एसओजी टीम में सबसे भ्रष्ट हेड कांस्टेबल आनंद यादव को शामिल होने पर उठ रहे सवाल.

स्वतंत्र प्रभात 
गोण्डा :
 
रिश्वत की गोली खाकर अपराधियों को पचाने में महारत हासिल कर चुके सिपाही आनंद यादव की गोण्डा जिले की एसओजी टीम में शामिल होने के बाद सवालों के घेरे में आ चुकी है।सिद्धार्थ जिले में एसओजी टीम में तैनात रहे हेड कांस्टेबल आनंद यादव ने बड़े से बड़े कारनामे को भी रिश्वत की गठरी के नीचे दबा दिया।सूत्रों के मुताबिक चाहे सिद्धार्थ नगर नेपाल बॉर्डर पर ड्रग माफिया तस्कर को संरक्षण देना या फिर भू माफिया को संरक्षण देना या फिर कई गंभीर मामलों में असली मुजरिम को बदलना हो या फिर लाखों की चोरी करने वाले चोर को मोटी रकम लेकर छोड देना या फिर भाँग की दुकान से वसूली करना
 
आनंद यादव ही इन सब कामों में उस्ताद रह चुके हैं।सूत्रों के मुताबिक बताया जा रहा है की आनंद यादव शासन विरोधी गतिविधियों में भाजपा विधायक की शिकायत पर बलरामपुऱ ट्रांसफर हो गया था.उसके बाद वह सेटिंग के द्वारा सिद्धार्थनगर हो ट्रांसफर कर लिया, सिद्धार्थनगर में सपा विधायक के कहने पर बीडीसी सदस्यों को होटल में रुकवाना एवं समाजवादी पार्टी का प्रचार प्रसार करना कई आरोपों से घिर चुके थे आनंद यादव सूत्रों के मुताबिक बताया जा रहा है कि पुलिस मुख्यालय पर हर दूसरे दिन सिद्धार्थ नगर से आने वाले पीड़ितों से वसूली और भ्रष्टाचार की शिकायतें सुन-सुनकर थक चुके एसपी डॉक्टर यशवीर सिंह ने सत्ता का संरक्षण होने के बावजूद बड़ी हिम्मत दिखाकर एसओजी टीम बाहर कर दिया।एसपी ने यह बाहर यूं ही नहीं की, बल्कि सीओ महेंद्र सिंह ने हीरोइन तस्करों को संरक्षण देना, भूमिया को संरक्षण देना दिनदहाड़े जमीन को कब्जा कराने भ्रष्टाचार के आरोप में उन्हें दोषी भी पाया था
 
सूत्रों के मुताबिक यह भी बताया जा रहा है कि सिद्धार्थ नगर जिले अभी भी आधा दर्जन जांचें प्रचलित हैं। इन जांचों पर आनंद यादव का कहना है कि कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सके उनकी यह बात अगस्त को उस समय सच हो गई जब गोंडा जिले के पुलिस अधीक्षक अंकित मित्तल ने एक अधिकारी के दबाव में आकर या फिर मजबूर होकर आनंद यादव को एसओजी टीम में शामिल कर दिया। आनंद यादव एसपी की इसी मजबूरी का फायदा उठाकर गोंडा जिले में भांग की दुकान, तेल डिपो, गल्ला मंडी, और कई अन्य अपराधियों को जिले में संरक्षण देने का काम कर रहे है।वैसे पूर्व पुलिस अधीक्षक अंकित मित्तल की आखिर क्या मजबूरी थी कि उन्हें हेड कांस्टेबल आनंद यादव को एसओजी टीम में भेजना पड़ा।
 
सूत्रों के मुताबिक बताया जा रहा है कि खुद को एसओजी का सिपाही बताने वाले आनंद यादव उन लोगों को धमका रहे हैं जिन्होंने उनकी वसूली की शिकायतें की हैं और आरोप लगाए हैं।पूरा जिला पूर्व पुलिस अधीक्षक अंकित मित्तल  के इस निर्णय से हैरान है।लोगों को कहना है कि अगर आनंद यादव इतना ही अच्छा था तो सिद्धार्थ नगर की को सीओ महेंद्र सिंह जांच में क्यों दोषी पाए थे।और इतना ही अच्छा था तो सिद्धार्थ नगर से गोंडा क्यों ट्रांसफर कर लिया था।वैसे जनता में नए पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल के फैसले का इंतजार कर रही है कि ऐसे भ्रष्टाचारी सिपाही एसओजी के टीम में शामिल रहेंगे की नहीं या फिर नए पुलिस अधीक्षक बाहर का रास्ता दिखाएंगे इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं।

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