ग्राम पंचायत दरी नगरा में डेढ़ लाख की धनराशि से मरम्मत होने के बावजूद  सचिवालय में पानी की व्यवस्था नही और शौंचालय बहा रहे अपनी बदहाली के आंसू 

मितौली खीरी।

 सरकार ग्रामीण विकास के लिए सतत प्रयास रत रहती है तथा अपने नागरिकों को हर सुविधा मुहैया करने के लिए ग्राम विकास के लिए करोड़ों रुपए की भारी भरकम धनराशि भेजती है किंतु उनके नुमाइंदे जिन्हे ग्राम विकास और निरीक्षण का अवसर प्रदान किया जाता है वह स्वयं ही अपने जेबें भरने का की जुगत में लगे रहते है।

  हर कार्य पारदर्शिता से संपन्न हो इसके लिए काम कई प्रकार की जांच के दौर से गुजरता है किंतु फिर भी ढाक के तीन पात। किंतु जिम्मेदार सरकार की मंशा पर पानी फेरने का पुर जोर प्रयास करे मालामाल होने की तक में लगे रहते है। यही मामला विकास खंड की  ग्राम पंचायत दरी नगरा का है। जहां पर कई आरोप आवासों के आवंटन को लेकर भी है । जिम्मेदारों ने आवास अपनी मनमानी के चलते उन्ही अपने खास लोगो को आवंटित किया है जिन्हे पूर्व में भी दिया जा चुका है।

यही नहीं जिसे गांव का मिनी सचिवालय या पंचायत भवन कहा जाता है उसकी मरम्मत में भी करीब डेढ़ लाख की भारी भरकम धनराशि खर्च की गई। एक सभाकक्ष की फर्श में टाइल्स तो लगाए गए। किंतु न तो  सचिवालय में पेय जल की किसी प्रकार की व्यवस्था की गई न ही शौचालय की मरम्मत करवाई गई । सचिवालय के शौचालय तो  अपनी जर्जर और बदहाल व्यवस्था पर खुद आंसू बहाने को मजबूर है। शौचालय की आंतरिक दीवारे कब किस पर गिर जाए कोई भरोसा नहीं है।

वही इसी सचिवालय में न बिजली न पंखे न कुर्सी मेज और न कंप्यूटर, कैसे मिलेंगी नागरिकों को सुविधाएं? डेढ़ लाख में हुई है सचिवालय की मरम्मत शौचालय की सीट और गड्ढे, दिवारे रामभरोशे ही कही जा सकती है। आखिर करीब एक लाख छप्पन हजार की धन राशि में मरम्मत जो हुई है।

इसी गांव पंचायत में इंटर लाकिंग रास्ता  बनाने में भी जमकर लूट घसोट के मामले बताए जा रहे है। नगरा गांव में करीब 26 माह पहले एक टेंडर हुआ पुलिया से  हरेंद्र सिंह के मकान तक इंटर लाकिंग रास्ता बनने के लिए।  बताते है धनराशि तो व्यय हो गई किंतु रास्ता आज भी जैसा  कल था आज भी उसी हालत है।

आखिर कौन हजम कर गया इंटरलॉकिंग?इस बाबत जब खंड विकास अधिकारी राकेश सिंह से दूरभाष के माध्यम से वार्ता की गईं तो उन्होंने बताया इस प्रकरण की जांच करके कार्रवाई की जाएगी। अखबारों में प्रकाशित हुई खबरों के चलते  पुताई तो करवा दी गई है किंतु शेष व्यवस्था जस की तस बनी हुई है। जिम्मेदार आज भी कानो में तेल डाले बैठे है। अगर बात की जाए प्राथमिक विद्यालय नगरा के मेन गेट की तो गेट की जगह  पतली शरिया का जाल बनाकर इति श्री की गई है।

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