वन विभाग एवं कृषि विश्वविद्यालय की आरक्षित भूमि पर दबंग कर रहे अवैध कब्जा, विभागीय अधिकारी मौन

मिल्कीपुर, अयोध्या। 

नगर पंचायत कुमारगंज अंतर्गत बंवा बाजार स्थित वन विभाग एवं कृषि विश्वविद्यालय के खाते में दर्ज सरकारी भूमि पर पर दबंगों द्वारा अवैध कब्जा किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। मामले की शिकायत नगर पंचायत वासी ने तहसील से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री से की है किंतु प्रकरण में शिकायतों के बावजूद भी राजस्व प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक नगर पंचायत कुमारगंज के राजस्व गांव बवां की गाटा संख्या 562, 563, 566, 561 539 वन विभाग के खाते की आरक्षित भूमि है जबकि गाटा संख्या 565 आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के नाम दर्ज कागजात है। सरकारी भूमि पर राजस्व कर्मियों की मिली भगत से दबंगों द्वारा अवैध कब्जा किया जा रहा है। इसके संबंध में अहमद अली उर्फ कमालू पुत्र जहूर निवासी बवां बाजार द्वारा मुख्यमंत्री जनसुनवाई पर ऑनलाइन शिकायत की गई थी।

शिकायत के निस्तारण में वन विभाग एवं आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के संपत्ति संरक्षण अधिकारी द्वारा यह उल्लेखित किया गया कि उक्त भूमिका पैमाइश हेतु उप जिलाधिकारी मिल्कीपुर को पत्र लिखा गया है। बीते 19अगस्त को ऑनलाइन शिकायत के निस्तारण में आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा हीला हवाली की गई। स्पष्ट मंतव्य किसी भी अधिकारी द्वारा नहीं प्रदर्शित किया गया। किसी अधिकारी द्वारा यह भी नहीं गया कि उक्त सभी भूमि पर अवैध कब्जा और अतिक्रमण है।

इतना ही नहीं पुनः अवधेश सिंह पुत्र राम सहाय निवासी ग्राम बंवा शिकायत संख्या 400177233737 दिनांक 18 सितम्बर को मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायती प्रार्थना पत्र देकर यह पूछा गया कि उक्त सभी भूमि पर किन-किन लोगों का अवैध कब्जा है। कृपया नाम डिटेल बताने का कष्ट करें। जिसमें राजस्व लेखपाल द्वारा आख्या रिपोर्ट दी गई है कि उक्त भूमि के अवैध कब्जे पर राजस्व विभाग द्वारा कोई विधिक करवाई किया जाना संभव नहीं है।

शिकायतकर्ता ने अवैध कब्जा व अतिक्रमण को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों की मिली भगत मान लिया है और प्रदेश के मुख्यमंत्री के महत्वपूर्ण ड्रीम प्रोजेक्ट जनसुनवाई पोर्टल की शिकायत को मजाक बना दिया है। क्योंकि जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा मामले में कोई प्रभावी कार्यवाही न करते हुए केवल पत्राचार किया जा रहा है। इस प्रकार से अब शिकायतकर्ता का अधिकारियों की कार्यशैली से विश्वास उठता नजर आ रहा है।

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