दारूल उलूम समदिया में फर्जीवाड़े की पराकाष्ठा,नियमों के विपरीत कर डाली दो पदों पर भर्ती

कथित मदरसा माफिया झांसी निवासी एक हाजी नटवरलाल का भी बाप, वर्षों से चला रहा है सिंडीकेट मदरसा भर्ती प्रणाली के लिये बना अभिषाप। 

    •  कथित अधिवक्ता इस मदरसा माफिया का समूचे बुंदेलखंड में फैला है जाल, इसकी पहुंच के आगे फीकी पड़ जाती है नियमों की चाल।
    • मदरसा समदिया की प्रबंध समिति सहित़ साक्षात्कार कमेटी में भी है इसका बेजा दखल, समूचा विद्यालय तंत्र इसके आगे नतमस्तक
    •  नियम से परे जाकर किया गया प्रकाशन स्थानीय लोगों को नहीं लगी भनक, 51 दिन की जगह 18 दिन में ही भर्ती प्रक्रिया को पहनाया अमलीजामा।
    • अपने स्वार्थ को साकार रूप देने की कवायद में शासनादेशों की खोदी कब्र, कथित माफिया के सहयोग में प्रबंधक, प्रधानाचार्य सहित अल्पसंख्यक विभाग भी शामिल। 

इसरार पठान महोबा। 


सूबे में योगी सरकार है और सरकार की मंशा भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने की भी है, प्रदेश में जीरों टॉलरेंस नीति को प्रभावी बनाने के उच्च स्तर पर निरंतर प्रयास भी किये जा रहे हैं, लेकिन राजधानी से शुरू हुये वह प्रयास बुंदेलखण्ड जैसे अति पिछड़े क्षेत्र तक पहुंचते-पहुंचते कब दम तोड़ जाते हैं राजधानी में बैठे अलम्बरदारों को पता ही नहीं चलता और पता चलेगा भी कैसे ? दरअसल उन्होंने जिन कांधों पर शासनादेशों के क्रियान्यवयन का जिम्मा सौंपा है वही सरकारी मठाधीश भ्रष्टाचार फैलाने वाले कथित नटवरलालों के साथ गलबहियां डाले हैं। हाल ही में जनपद मुख्यालय के एक शासकीय अनुदानित मदरसे में हुयी दो पदों की भर्ती ने ऐसे ही एक भ्रष्ट गठजोड़ का काला सच सामने ला दिया।

 परिचय- प्रबंधक हाफिज फारूक


    मामला जनपद मुख्यालय स्थित दारुल उलूम समदिया का है, जहां हाल ही में हुयीं दो पदों की भर्तियों ने विद्यालय प्रबंधन व संबंधित विभाग की आपसी जुगलबंदी तथा सरकार के प्रयासों की धरातल पर खुदती कब्र का सच उजागर कर दिया। सारे नियमों को ठेंगे पर रख रॉकेट गति से सम्पन्न हुयी इस भर्ती प्रक्रिया ने मदरसे के प्रिंसिपल, प्रबंधक, साक्षात्कार कमेटी में शामिल सभी सदस्यों सहित अल्पसंख्यक विभाग की कार्यशैली को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

ऐसा नहीे कि इस मदरसे में भ्रष्टाचार की इबारत लिखे जाने का यह पहला और इकलौता मामला है, इससे पहले भी अनेकों बार इस मदरसे की संचालन समिति पर मनमर्जी तथा भर्जीवाड़े जैसे आरोप लगते रहे हैं। हांलाकि पूर्व में आरोपों के घेरे में रहने वाले लोग आज संस्था की प्रबंध समिति से बाहर हो चुके हैं। मौजूदा समय पर इस संस्था की कमान हाफिज मुहम्मद फारूक के हाथ में है। पूर्व प्रबंधक अनीस और वर्तमान प्रबंधक फारूक दोनों एक परिवार से आते है और दोनों के पिता इस संस्था के संस्थापक सदस्य भी रहे हैं लेकिन प्रबंधक की कुर्सी को लेकर इनमें शुरु से संर्घष होता रहा। हांलाकि लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद गत वर्ष मई माह में कथित मदरसा माफिया के नाम से कुख्यात झांसी निवासी सिंडीकेट प्रमुख हाजी के हुनर की बदौलत हाफिज फारूक गुट प्रबंधतंत्र पर काबिज हो गया।

परिचय- प्रिसिंपल मौलाना नौशाद रज़ा


    कार्यालय सहा0 रजि0 फर्म्स सोसायटीज़ एवं चिट्स झांसी द्धारा जारी एक पत्र पत्रांक 555/ज्ञ.1283/झांसी/दिनांक 16-06-2023 की माने तो मदरसा कमेटी द्धारा प्रबंधक पद हेतु हाफिज मुहममद फारूक सहित 4 अन्य संशोधित नामों के प्रस्ताव को 19/05/23 से वैलिड माना गया। दिलचस्प बात यह है कि 19 मई 23 से वैधानिक वजूद में आये नियोक्ता/प्रबंधक ने जून से पूर्व यानि मात्र 18 दिनों में स्थाई नियुक्ति कैसे कर डाली अपने आप में एक ऐसा बड़ा सवाल है जिसका उत्तर इस प्रक्रिया से जुड़ा कोई किरदार नहीं दे पा रहा। झांसी निवासी एक ही परिवार के दो युवकों क्रमशः मुहम्मद आमिल खां को सहायक अध्यापक आलिया वैकल्पिक विषय शिक्षक एवं दानिश खां को कनिष्ठ सहायक के पद रखा गया है।

