अदाणी की ऑडिटर फर्म भारतीय रेगुलेटरी के जांच के घेरे में

स्वतंत्र प्रभात। ब्यूरो।
 
अडानी ग्रुप के साथ लंबे समय से जुड़ी एक ऑडिटर कंपनी जांच के घेरे में है। अदाणी ग्रुप पर लगे आरोपों की जांच का दायरा अब बढ़ रहा है, और अब इसमें कई दूसरे बड़े नाम भी आ रहे हैं. सूत्रों के द्वारा मिली खबर के मुताबिक अदाणी ग्रुप के लंबी अवधि के एक ऑडिटर की जांच देश के अकाउंटिंग रेग्युलेटर के द्वारा की जा रही है।
 
मिली जानकारी के अनुसार नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी या एनएफआरए  ईवाई की भारत में मेंबर फर्म एस आर बाटलीबाय से जानकारियां मांगी हैं. सूत्रों ने कहा कि रेग्युलेटर ने फर्म के द्वारा गौतम अदाणी के नियंत्रण वाली कुछ कंपनियों से जुड़ी फाइल और जानकारियों की मांग की है। ये फाइल्स 2014 तक की तारीखों से जुड़ी हैं।फिलहाल इस मामले में अदाणी ग्रुप, एनएफआरए, ईवाई या फिर एसआर बाटलीबाय की तरफ से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
 
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक अकाउंटिंग रेगुलेटर नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NFRA) ने भारत में ईवाई की मेंबर फर्म S.R. Batliboi के खिलाफ जांच शुरू की है।  फर्म से साल 2014 से अब तक की जानकारी मांगी गई है। यह साफ नहीं है कि एनएफआरए की जांच में कितना समय लगेगा और इसका असर क्या होगा। इस बारे में एनएफआरए और अडानी ग्रुप ने ईमेल का जवाब नहीं दिया। ईवाई और S.R. Batliboi के प्रतिनिधि ने भी कमेंट करने से इन्कार कर दिया।
 
S.R. Batliboi अडानी ग्रुप की पांच लिस्टेड कंपनियों की ऑडिटर है। ग्रुप का आधा रेवेन्यू इन्हीं पांच कंपनियों से आता है। अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने जनवरी में अडानी ग्रुप के खिलाफ एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें ग्रुप की अकाउंटिंग पर सवाल उठाए गए थे। अडानी ग्रुप ने इन आरोपों का खंडन किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मार्केट रेगुलेटर सेबी भी हिंडनबर्ग के आरोपों की जांच कर रहा है।
 
S.R. Batliboi अडानी पावर, अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी विल्मर और एसीसी तथा अंबूजा सीमेंट्स की ऑडिटर है। साथ ही उसने एक दशक तक अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन की भी ऑडिटिंग की थी। भारतीय कानूनों के मुताबिक विदेशी अकाउंटिंग कंपनियां देश में ऑडिटर के रूप में रजिस्टर्ड नहीं हो सकती हैं। यही कारण हैं कि विदेशी कंपनियां भारत में स्वतंत्र रूप से परिचालित हैं।
 
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी ग्रुप की अकाउंटिंग और ऑडिट पर सवाल उठाए गए थे। इस कारण अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई थी और उसका कुल मार्केट कैप 150 अरब डॉलर कम हो गया था। ग्रुप ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि उसकी कंपनियों की ऑडिटिंग सर्टिफाइड और क्वालिफाइड प्रोफेशनल करते हैं।
 
मई में अडानी टोटल गैस ने Shah Dhandharia & Co. की जगह Walker Chandiok & Co को ऑडिटर नियुक्त किया था। उसी महीने Deloitte Haskins & Sells ने अडानी पोर्ट्स के कुछ ट्रांजैक्शंस पर सवाल उठाए थे और फिर अगस्त में रिजाइन दे दियाथा।
 
एनएफआरए का गठन 2018 में किया गया था। अथॉरिटी को जुर्माना लगाने और ऑडिट फर्म तथा इंडिविजुअल ऑडिटर्स को 10 साल तक प्रतिबंधित करने का भी अधिकार है।
 
इस समीक्षा से संकेत है कि नियामक जनवरी में ग्रुप पर लगाए गए आरोपों को लेकर गंभीर है. अदाणी ग्रुप पर हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट में गड़बड़ी के आरोप लगाए गए थे। फिलहाल मामले में कोर्ट के आदेश पर सेबी की जांच जारी है।
 
अगस्त में, डेलॉइट ने अदाणी पोर्ट्स के ऑडिटर के पद से इस्तीफा दे दिया था, जो जनवरी में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद इस तरह का पहला कदम था।
 
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद समूह की सात मुख्य लिस्टेड कंपनियों ने अपने बाजार पूंजीकरण (mcap) में लगभग 150 अरब डॉलर का नुकसान उठाया और कुछ कर्ज चुकाने के बाद ही उन घाटों के कुछ हिस्सों की भरपाई कर पाई।

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