ऐसी कौन सी आफत थी जो वकील का घर गिरा दिया: हाई कोर्ट 

केस सुनवाई पर है और मकान जमींदोज हो गया।

इलाहाबाद। हाईकोर्ट ने झुंसी अदावा स्थित अधिवक्ता का घर गिराए जाने के मामले में प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) की कार्रवाई पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने पूछा है कि ऐसी कौन सी आफत थी कि केस सुनवाई पर है और मकान गिरा दिया गया। कोर्ट ने इस मामले में पीडीए से मंगलवार को पूरा ब्योरा तलब किया है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने राजबहादुर व चार अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
 
इसके पहले कोर्ट में सुनवाई शुरू होते हुए हाईकोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष अशोक सिंह ने पीडीए अधिकारियों की इस कार्रवाई पर नाराजगी जाहिर करते हुए कार्रवाई को बिल्डर्स के साथ मिलीभगत बताई। अध्यक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि जिस अधिवक्ता का घर गिराया गया उस भूमि के पीछे दो बीघे का प्लॉट एक बिल्डर का है। पीडीए अधिकारियों ने उसके लिए रास्ता बनाने के लिए यह घर गिराया।
 
कहा कि आमतौर पर पीडीए किसी का घर गिराता है तो उस मकान के आगे का हिस्सा तोड़ दिया जाता है लेकिन अधिवक्ता का पूरा मकान गिराया गया। उस स्थान पर और भी मकान बने हैं लेकिन पीडीए ने किसी और के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। उन मकानों की भूमि की प्रकृति भी उसी तरह की है, जैसी अधिवक्ता के मकान की थी।
 
पीडीए की ओर से उपस्थित अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी ने कहा कि याची ने 2017 में निर्माण कराया था। पीडीए की ओर से नोटिस दिया गया था याची ने मंडलायुक्त के यहां अपील दाखिल की अपील खारिज हो गई। इसके बाद वह हाईकोर्ट आया तो कोर्ट ने उनसे स्वामित्व के कागजात दिखाने को कहा था, लेकिन याची अभी कागजात नहीं दिखा पाया।
 
इस पर कोर्ट ने पूछा कि जब केस सुनवाई पर था, उसके एक दिन पहले क्यों मकान गिरा दिया। इस पर पीडीए की ओर से कहा गया कि यह एक रूटीन कार्रवाई थी लेकिन, कोर्ट ने इस दलील को नहीं माना और मंगलवार को पूरा ब्योरा तलब किया है।

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