प्रशासन कुछ इस तरह मेहरबान होते है कि पहले आँखे छीन लेते है फिर चश्मे दान देते है

स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो उन्नाव।

उन्नाव अन्नदाता पर पराली जलाने को रोकने के लिए पूरा प्रशासनिक अमला ताबड़तोड़ कार्यवाही के लिए कमर कसे है वही दूसरी तरफ जहरीला धुंआ फेक रही चिमनियो पर नजरे इनायत तक नही ज्यादा कुछ करने पर केवल नोटिस की बात कर इतिश्री कर ली जाती है। क्या अन्नदाता और पूंजीपतियों के लिए अलग अलग कानून है। या फिर हो सकता है

कि जहरीला धुंवा फेक रही चिमनियो से पर्यावरण को कोई नुकसान नही होता होगा आधुनिक टेक्नोलॉजी के इस युग मे शायद जहरीला धुंआ लोगो के लिए। फायदेमंद हो और पेड़ पौधों का धुआं लोगों के लिये हानिकारक हो यह तो पर्यावरण विशेषज्ञ ही बता सकते है। पैसे की पहचान यहा इंसान की कीमत कोई नही बच के निकल जा इस बस्ती से यहा करता मोहब्बत कोई नही है।

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