पिता का सिर पर हाथ

हेमेन्द्र क्षीरसागर, पत्रकार, लेखक व स्तंभकार

 

एक मार्मिक, संवेदनशील और उत्प्रेरक प्रसंग आपके समक्ष साझा करने का मन बहुत हो रहा था इसलिए कर रहा हूं। स्तुत्य, एक बूढ़ा पिता अपने आएएस बेटे के चेंबर में  जाकर उसके कंधे पर हाथ रख कर खड़ा हो गया। और प्यार से अपने पुत्र से पूछा…" इस दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंसान कौन है "? पुत्र ने पिता को बड़े प्यार से हंसते हुए कहा " मेरे अलावा कौन हो सकता है पिताजी "। पिता को इस जवाब की  आशा नहीं थी, उसे विश्वास था कि उसका बेटा गर्व से कहेगा पिताजी इस दुनिया के सब से शक्तिशाली इंसान आप हैैं, जिन्होंने मुझे इतना योग्य बनाया। उनकी आँखे छलछला आई। वो चेंबर के गेट को खोल कर बाहर निकलने लगे।

उन्होंने एक बार पीछे मुड़ कर पुनः बेटे से पूछा एक बार फिर बताओ इस दुनिया का सब से शक्तिशाली इंसान कौन है ? पुत्र ने  इस बार कहा... "पिताजी आप हैैं, इस दुनिया के सब से शक्तिशाली इंसान "। पिता सुनकर आश्चर्यचकित हो गए उन्होंने कहा "अभी तो तुम अपने आप को इस दुनिया का सब से शक्तिशाली इंसान बता रहे थे अब तुम मुझे बता रहे हो " ? पुत्र ने हंसते हुए उन्हें अपने सामने बिठाते  हुए कहा .. "पिताजी उस समय आप का हाथ मेरे कंधे पर था, जिस पुत्र के कंधे पर या सिर पर पिता का हाथ हो वो पुत्र तो दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंसान ही होगा ना,,,,,! बोलिए पिताजी"! पिता की आँखे भर आई उन्होंने अपने पुत्र को कस कर के अपने गले लगा लिया। "किसी ने क्या खूब चन्द पंक्तिया लिखी हैं"

जो पिता के पैरों को छूता है वो कभी गरीब नहीं होता।

जो मां के पैरों को छूता है  वो कभी बदनसीब नही होता।

जो भाई के पैराें को छूता है वो कभी गमगीन नही होता।

जो बहन के पैरों को छूता है वो कभी चरित्रहीन नहीं होता।

जो गुरू के पैरों को छूता है

 उस जैसा कोई खुशनसीब नहीं होता.......

अच्छा दिखने के लिये मत जियो, अच्छा बनने के लिए जियो।

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