखा। सांसद दीपेन्द्र हुड्डाउत्तरप्रदेश  कांग्रेस अध्यक्ष अजय रायपार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेतउत्तरप्रदेश  प्रभारी अविनाश पांडे जैसे तमाम नेता अयोध्या पहुंचे, ‘जय श्रीराम’, ‘जय जय सियाराम’, ‘सियावर रामचन्द्र की जय’ के नारे गूंजे। वैसे तो ये कोई बड़ी बात नहीं  हैभगवान राम के नारे कोई भी लगा सकता हैसरयू में डुबकी लगाकर रामलला के दर्शन कोई भी कर सकता है लेकिन कांग्रेस के नेताओं का अयोध्या जाकर सरयू में डुबकी लगाना और जय श्रीराम के नारे लगाना इसलिए बड़ी बात है क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगेसोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी ने 22 जनवरी को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाने से इंकार कर दिया हैरामजन्भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के आमन्त्रण को ठुकरा दिया है। लेकिन सोमवार को मकर संक्रांति पर कांग्रेस के तमाम नेताओं ने अयोध्या पहुंचकर सरयू में डुबकी लगाईपापों का प्रायश्चित कियाबजरंगबली के दर्शन किएफिर राम के दरबार में हाजिरी लगाईइसके बाद कहा कि हम तो पुराने रामभक्त हैं,

कांग्रेस के शीर्ष  नेताओं ने कहा कि जिस काम को शंकराचार्य सनातन विरोधी बता रहे हैंजिस कार्यक्रम में शंकराचार्य नहीं आ रहे हैंउस समारोह में कांग्रेस के नेता क्यों जाएंगे। भाजपा  वाले तो 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के नाम पर पाप कर रहे हैंअधूरे मंदिर में रामलला का विग्रह स्थापित कर रहे हैं। मंगलवार को कोहिमा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 22 जनवरी के कार्यक्रम को राजनीतिक बतायाकहा कि कांग्रेस इस राजनीतिक कार्यक्रम में नहीं जाएगी क्योंकि भाजपा -आरएसएस चुनावी फायदे के लिए ये कार्यक्रम करवा रही है। राहुल गांधी ने कहा कि मुझे धर्म से फायदा नहीं उठानामेरी उसमें दिलचस्पी नहीं हैमुझे धर्म को शर्ट बनाकर पहनने की जरूरत नहीं हैजो सच में धर्म के साथ पब्लिक रिश्ता रखता हैवही धर्म से फायदा उठाता है। लेकिन सोमवार को अयोध्या में उत्तरप्रदेश  कांग्रेस के नेता क्या कर रहे थे?  ये सभी नेता दर्जनों कार्यकर्ताओं के साथ सरयू के तट पर पहुंचेजय श्रीराम के नारे लगाए और डुबकी लगाई। कड़कड़ाती ठंड में सभी नेताओं ने पानी में खड़े होकर पूजा अर्चना की। ये नेता माथे पर त्रिपुंड लगाकर हनुमान गढ़ी पहुंचे और राम लला की पूजा की। अजय राय ने कहारामलला की अभी जो मूर्ति है वो तो पहले से प्राण प्रतिष्ठित हैइसलिए 22 जनवरी को क्या होने जा रहा हैये तो भाजपा  वाले ही बता सकते हैं। स्नान ध्यान के बाद कांग्रेस के नेताओं ने हनुमान गढ़ी में बजरंग बली के दर्शन किए। इसके बाद सभी नेता रामलला के दर्शन के लिए पहुंचे। रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास से मुलाक़ात कीउनका आशीर्वाद और प्रसाद लिया। चूंकि कांग्रेस के कार्यकर्ता पांर्टी का झंडा लेकर अयोध्या पहुंचे थे इसलिए रामभक्तों ने इसका विरोध भी किया। कुछ लोगों ने कार्यकर्ताओं के हाथ से छीनकर कांग्रेस का झंड़ा फाड़ दिया लेकिन पुलिस ने बीचबचाव कर हालात को संभाल लिया।

बाद में महंत राजू दास ने कहा कि कांग्रेस नेताओं की भगवान राम में निजी आस्था पर उन्हें कोई शक नहीं है लेकिन उन्हें कांग्रेस की दोहरी नीति से ऐतराज़ है। महंत राजू दास ने कहा कि एक तरफ़ तो कांग्रेसभगवान राम के अस्तित्व को नकारती हैप्राण प्रतिष्ठा का न्यौता ठुकराती है और फिर अपने नेताओं को रामलला के दर्शन के लिए भी भेजती हैभगवान राम के धाम में ये दोहरा चरित्र नहीं चलेगा। कांग्रेस नेताओं के अयोध्या दौरे में भक्ति कमराजनीति ज्यादा थी। खरगेसोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी भले ही न समझे कि आम जनमानस पर राम नाम का क्या असर हैप्राण प्रतिष्ठा समारोह के बॉयकॉट का क्या असर होगालेकिन उत्तरप्रदेश  कांग्रेस के नेता राम नाम की शक्ति को भलीभांति जानते हैंअयोध्या की महिमा को पहचानते हैं,  इसीलिए अजय राय भगवान राम के जयकारे लगातेसरयू में डुबकी लगाते दिखे। लेकिन चूंकि हाईकमान ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह से दूर रहने का फैसला किया हैउस फैसले का विरोध कर नहीं सकतेये उनकी मजबूरी है। इसलिए राम का नाम लेकर अपना काम किया। ये हाल सिर्फ कांग्रेस का नहीं हैं। मोदी विरोधी मोर्चे में शामिल ज्यादातर पार्टियों ने 22 जनवरी के कार्यक्रम से दूरी बनाई है। लेकिन ये पार्टियां असमंजस में है। उन्हें पता नहीं ठीक किया या गलतइसलिए अब सारी पार्टियां  खुद एक दूसरों से बड़ा रामभक्त बताने में जुटी हैं। 

दिल्ली में मंगलवार को अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने हनुमान चालीसा और सुंदर कांड का पाठ करवाया। लेकिन आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद और पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह ने एलान कर दिया कि कोई जाए न जाएवो तो अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन जरूर करेंगे। हरभजन की ये गुगली केजरीवाल को मुसीबत में डाल सकती है । हरभजन ने एलान तो कर दिया है लेकिन अब इसके बाद सियासी गलियारों में ये चर्चा शुरू हो गई है कि हरभजन सिंह अगले दो महीनों में कुछ बड़ा कर सकते हैं। हो सकता है उनकी बाल टर्न  ले ले,  लोकसभा चुनाव से पहले हाथ में कमल का फूल लेकर अयोध्या पहुंचें। लेकिन ये सब अटकलबाजी  हैं। हकीकत ये है कि अयोध्या में राममंदिर बनने की खुशी दुनिया में बसे हर हिन्दू को है। ये कोई सियासी कार्यक्रम नहीं हैं। पांच सौ साल के बाद रामलला फिर भव्य मंदिर में विराजमान हो रहे हैं। इसलिए हर किसी को पार्टी राजनीति से ऊपर उठकर भक्तिभाव से इस खुशी में शामिल होना चाहिए। चूंकि साधु संतोंशंकराचार्योंधर्माचार्यों ने राम मंदिर के उद्घाटन और प्राण प्रतिष्ठा समारोह को आशीर्वाद दिया हैबड़े विद्वानों ने प्राणप्रतिष्ठा का महूर्त निकाला हैइसलिए इस पर किस पार्टी के नेता क्या कहते हैंइससे रामभक्तों को कोई मतलब नहीं हैं। 

अशोक भाटिया,

वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार ,लेखक  एवं टिप्पणीकार

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