आरोपी से घिरे प्रबंध निदेशक मोजमाबाद समिति की उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग

जांच के नाम पर खेला जा रहा लीपा पोती का खेल-- सुरेश राजभर

सचिव अनूप कुमार मिश्रा द्वारा संरक्षक मंडल के सदस्यों के हस्ताक्षर बनवाकर  स्वरचित बयान लिखकर दिनांक रहित पत्र प्रेषित करके जांच अधिकारी को किया जा रहा गुमराह करने का प्रयास
 
 
लखीमपुर खीरी-
 
संचालक मंडल सदस्यों और समिति सचिव के बीच चल रहे गठजोड़ और दुरभि संधि के चलते समिति राजनीति का अखाड़ा एवं भ्रष्टाचार का गढ़ बनती जा रही है ।यह मैं नहीं कहता हूं कई किसान एवं सुरेश राजभर समेत एक संचालक मंडल सदस्य सहित पूर्व महिला समितिकी कथित संविदा कर्मी द्वारा आरोप लगाया गया है। जिसके चलते किसानों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है ।बताते चले उक्त मामले में किसान सदस्य सुरेश राजभर इसका जीता जागता उदाहरण है। आजकल मौजमाबाद साधन सहकारी समिति सुंदरवल खासा सुर्खियों में बनी है। गौर तलब हो कि इस समिति के प्रबंध निदेशक अनूप कुमार मिश्रा पर उच्च अधिकारियों को देने के नाम पर रिश्वत मांगे जाने के आरोपों का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है ।
 
किसान सदस्य सुरेश राजभर पुत्र छेदीलाल के द्वारा जिला अधिकारी खीरी एवं ए आर कोऑपरेटिव को दिए गए शिकायती पत्र की प्रति उपलब्ध कराते हुए बताया कि उसने मोजमाबाद साधन सहकारी समिति का किसान सदस्य होने के चलते फसली ऋण की मांग की थी। उक्त समिति सचिव अनूप कुमार मिश्रा द्वारा आजकल कहकर टरकाया जाता रहा ।फिर जब एक दिन सुरेश राजभर द्वारा पुनः पूछा गया कि कब तक लोन हो जाएगा पैसा और खाद के अभाव में उसकी फसल बर्बाद हो रही है। तो अनूप कुमार मिश्रा द्वारा बताया गया कि लोन पास करने में आपको पैसा देना पड़ेगा ऊपर बिना पैसा दिए ऋण स्वीकृत नहीं होता है। सुरेश राजभर ने पैसा देने से मना किया तो समिति से अपमानित करके भगा दिए जाने के आरोप सचिव पर किसान सुरेश राजभर द्वारा लगाए गए हैं। यह पहला मामला नहीं है इससे पूर्व का मामला है
 
जिसमें एक महिला शिप्रा मिश्रा ने अनूप कुमार मिश्रा उक्त समिति सचिव पर नौकरी में रखवाने के नाम पर 35000 रुपए रिश्वत मांगे जाने के गंभीर आरोप लगाए थे जिसकी खबर मीडिया में आने वाले लिखित शिकायतों के संज्ञान लेते हुए ए आर कोऑपरेटिव द्वारा मामले की जांच बताई गई थी उक्त जांच के क्रम में जांच अधिकारी द्वारा पीड़िता का पक्ष जाने बगैर महज आरोपी सचिव व उसके संरक्षक मंडल सदस्यों के संयुक्त हस्ताक्षर युक्त दिनांक रहित पत्र के आधार पर जांच कर लिए जाने के आरोप पीड़िता शिप्रा मिश्रा द्वारा लगाए गए हैं। और निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग की है ।आखिर अलग-अलग सदस्यों व पीड़िता के बयान व साक्ष्य क्यों नहीं संकलित किए गए। आखिर क्यों प्रेषित किया गया दिनांक रहित पत्र। जब एक मांह की नौकरी पर रखा गया था तो क्यों लिया गया तीन माह तक कार्य। क्यों नहीं दिया गया नियुक्ति पत्र या आमंत्रण पत्र जिसमें लिखी जाती शर्तें। इन अहम सवालों के उत्तर समिति के अध्यक्ष एवं सदस्य संरक्षक मंडल सहित प्रबंध निदेशक अनूप कुमार मिश्रा के पास भी ढूंढे नहीं मिल पा रहे हैं।
 
इस संबंध में मोजमाबाद साधन सहकारी समिति सुंदरवल के प्रबंध निदेशक अनूप कुमार मिश्रा से उनका पक्ष जानने का प्रयास करने पर उन्होंने बताया कि रिश्वत मांगे जाने के लगाए जा रहे आप बेबुनियाद एवं निराधार हैं। महज दबाव बनाने के लिए अनर्गल मिथ्या आरोप लगाये जा रहे हैं। शिप्रा मिश्रा की एक माह के लिए अनौपचारिक नियुक्त की गई थी लेकिन समिति में  बनाए गए सदस्यों का पैसा बाकी होने के चलते तीन माह तक काम लिया जाता रहा ।अब यह अपनी नियुक्ति का प्रस्ताव करवाने के लिए आरोप लगा रही है ।वही सुरेश राजभर द्वारा लोन लेने की मांग की गई थी जिसमें पुरानी लिमिट चौक हो जाने के व नई लिमिट ना बन पाने के कारण किसान सुरेश राजभर को ऋण नहीं दिया जा सका इसलिए वह  निराधार आरोप लगाकर छवि धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं।

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