नियुक्ति किये जाने की जल्दबाजी में नियोक्ता और कमेटी के अन्य लोग भूल गये कि किसी भी नियुक्ति प्रक्रिया को संपूर्ण करने में न्यूनतम 50 दिनों का समय लगता है। कमेटी में उपप्रबंधक एवं नियुक्ति हेतु गठित साक्षात्कार कमेटी में सदस्य हाजी लियाकत खां के दोनो पोत्रों को समायोजित करने के चक्कर में जिम्मेदारों ने नियमों का ही गला घोंट दिया। उक्त दोनों पदों की भर्ती हेतु आयोजित साक्षात्कार में स्थानीय जनपद से एक भी आवेदक का सम्मलित न होना स्पष्ट करता है कि इस संपूर्ण प्रक्रिया में किस कदर अनिमित्ताऐं बरती गयीं। प्रबंधतंत्र का दावा है कि उन्होनें नियमतः रिक्तियों का प्रकाशन कराया, जबकि ऐसा किया होता तो स्थानीय जनपद से आवेदकों की खासी भीड़ हो जाती। जानकार बताते हैं कि शासनादेश के मुताबिक प्रबंघ कमेटी को दो ऐसे दैनिक समाचार-पत्रों में प्रकाशन कराना अनिवार्य होता है जिनकी जिले में सर्कुलेशन रैंक बेहतर हो और जिसकी लिखित पुष्टि जनपद का सूचना विभाग करता हो। 


जानकारों कि माने तो विज्ञप्ती प्रकाशन हेतु सरकार द्धारा जारी मदरसा नियामावली मे अनिवार्य शर्त है कि चयनित समाचार पत्रों में एक का प्रकाशन स्थानीय जनपद से किया जाता हो तथा दूसरा अखबार कम से कम दो मण्डलों से संपादित होता हो। चयनित दोनों समाचार पत्रों में से एक का हिन्दी भाषा में होना भी नियमावली के अनुसार बेहद जरूरी है। जबकि नियोक्ता ने इस मामले में नियमों को दरकिनार कर मनमाफिक अखबारों का इस्तेमाल किया जिससे किसी को पता भी न चले और उनकी मर्जी के मुताबिक आसानी से खेला हो जाये। दिलचस्प बात यह है कि वह अपने इस भ्रष्ट मकसद में कमोवेश कामयाब भी हो गये और उनके इस बेईमानी के खेल में सभी जिम्मेदारों ने पूरी ईमानदारी दिखाई।

नियुक्ति के इस खेल में शामिल जिम्मेदार पारदर्शिता के लाख दावे करें लेकिन रॉकेट गति से सम्पन्न कराई गयी भर्ती प्रक्रिया खुद ही इनके दावों की चुगली कर रही है। उक्त भर्ती प्रोसिस में दिखाई गयी जल्दबाजी तथा एक परिवार के ही दो लोगों का चयन संयोग नहीं बल्कि भ्रष्ट जुगलबंदी का जीता-जागता प्रमाण है। थोड़ी देर को यदि नियोक्ता के पारदर्शिता वाले दावे को सच मान भी लें तो सवाल उठता है कि जब यह प्रकाशन कराया गया तब क्या शहर के तमाम लोग अंधे हो चुके थे जो किसी की नज़र निकाले गये विज्ञापन पर नहीं पड़ी या फिर पूरा का पूरा जनपद निरक्षर है जिनको पढ़ना ही नहीं आता।


 स्वभाविक है कि यदि पारदर्शिता के साथ विज्ञापन निकाला गया होता तो लोगों तक सूचना अग्रसारित होती और सूचना मिलती तो स्थानीय आवेदन भी होते जो शायद कमेटी के लोग नहीं चाहते थे। इन दोनों भर्तियों में अपनाई गयी प्रक्रिया कितनी फर्जी तथा संदिग्ध है इसका खुलासा खुद मदरसा दस्तावेज कर रहे हैं। मदरसा कमेटी के साधारण सभा बैठक की कार्यवाही पत्रावली सं0 ज्ञ-1283/दिनांक 27/04/23 के मुताबिक पूर्व प्रबंधक मोहम्मद अनीस को एक प्रस्ताव के जरिये निष्काषित किया गया और उसी प्रस्ताव के आधार पर सहायक रजि0 फर्म्स सोसायटी एवं चिट्स झांसी ने नवनियुक्त प्रबंधक हाफिज फारूक वाली प्रबंध समिति को 19/05/23 में सत्र 2023-24 के लिये वैलिड करार दिया। अब एक सवाल यह भी है कि जब नियोक्ता 19 मई के बाद खुद वैध रूप से पदयेन हुआ तो उसने नवनियुक्त अध्यापक एवं लिपिक की 5 जून से नियुक्ति कैसे कर ली।

