ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने के लिए राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन

प्रयागराज। प्रयागराज सड़क चौड़ीकरण के नाम पर ( PDA ) प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा शहर के विभिन्न हिस्सों में 2500 से अधिक घरों के ध्वस्तीकरण की नोटिस के ख़िलाफ़ शनिवार को लॉयर्स कॉलेक्टिव फ़ॉर पीपुल्स राइट्स और भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी के संयुक्त तत्वावधान में विकास भवन से जिलाधिकारी कार्यालय तक पैदल मार्च निकाला गया और जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने के लिए ज्ञापन प्रेषित किया गया।
 
लॉयर्स कॉलेक्टिव फ़ॉर पीपुल्स राइट्स के संयोजन और इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता महाप्रसाद ने कहा कि पीडीए विकास के नाम पर विनाश की ताण्डवलीला रच रहा है। छः दसक से घर बनाकर रह रहे लोगों के आशियाने को एक झटके में उनसे छीनने का प्रस्ताव पारित किया जा चुका है। 2025 में होने वाले महाकुम्भ और शहर को स्मार्ट बनाए जाने के नाम पर सड़कों के चौड़ीकरण करने की प्रक्रिया में शहर व आस-पास के विभिन्न इलाकों में करीब ढाई हजार से अधिक मकानों को चिन्हित करके गिराने की नोटिस दी गई है।
 
इलाहाबाद शहर के नैनी में अरैल रोड, खरकौनी रोड, लेप्रोसी रोड, स्टेशन रोड में हजारों मकान को चिन्हित किया गया है। इसी तरह छोटा बघाड़ा-सलोरी में 450 मकानों, दरभंगा कॉलोनी के आज़ाद पार्क के सामने वाली रोड के दोनों तरफ सभी मकानों, झूंसी में करीब 750 मकानों सहित शहर नुरुल्लाह रोड, चिंतामणि रोड, फाफामऊ, सदियाबाद, गोविंदपुर, तेलियरगंज आदि इलाकों में हजारों मकानों को बुलडोज करने की नोटिस प्रयागराज विकास प्राधिकरण की ओर से दिए जा रहे हैं। कुछ मकान गिराए भी जा चुके हैं।
 
भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी की नीशू ने कहा कि गौरतलब है कि प्रयागराज विकास प्राधिकरण का गठन 20 अगस्त 1974 को किया गया और जबकि उपरोक्त इलाकों में बने बहुत से मकान इस अवधि से पुराने हैं। अधिकांश मकान पीडीए के गठन के काफ़ी पहले बने हैं। पीढ़ियों से लोग इन मकानों में रहते चले आ रहे हैं। इसलिए इलाहाबाद विकास प्राधिकरण को हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है, न ही नक्शा माँगने का और न ही मकान तोड़े जाने की नोटिस दिए जाने का कोई कानूनी अधिकार है। इसके अतिरिक्त प्रयागराज विकास प्राधिकरण के विस्तारित क्षेत्र काफी सीमित थे और उपरोक्त इलाकों में से कई इलाके प्रयागराज विकास प्राधिकरण के अंतर्गत नहीं आते थे। इसलिए उन्हें नक्शा पास करने की जरूरत ही नहीं थी। 
 
इसके अतिरिक्त प्रयागराज विकास प्राधिकरण के क्षेत्र में जो नए निर्माण किए गए हैं। उक्त निर्माण के समय प्रयागराज विकास के अधिकारियों ने निर्माण पर रोक-टोक लगाने की कोई कार्रवाई नहीं की। यानी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की लापरवाही की सजा आम लोगों के मेहनत से बनाए गए मकानों को ध्वस्त करके नहीं किया जाना चाहिए।
 
प्रदर्शनकारियों ने मांग उठाई कि प्रयागराज विकास प्राधिकरण के द्वारा अवैध तरीके से गिराए गए मकानों के लिए उचित मुआवजा दे और अन्य मकानों को गिराए जाने की नोटिस को तत्काल वापस लिया जाय। प्रदर्शन में अधिवक्ता संजय, अधिवक्ता कमला, अधिवक्ता अभिषेक, अधिवक्ता अनिल, अविनाश, प्रियांशु, धर्मराज, प्रांजल, सौम्या, अंशुरीश, अम्बरीष, सुरेश, आकाश, शिवा, प्रशान्त, रवित आदि शामिल रहे।
 
 

About The Author: Abhishek Desk