पीलीभीत 170 रुपये गबन के मामले में तीन सेवानिवृत्त अफसरों को चार-चार साल कैद

16 हजार का जुर्माना; 20 साल चला केस...

वर्ष 2003 का यह मामला पीलीभीत के पूरनपुर थाने से जुड़ा हुआ है। इस मामले में दर्ज कराई गई एफआईआर की विवेचना शासन के आदेश पर सीबीसीआईडी ने की थी। अदालत में 20 साल केस चला। 170 रुपये गबन के दोषी पाए गए तीनों अफसर रिटायर्ड हो चुके हैं। तीनों को अदालत ने चार-चार साल कैद की सजा सुनाई है। अर्थदंड भी लगाया गया है। 
 
एक होमगार्ड को उसके गैरहाजिर होने के बावजूद दो दिन का फर्जी भुगतान कराना विभाग के तीन अधिकारियों को भारी पड़ गया। सेवानिवृत्त हो चुके पूरनपुर के ब्लॉक ऑफिसर, एक कंपनी कमांडर और एक प्लाटून कमांडर पर 170 रुपये के गबन का आरोप सिद्ध होने के बाद एसीजेएम (प्रथम) अमित यादव ने शनिवार को तीनों को चार-चार वर्ष के कारावास की सजा सुनाई। होमगार्ड सूरज की मृत्यु हो चुकी है।
 
वर्ष 2003 का यह मामला पूरनपुर थाने से जुड़ा हुआ है। दर्ज कराई गई एफआईआर की विवेचना शासन के आदेश पर सीबीसीआईडी ने की थी। विवेचना के मुताबिक होमगार्ड सूरज प्रसाद की चौकी घुंघचाई में रात को ड्यूटी लगी थी। वह 10 सितंबर को ड्यूटी से गैरहाजिर रहा तो इसकी सूचना (तस्करा) चौकी के मुंशी राजाराम ने जीडी में अंकित कर दी। सूरज 13 सितंबर को लौटा तो भी जीडी में वापसी का तस्करा दर्ज किया गया। इसके मुताबिक सूरज 10 से 12 सितंबर तक गैरहाजिर रहा।
 
प्लाटून कमांडर ने बनाया था मस्टररोल
प्लाटून कमांडर चुन्नी लाल ने सितंबर का मस्टररोल तैयार किया। इसमें होमगार्ड को केवल 11 सितंबर को ही अनुपस्थित दिखाया गया। सूरज की 10 व 12 सितंबर की उपस्थिति दिखाई गई। कंपनी कमांडर अब्दुल नफीस ने अपने हस्ताक्षर से मस्टररोल पूरनपुर के ब्लॉक ऑफिसर रोशन लाल वर्मा को भेज दिया। बाद में भुगतान के लिए यह मस्टररोल जिला कमांडेंट को भेजा गया। 
 
उसके आधार पर होमगार्ड का 29 कार्यदिवस के 2465 रुपये का भुगतान हो गया। होमगार्ड सूरज ने 10 व 12 सितंबर को गैरहाजिर रहते हुए भी दो दिन के 170 रुपये प्राप्त कर लिए। न्यायालय ने सूरज, चुन्नी लाल, अब्दुल नफीस व रोशन लाल वर्मा को दोषी पाते हुए सजा सुनाई। तीनों पर 16 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। 

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