हैरत की बात तो यह है कि नियुक्ति करने मात्र में मेनैजमेंट ने तत्परता नहीं दिखाई, बल्कि बीते दिनों गुपचुप ढंग से  दो अलग अलग रजिस्टृरों में एकमुश्त हश्ताक्षर कराकर छैः माह का वेतन भी बना डाला और फुर्ती के साथ संबंधित विभाग को स्वीकृति हेतु भेज भी दिया। जानकारों की माने तो पूरे प्रदेश में मदरसा भर्ती सिंडीकेट चल रहा इसका मुख्य कर्ता-धर्ता झांसी में विराजमान है। जानकारों का तो यहां तक दावा है कि यदि मदरसा भर्तियों की ईमानदारी से जांच की जाये तो इसमें इस माफिया के ऐसे-ऐसे लोगों से सबंध उजागर होंगे जो सत्ताशीर्ष पर बैठे लोगों को हैरत में डाल देंगे। इतना ही नहीं यदि सही ढंग से एक कमेटी बनाकर जांच करा ली गयी तो प्रदेश में मदरसा संचालन, भर्ती एवं शासकीय अनुदान के दुर्रूपयोग का शर्मनाक चेहरा सामने आ जायेगा।
शेष अगले अंक में--- 


अल्पसंख्यक मंत्री सहित मुख्यमंत्री से होगी शिकायत न्यायालय में करेंगे जनहित याचिका दायर: श्री सिद्दीकी

वर्षों से चली आ रही मदरसा संचालन की सड़ी गली व्यवस्था को पटरी पर लाने तथा उसको हाईटेक कर शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिये सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ चाहे जितने संजीदा हों लेकिन बिना सिंडीकेट को खतम किये उनकी मंशा पूरी नहीं हो सकती। इस क्षेत्र में जिस तरह से भ्रष्टाचार ने अपनी जड़ें गहरी जमा लीं है उससे निपटने के लिये सरकार को कानूनी बुलडोज़र चलाना पड़ेगा। अल्पसंख्यक मामलों के जानकार एवं देश भर में शिक्षा की अलख जगाने वाले समाजिक कार्यकर्ता नसीर अहमद सिद्दीकी कहते हैं कि इस सिंडीकेट को चलाने वालों के खिलाफ उनकी टीम जल्द मुख्यमंत्री तथा प्रदेश के अल्पसंख्यक मंत्री से मिलकर शिकायत करेगी।

मूलतः बुंदेलखण्ड के निवासी श्री सिद्दीकी फिलहाल दिल्ली में निवास करते हैं और एक शिक्षाविद् हैं। अनेक राज्यों की सरकारों सहित केन्द्र सरकार व अंर्तराष्टृीय मंचों से सम्मानित किये जा चुके यह सामाजिक कार्यकर्ता बुंदेलखण्ड में मुस्लिम समाज की बेहतरी हेतु हमेशा अग्रणी पंक्ति पर खड़े नजर आते हैं। सांठ-गांठ की दम पर महोबा के समदिया मदरसे में हुयी उक्त दोनों भर्तियों के निरष्तीकरण हेतु वह शीघ्र न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने जैसी बात भी कह रहे हैं।


एक ही परिवार के दो युवकों का चयन पारदर्शिता को बनाता है संदिग्ध: शाहिद अली 


 कांग्रेस नेता कमालउद्दीन सौदागर भी आये मैदान में करेंगे शिकायत


     महोबा के मकनियापुरा में 1986 से संचालित मदरसा समदिया के भ्रष्ट निजाम को लेकर स्थानीय लोगों में भी खासा आक्रोश है। हाल ही में की गयी भर्तियों के गड़बड़ झाले की खबर ने लोगों के इस आक्रोश को और अधिक भड़का दिया। इस मामले में सपा के स्थानीय नेता शाहिद अली राजू कहते हैं कि इन भर्तियों को निरस्त होना चाहिये एवं जांच कराकर प्रशासन को अपनी देख-रेख में पुनः प्रक्रिया पूर्ण करानी चाहिये ताकि सही पात्र व्यक्ति को उसका हक मिल सके। सपा नेता के अनुसार एक ही परिवार के दो युवकों का चयन खुद से उक्त प्रक्रिया की पारदर्शिता को संदिग्ध बना देता है और जब चयनित युवकों का सगा दादा चयन समित का सदस्य हो तो जाहिल इंसान को भी भ्रष्टाचार की कहानी समझाना मुश्किल नहीं होगा।

श्री राजू ने बताया कि इस पूरे प्रकरण से जिला अधिकारी को अवगत कराया जायेगा। वह बुधवार को डीएम से मिलकर इस भर्ती की गहनता से जांच कराये जाने की मांग करेंगे।सपा के अलावा कांग्रेस नेताओं ने भी इस भर्ती के खिलाफ आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी है। स्थानीय कांग्रेस नेता कमालउद्दीन सौदागर ने भी जांच कराये जाने के साथ भर्ती के निरष्तीकरण की मांग की है। 

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