पुष्ट साक्ष्यों के बिना नहीं हो सकती पुनर्मतगणना

मिर्जापुर के कोलाही गांव के प्रधान को राहत। 

स्वतंत्र प्रभात
प्रयागराज ।
 
 
इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिर्जापुर सदर तहसील के कोलाही की ग्राम प्रधान सरिता यादव को राहत मिल गई है। कोर्ट ने एसडीएम सदर / नामित अधिकारी के तीन जुलाई 2007 के पुनर्मतगणना के आदेश को रद्द कर दिया है ।साथ ही कहा है कि एसडीएम लंबित चुनावी याचिका कोर्ट के आदेश की प्रति मिलने के चार महीने में निस्तारित करें। 
 
यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने ग्राम प्रधान सरिता यादव की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश पंचायत राज सदस्यगण, प्रधानों और उपप्रधानों के चुनाव नियम 1994 के तहत प्रधानपद के सभी उम्मीदवारों/प्रतिवादीगणों को मतपेटी को सील करने से लेकर मतपत्रों की गिनती तक हर चरण में पर्याप्त अवसर मिला।
 
इसलिए पुनर्मतगणना का अवसर दिया जाना सही नहीं है। ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है, जो पुनर्मतगणना के लिए बल देता हो। कोर्ट ने चंद्रिका प्रसाद • बनाम बिहार राज्य केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश का हवाला दिया। कहा, मामले में स्थापित कानून है। उसके आधार पर ही पुनर्मतगणना का आदेश दिया जा सकता है। कोर्ट ने अपने आदेश में उन आधारों का भी हवाला दिया है।
 
मामले में याची पंचायत राज अधिनियम के तहत 2021 में हुए चुनाव में विजेता है। विरोधियों ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव न होने, अवैध मतों की गिनती याची के पक्ष में करने सहित कई आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग के समक्ष याचिका दाखिल की। एसडीएम ने मामले में सुनवाई करते हुए पुनर्मतगणना का आदेश पारित कर दिया। याची ने उसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

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