स्वतंत्र प्रभात
देवरिया।
श्रमिकों को रोजगार की गारंटी देने वाली केन्द्र की मनरेगा योजना जिम्मेदारों के लिए दुधारू गाय साबित हो रही हैं। योजना में भ्रष्टाचार चरम पर है, साथ ही रोज़गार गारंटी योजना के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
योजना में भ्रष्टाचार को रोकने हेतु एमएमएस सिस्टम लागू किया गया हैं जिसमें साइड पर जो मनरेगा मजदूर काम करते हैं उनकी मस्टरोल में आनलाइन हाजिरी रोजगार सेवक या मेठ द्वारा लगानें का नियम है। इसके अनुसार मजदूरों का काम करते हुए फोटोग्राफ्स भी अपलोड किया जाता है जो फोटो साफ सुथरी और ऊंचे स्थान से खड़े होकर खींचा गया हो जिसमें मजदूरों का चेहरा स्पष्ट रूप से दिखाई दे कि जिन मजदूरों की हाजिरी मस्टरोल में लगी हो वही मजदूर फोटो में प्रर्दशित हो, लेकिन ग्राम प्रधान व मनरेगा स्टाफ की मिलीभगत से शासन के नियमों की खूब धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
मामला बैतालपुर विकास खण्ड के ग्राम पंचायत रामपुर दूबे का हैं जहां मस्टरोल में जितने मजदूरों की हाजिरी लगी हैं वे अपलोड फोटो में कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। साइड पर 8 मजदूर मौके पर कार्य करते हुए पाए गए। मजदूरों ने बताया की 15 दिनों से कार्य चल रहा है व पक्की सड़क हेतु गिट्टी बिछाई जा रही है परंतु कार्य हेतु जो आईडी बनी है उस आईडी में चकबन्ध निर्माण कार्य दिखाया गया है। मौक़े पर मिट्टी भराई का कार्य कहीं नहीं पाया गया। जारी मस्टरोल में ऑन लाइन 10 श्रमिकों की हाजिरी लगाई गई थी
जबकि मौक़े पर केवल 8 श्रमिक मौजूद थे जिनमें एक मजदूर नाबालिग भी कार्य करते हुए पाया गया। वहीं इस गांव की अन्य साइडों में राम प्रेम के खेत से नहर तक पर कोई श्रमिक कार्य करते नहीं पाया गया। एक अन्य साइट पर भी कोई मजदूर कार्य करते नहीं मिला, जबकि चल रहे तीनों साइटों पर 73 श्रमिकों की आन लाइन हाजिरी लगाई गई थी, जबकि मौके पर देखा गया तो महज 8 मजदूर कार्य करते हुए पाए गए।
सबसे विचित्र बात यह है कि चल रहे कार्य पर कहीं डिस्पले बोर्ड नहीं लगा दिखाई दे रहा, जबकि शासन का आदेश हैं कि हो रहे कार्यों पर डिस्पले बोर्ड पहले लगाए जाएं। इस पूरे मामले पर खंण्ड विकास अधिकारी बैतालपुर राजीव गुप्त से बात की गई तो उनका कहना हैं की मामले को दिखवाता हूं।