मिल्कीपुर में कारवाई न होने से तिलमिलाई महिलाओं ने डी डी सी का रोका वाहन

मिल्कीपुर, अयोध्या। मिल्कीपुर तहसील क्षेत्र अंतर्गत मलेथू बुजुर्ग के दलित बस्ती को जाने वाले सार्वजनिक रास्ते पर दबंगों द्वारा कब्जा करके निर्माण व खेती कर रास्ता बंद किए जाने का मामला पूरी तरह से गरमा गया है। हालांकि मलेथू बुजुर्ग गांव में अभी चकबंदी प्रक्रिया भी बीच अधर में लटकी पड़ी है।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक मिल्कीपुर तहसील क्षेत्र के मलेथू बुजुर्ग गांव के दलित बस्ती को जाने वाले पुराने सार्वजनिक रास्ते पर गांव के कुछ लोगों द्वारा कब्जा करके पक्का निर्माण व कुछ भूमि पर खेती भी की जा रही है। दलित बस्ती के लोगों द्वारा एसडीएम मिल्कीपुर व जिलाधिकारी सहित प्रदेश के मुख्यमंत्री को संयुक्त हस्ताक्षरित शिकायती पत्र देते हुए अभिलेखों में दर्ज सार्वजनिक रास्ते को खाली कराए जाने की मांग की है।

दलित बस्ती के 40 घरों को जाने वाले रास्ते को दबंगों द्वारा विगत 1 वर्षों से अवैध कब्जा करके बंद किया गया है। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि आबादी की सुरक्षित भूमि, खेल मैदान, बारात घर व सार्वजनिक रास्ते से दबंगो का अवैध कब्जा खाली करने हेतु विगत एक वर्षों से तहसील से लेकर जिला के उच्च अधिकारियों की चौखट पर एरिया रगड़ रहे हैं। लेकिन प्रकरण में अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हो सकी है। जिससे बस्ती में रहने वाले 40 परिवारों को अपने घर तक पहुंच पाना टेढ़ी खीर हो गया है।

जिलाधिकारी के आदेश पर डीडीसी ओ पी गुप्ता चकबंदी से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए बैठक कर रहे थे। जैसे ही बैठक समाप्त कर अयोध्या स्थित कार्यालय के लिए रवाना हुए, वैसे ही दर्जनों दलित महिलाएं ने डीडीसी के गाड़ी के आगे बैठ गई। मजबूर होकर डीडीसी ने गाड़ी से उतर कर महिलाओं को आश्वासन दिया कि 26 अक्टूबर तक आपके मामले का समाधान करवा दूंगा। इसके बाद तमतमाए डीडीसी ने ग्राम प्रधान को खुली बैठक कर शीघ्र ही प्रस्ताव बनाकर देने को कहा।

साथ ही स्थानीय लेखपाल को भी आदेशित किया कि शीघ्र ही अवैध कब्जेदारों को हटाकर, सरकारी जमीन को मुक्त कराया जाए। आश्वासन मिलने के बाद ग्रामीण महिलाओं ने डीडीसी के सरकारी वाहन के आगे से हटी और वे जिला मुख्यालय के लिए रवाना हो सके। वहीं दूसरी ओर दलित बस्ती में रहने वाले करिया, सेवक, रामबरन, राजपति, नकछेद, अनीता, गीता, सावित्री, कलावती सहित दर्जनों ग्रामीणों ने बताया कि एक वर्ष से अधिकारियों द्वारा सार्वजनिक रास्ते क खाली कराए जाने का आश्वासन दिया जा रहा है। लेकिन आज तक खाली नहीं कराया जा सका है।

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