भारत की सेना का मुख्य उद्देश्य देश की सुरक्षा और राष्ट्र की एक एकता को सुनिश्चित करना

कैसे होती हैं हिफ़ाजत मुल्क की,

स्वतंत्र प्रभात
 
कायमगंज /फर्रुखाबाद। (स्वतंत्र प्रभात संवाददाता) भारत की सेना का मुख्य उद्देश्य देश की सुरक्षा और राष्ट्र की एक एकता को सुनिश्चित करना, देश को बाहरी और आंतरिक खतरों से सुरक्षा प्रदान करना और सीमा पर शांति और सुरक्षा को बनायें रखना हैं. देश के सैनिकों के बलिदान का कर्ज हम कभी नही चुका सकते हैं, वो कड़ाके के ठंड में, धुप और बरसात में दिनरात सरहद की सुरक्षा करते हैं और उन्हीं की वजह से हम अपने घरो में चैन से सोते हैं मामला फर्रुखाबाद जनपद के शहीद नायब सूबेदार विनोद कुमार पाल का है जो पिछले बर्ष पुलबामा में हुए सीआरपीएफ की बटालियन पर हमले में शहीद हो गए थे नायब सूबेदार पुलवामा के गोंगू क्रासिंग पर अन्य जवानों के साथ चेकिंग कर कर रहे थे। तभी आतंकियों ने हमला कर दिया। इससे वह जख्मी हो गए। अस्पताल ले जाते समय रास्ते में दम तोड़ दिया।
 
शहादत की सूचना परिजनों को मिली तो कोहराम मच गया था बेटे ने जब पिता की शहीद होने जानकारी पत्नी सुमन इकलौते बेटे योगेंदर सिंह ने दी तो बह लिपटकर बिलखने लगीं। बेटे योगेंदर सिंह को नायब सूबेदार विनोद कुमार पाल ने हमले से 20 मिनट पहले ही बेटे योगेंदर सिंह को फोन किया था। योगेंदर सिंह ने बताया कि पिताजी ने सभी के हाल चाल पूछे। कहा कि गांव जाकर सबमर्सिबल का बोरिंग देख लेना। पत्नी सुमन से भी हाल चाल लिए। इसके बाद आतंकियों के हमले से घायल हो गए।
शहीद नायब सूबेदार विनोद कुमार पाल के पिता जवाहर सिंह खेती करते थे। माता-पिता गुजर चुके हैं। विनोद के बड़े भाई प्रमोद कुमार सेना के जवान थे। पिछले साल सेवानिवृत्त होकर गांव में खेती कराते हैं। विनोद ने बेटे को भी सेना में भर्ती कराने के लिए सीडीएस की परीक्षा दिलाई है। मई में परिणाम आया तो वह पास हो गया। सीआरपीएफ के नायब सूबेदार विनोद कुमार पाल (53) कायमगंज क्षेत्र के गांव नगला विधि के मूल निवासी थे  कुछ महीने से उनका परिवार मोहल्ला दत्तू नगला नई कालोनी में रहने लगा। 24 जून को वह 20 दिन छुट्टी बिताकर ड्यूटी पर गए थे। छुट्टी के दौरान पत्नी सुमन का ऑपरेशन कराया था।
 
सीआरपीएफ की बटालियन पर हमले में शहीद के परिजनों के एक साल बीत जाने के बाद पुलवामा हमले में शहीद हुए विनोद कुमार पाल के भाई ने बताया कि मेरे छोटे भाई का जज्बा देश के प्रति शुरुआत से ही था सीआरपीएफ में जाने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत के बाद 1990 के दौरान इनकी भर्ती हुई भर्ती के बाद शहीद विनोद कुमार पाल ने सुरक्षा कमांडो की भी ड्यूटी को बखूबी निभाया बाद में बटालियन कैंप सीआरपीएफ में पुलवामा में तैनाती के दौरान आतंकी हमले में शहीद हो गए शहीद होने के एक साल बाद पुलवामा शहीद के स्मारक स्थल समेत जिन सुविधाओं के लिए सरकार ने कहा था उन पर आज तक किसी भी नेता सरकार व अधिकारी ने कोई भी ध्यान नहीं दिया है।
 
जिसकी वजह से शहीद का शहीद स्थल आज भी वैसे ही सुनसान पड़ा हुआ है और पूरे शहीद स्थल पर घास हो गई है जिसकी देखरेख उनके परिजन बेटे और पत्नी कर रहे हैं शहीद  के बेटे योगेंदर सिंह ने पिता के शहीद होने के बारे में बताया कि सबसे पहले सीआरपीएफ के अधिकारियों ने उनको घायल होने की सूचना दी और उसके बाद बताया कि वह शहीद हो गए हैं जिसकी जानकारी उन्होंने काफी देर बाद अपनी मां को दी शहीद का बेटा अपने पिता के शहीद होने की कहानी बताते बताते न्यूज़ 18 के कैमरे पर फफक फफक कर रोने लगा शहीद के बेटे ने गंभीर सवाल खड़े करते हुए कहा की पिता के शहीद होने के बाद जो जो वादे किए गए आज तक उस पर किसी भी तरह का कोई ध्यान नहीं दिया गया जिसकी वजह से वह लोग आज परेशान हो रहे हैं और अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं।
 
शहीद के बेटे ने बताया कि जैसा कि पिता के शहीद होने के बाद वादा किया गया था कि नौकरी के साथ कई तरीके की सुविधाओं के साथ स्मारक स्थल का निर्माण कराया जाएगा लेकिन किसी भी तरह का स्मारक स्थल का निर्माण भी नहीं कराया गया और ना ही उनको किसी भी तरीके की सुविधा दी जा रही है जिसको लेकर कई दर्जन पत्र भी सेना के अधिकारियों के साथ जिले के अधिकारियों प्रदेश के नेताओं को लिख चुके हैं लेकिन अभी तक उनको किसी भी तरह की कोई भी सुविधा नहीं मिल पा रही है।

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